Tripurasundari(10 Mahavidya) (त्रिपुरसुन्दरी)

त्रिपुरसुन्दरी त्रिपुरसुन्दरी कालिकापुराण के अनुसार शिवजी की भार्या त्रिपुरा श्रीचक्र की परम नापिका है। परम शिव इन्हीं के सहयोग से सूक्ष्म से सूक्ष्म और स्कूल से स्कूल रूपों में भासते हैं। त्रिपुरभैरवी महात्रिपुरसुन्दरी की रथ वाहिनी हैं, ऐसा उल्लेख मिलता है। वास्तव में काली, तारा, छिन्नमस्ता, वगलामुखी, मातङ्गी, धूमावती ये विद्याएं रूप और विग्रह में कठोर तथा भुवनेश्वरी, षोडशी, कमला और भैरवी अपेक्षाकृत माधुर्यमयी रूपों की अधिष्ठातृ विद्याएँ हैं। करुणा और भक्तानुग्रहाकांक्षा तो सब में समान हैं। दुष्टों के वलन-हेतु विराजित होकर नाना प्रकार की सिद्धिया प्रदान करती हैं।