Shri LaxmiNarayan Ji Arti (श्रीलक्ष्मीनारायणजी आरती)

भगवान्‌ श्रीलक्ष्मीनारायणजी जय लक्ष्मी-विष्णो। जय लक्ष्मीनारायण, जय लक्ष्मी-विष्णो। जय माधव, जय श्रीपति, जय जय जय विष्णो॥ १ ॥ जय० ॥ जय चम्पा सम-वर्णे जय नीरदकान्ते। जय मन्द-स्मित-शोभे जय अद्भुत शान्ते॥ २॥ जय०॥ कमल वराभय-हस्ते शदिकधारिन्‌। जय कमलालयवासिनि गरुडासनचारिन्‌॥ ३ ॥ जय०॥ सच्चिन्मयकरचरणे सच्चिन्मयमूर्ते । दिव्यानन्द-विलासिनि जय सु खमयमूर्ते ॥ ४॥ जय० ॥ तुम त्रिभुवनकी माता, तुम सबके त्राता। तुम लोक-त्रय-जननी, तुम सबके धाता॥५॥ जय० ॥ तुम धन-जन-सुख-संतति-जय देनेवाली। परमानन्द-बिधाता तुम हो वनमाली॥ ६॥ जय० ॥ तुम हो सुमति घरोंमें, तुम सबके स्वामी। चेतन और अचेतनके अन्तर्यामी ॥ ७॥ जय० ॥ शरणागत हूँ, मुझपर कृपा करो माता। जय लक्ष्मी-नारायण नव-मंगल-दाता॥ ८ ॥ जय० ॥