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Shri Devi Ji Arti || श्री देवी जी की आरती (देवि प्रपन्नातिहे प्रसीद)
Shri Devi Ji Arti (2 ) (श्री देवीजी की आरती)
श्री देवी जी की आरती माँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती के दिव्य स्वरूप की महिमा का गुणगान करती है। इसमें माँ को सृष्टि की आदिशक्ति और भक्तों की रक्षक के रूप में पूजा जाता है।
श्रीदेवी-वन्दना
देवि प्रपन्नातिहे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं
त्वमीएवरी देवि चराचरस्य॥
श्रीदेवीजी
जय जय, जगजननि देवि सुर-नर-मुनि-असुर-सेवि,
भुक्ति-मुक्ति-दायिनि भयहरणि कालिका।
मंगल-मुद-सिद्धि-सदनि, पर्वशर्वरीश-वदनि,
ताप-तिमिर तरुण-तरणि-किरणमालिका॥ १॥
वर्म-चर्म-कर-कृपाण_ शूल-शेल-धनुष-बाण-
धरणि, दलनि दानव-दल, रण-करालिका।
पूतना-पिशाच-प्रेत डाकिनि-शाकिनि-समेत
भूत-ग्रह-बेताल-खग-मृगालि-जालिका ॥ २॥
जय महेश-भामिनी अनेक-रूप-नामिनी,
समस्त-लोक-स्वामिनी हिमशैल-बालिका।
रघुपति-पद परम प्रेम, तुलसी यह अचल नेम,
देहु है प्रसन्न पाहि प्रनतपालिका॥ ३॥
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श्री देवी जी की आरती माँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती के दिव्य स्वरूप की महिमा का गुणगान करती है। इसमें माँ दुर्गा को सृष्टि की आदिशक्ति और भक्तों की रक्षक के रूप में पूजा जाता है। Goddess Lakshmi को धन, समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है, जबकि Goddess Saraswati ज्ञान, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी हैं। आरती में इन तीनों देवियों की शक्ति, करुणा और ज्ञान का वर्णन करते हुए उनसे कष्टों का नाश, सुख-समृद्धि, और शांति का आशीर्वाद माँगा जाता है।Arti
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