Shri Devi Ji Arti (2 ) (श्रीदेवीजी)

श्रीदेवी-वन्दना देवि प्रपन्नातिहे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य। प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीएवरी देवि चराचरस्य॥ श्रीदेवीजी जय जय, जगजननि देवि सुर-नर-मुनि-असुर-सेवि, भुक्ति-मुक्ति-दायिनि भयहरणि कालिका। मंगल-मुद-सिद्धि-सदनि, पर्वशर्वरीश-वदनि, ताप-तिमिर तरुण-तरणि-किरणमालिका॥ १॥ वर्म-चर्म-कर-कृपाण_ शूल-शेल-धनुष-बाण- धरणि, दलनि दानव-दल, रण-करालिका। पूतना-पिशाच-प्रेत डाकिनि-शाकिनि-समेत भूत-ग्रह-बेताल-खग-मृगालि-जालिका ॥ २॥ जय महेश-भामिनी अनेक-रूप-नामिनी, समस्त-लोक-स्वामिनी हिमशैल-बालिका। रघुपति-पद परम प्रेम, तुलसी यह अचल नेम, देहु है प्रसन्न पाहि प्रनतपालिका॥ ३॥