No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Shri Yamunashtakam Stotra || श्री यमुनाष्टकम् स्तोत्र : यमुना जी स्तुति; Full Lyrics with Benefits
Shri Yamunashtakam Stotra (श्री यमुनाष्टकम् स्तोत्र)
पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार, भुवनभास्कर सूर्य देवी यमुना के पिता, मृत्यु के देवता यम भाई और भगवान श्री कृष्ण देवी के परि स्वीकार्य किये गए हैं। जहां भगवान श्री कृष्ण ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते है, वहां देवी यमुना इसकी जननी मानी जाती हैं। इस प्रकार यह सच्चे अर्थों में ब्रजवासियों की माता है। देवी यमुना को प्रसन्न करने व उनका आशीर्वाद पाने के लिए यमुना नदी में स्नान करने के बाद श्री यमुनाष्टक स्तोत्र का पाठ किया जाता है। मान्यता है कि स्तोत्र का का पाठ करने से देवी यमुना जल्द प्रसन्न होती हैं, मनुष्य को आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्री यमुनाष्टक स्तोत्र में 8 श्लोक हैं, जिनमें देवी यमुना की सुंदरता, उनकी शक्तियों के बारे में बताया गया है। स्तोत्र में देवी यमुना और श्रीकृष्ण के संबंध का भी वर्णन किया गया है।श्री यमुनाष्टकम् स्तोत्र (Shri Yamunashtakam Stotra)
मुरारिकायकालिमाललामवारिधारिणी
तृणीकृतत्रिविष्टपा त्रिलोकशोकहारिणी ।
मनोऽनुकूलकूलकुञ्जपुञ्जधूतदुर्मदा
धुनोतु मे मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा ॥ १ ॥
मलापहारिवारिपूरभूरिमण्डितामृता
भृशं प्रपातकप्रवञ्चनातिपण्डितानिशम् ।
सुनन्दनन्दनाङ्गसङ्गरागरञ्जिता हिता। धुनोतु० ॥ २ ॥
लसत्तरङ्गसङ्गधूतभूतजातपातका
नवीनमाधुरीधुरीणभक्तिजातचातका ।
तटान्तवासदासहंससंसृता हि कामदा । धुनोतु० ॥ ३॥
विहाररासखेदभेदधीरतीरमारुता
गता गिरामगोचरे यदीयनीरचारुता।
प्रवाहसाहचर्यपूतमेदिनीनदीनदा । धुनोतु० ॥ ४॥
तरङ्गसङ्गसैकताञ्चितान्तरा सदासिता ।
शरन्निशाकरांशुमञ्जुमञ्जरीसभाजिता ।
भवार्चनाय चारुणाम्बुनाधुना विशारदा । धुनोतु० ॥५॥
जलान्तकेलिकारिचारुराधिकाङ्गरागिणी
स्वभर्तुरन्यदुर्लभाङ्गसङ्गतांशभागिनी ।
स्वदत्तसुप्तसप्तसिन्धुभेदनातिकोविदा । धुनोतु० ॥ ६॥
जलच्युताच्युताङ्गरागलम्पटालिशालिनी
विलोलराधिकाकचान्तचम्पकालिमालिनी ।
सदावगाहनावतीर्णभर्तृभृत्यनारदा । धुनोतु० ॥ ७॥
सदैव नन्दनन्दकेलिशालिकुञ्जमञ्जुला
तटोत्थफुल्लमल्लिकाकदम्बरेणुसूज्ज्वला ।
जलावगाहिनां नृणां भवाब्धिसिन्धुपारदा । धुनोतु० ॥ ८ ॥
॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं श्रीयमुनाष्टकं सम्पूर्णम् ॥