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Shri Tulsi Chalisa || श्री तुलसी चालीसा : स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति प्राप्ति के लिए एक दिव्य प्रार्थना
Shri Tulsi Chalisa (श्री तुलसी चालीसा)
तुलसी चालीसा देवी माता तुलसी को समर्पित है। पुराणों के अनुसार, देवी वृंदा ही तुलसी रूप में प्रकट हुई थीं और भगवान विष्णु को देवी लक्ष्मी के समान ही प्रिय हैं। Tulsi Chalisa का नियमित पाठ करने से पापों का नाश, धन-संपदा, और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह पाठ विशेष रूप से देव उठनी एकादशी, कार्तिक मास, और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर किया जाता है।
श्री तुलसी चालीसा
॥ दोहा ॥
श्री तुलसी महारानी, करूँ विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय ॥
॥ चौपाई ॥
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।
विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूं लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।
जिन घर तब नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहि बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करें कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।
कर जो पूजा नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।
श्रद्धा से पूजें जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन में, सकल काज सिधि होवै क्षण में।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता।
देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सब सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।
शरण चरण कर जोरि मनाऊँ, निशदिन तेरे ही गुण गाऊँ।
करहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।
मांगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जानू नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।
बारह मास करें जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।
चन्दन अक्षत पुष्प चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहे क्लेशा।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।
॥ दोहा ॥
यह श्री तुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय ॥