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Shri Vindhyeshwari Aarti with Lyrics | श्री विन्ध्येश्वरी आरती
Shri Vindhyeshwari Ji Arti (श्री विन्ध्येश्वरी जी की आरती)
श्री विंध्येश्वरी जी की आरती माँ Vindhyeshwari के divine form और spiritual powers की स्तुति है। इस आरती में देवी Vindhyavasini, Durga, और Mahashakti की glory, grace, और भक्तों पर होने वाले blessings का वर्णन किया गया है। यह आरती भक्तों को spiritual growth, happiness, prosperity, और peace की प्राप्ति की प्रेरणा देती है।
माँ Vindhyeshwari, जिन्हें Jagadamba, Shakti Swaroopini, और Durga Mata के नाम से भी जाना जाता है, उनकी पूजा भक्तों को divine protection, mental peace, और positive energy प्रदान करती है।
भक्तगण माँ Vindhyavasini की इस आरती के माध्यम से देवी की कृपा प्राप्त करते हैं, जो inner strength, faith, और devotional bliss प्रदान करती है।
श्री विन्ध्येश्वरी देवी जी की आरती
सुन मेरी देवी पर्वतवासिनि, तेरा पार न पाया॥ टेक ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले तेरी भेंट चढ़ाया॥
सुवा चोली तेरे अंग विराजै, केशर तिलक लगाया।
नंगे पांव तेरे अकबर जाकर, सोने का छत्र चढ़ाया॥
ऊँचे ऊँचे पर्वत बना देवालय, नीचे शहर बसाया।
सत्युग त्रेता द्वापर मध्ये, कलयुग राज सवाया॥
धूप दीप नैवेद्य आरती, मोहन भोग लगाया।
ध्यानू भगत मैया (तेरा) गुण गावैं, मन वांछित फल पाया॥