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Uddhava Gita - Chapter 6 (उद्धवगीता - षष्ठोऽध्यायः)
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Uddhava Gita - Chapter 10 (उद्धवगीता - दशमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के दशमोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में योग और समाधि के महत्व पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 2 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - द्वितीयोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के द्वितीयोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को आत्मा की अमरता और कर्मयोग की महत्ता समझाई है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Bhagavad Gita Fourteenth Chapter (भगवत गीता चौदहवाँ अध्याय)
भगवद गीता चौदहवाँ अध्याय "गुणत्रय विभाग योग" के रूप में जाना जाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण सत्व, रजस, और तमस नामक तीन गुणों का विस्तार से वर्णन करते हैं। वे बताते हैं कि इन गुणों का संतुलन ही व्यक्ति के जीवन को नियंत्रित करता है। यह अध्याय "गुणों का प्रभाव", "सत्वगुण की महिमा", और "आध्यात्मिक उन्नति" पर आधारित है।Bhagwat-Gita
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 17 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - सप्तदशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता का सप्तदशो अध्याय श्रद्धात्रय विभाग योग के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण श्रद्धा के तीन प्रकारों की व्याख्या करते हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Bhagavad Gita seventh chapter (भगवद गीता सातवाँ अध्याय)
भगवद गीता सातवां अध्याय "ज्ञान-विज्ञान योग" के नाम से जाना जाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ज्ञान (सिद्धांत) और विज्ञान (व्यावहारिक अनुभव) के महत्व को समझाते हैं। वे कहते हैं कि सभी प्रकृति और जीव उनके ही अंश हैं। यह अध्याय "भक्ति", "ज्ञान", और "प्रकृति और पुरुष" के संबंध को विस्तार से समझाता है।Bhagwat-Gita
Bhagwan Natwar Ji Arti (भगवान नटवर जी की आरती)
भगवान नटवर जी की आरती श्रीकृष्ण के नटखट और मनमोहक स्वरूप की महिमा का गुणगान करती है। इस आरती में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) को नटवर (Divine Performer) और मुरलीधर (Flute Player) के रूप में पूजित किया गया है, जो भक्तों (Devotees) के कष्ट हरने वाले और आनंद (Joy) प्रदान करने वाले हैं। भगवान नटवर जी की यह आरती उनकी लीलाओं (Divine Pastimes) और सर्वशक्तिमान स्वरूप (Omnipotent Form) का स्मरण कराती है। यह आरती भगवान कृष्ण के प्रेम (Love), भक्ति (Devotion) और करुणा (Compassion) को व्यक्त करती है, जो जीवन के हर पहलू को आध्यात्मिक प्रकाश (Spiritual Light) से भर देती है। भगवान नटवर जी की आरती में उनकी मुरली (Flute) और उनके नटखट स्वभाव (Playful Nature) का विशेष वर्णन किया गया है, जो भक्तों को भगवान के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने में मदद करता है।Arti
Shri Krishna Ashtakam (श्री कृष्णाष्टकम्)
श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। पुराणों के अनुसार इनका जन्म द्वापर युग में माना गया है। भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए लोग उनकी पूजा करते है उन्हे माखन खिलाते है। इन्हे श्रीकृष्ण अष्टकम् का पाठ करके भी प्रसन्न किया जा सकता है। रोज श्रीकृष्ण अष्टकम पढ़ने पर विशेष पुण्य लाभ मिलता है। भगवान के इस पाठ को करने वाले मनुष्य का जीवन में कभी कोई कार्य नहीं रुकता और उसे हमेशा विजय की प्राप्ति होती है। नियमित रूप से यदि कोई व्यक्ति श्रीकृष्ण अष्टकम् का पाठ करता है तो भगवान उस पर अपनी कृपा दृष्टी बनाएं रखते है और वह हमेशा विजयी रहता है।Ashtakam
Prahladakrita Narasimha Stotra (प्रह्लादकृतनृसिंहस्तोत्रम्)
यह नृसिंह स्तुतिः आपकी इच्छाओं को पूरा करने और ग्रह शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए एक अद्भुत और बहुत ही प्रभावी स्तोत्र है। यह भगवान शनि देव द्वारा बताया गया है कि जो कोई भी विशेष रूप से शनिवार को इस स्तोत्र का पाठ करेगा, वह शनि के किसी भी नकारात्मक दृष्टि से मुक्त होगा।Stotra