Tripurabhairavi(10 Mahavidya) त्रिपुरभैरवी

त्रिपुरभैरवी त्रिपुरभैरवी - क्षीयमान विश्व का अधिष्ठान दक्षिण मूर्ति कालभैरव हैं । उनकी शक्ति ही 'त्रिपुरभैरवी' है। उनके ध्यान में बताया गया है कि वे उदित हो रहे सहस्रों सूर्यो के समान अरुण कान्ति वाली और क्षौमाम्बरधारिणी होती हुई मुण्डमाला पहने हैं। रक्त से उनके पयोधर लिप्त हैं। वे तीन नेत्र एवं हिमांशु-मुकुट धारण किए, हाथ में जपवटी, विद्या, वर एवं अभयमुद्रा धारण किए हुए हैं । ये भगवती मन्द मन्द हास्य करती रहती हैं। इन्द्रियों पर विजय और सर्वतः उत्कर्ष की प्राप्ति हेतु त्रिपुर-भैरवी की उपासना का विधान शास्त्रों में कहा गया है। त्रिपुरभैरवी की महिमा का वर्णन करते हुए शास्त्र कहते हैं - वारमेकं पठन्मत्र्यो मुच्यते सर्वसंकटात् । किमन्यद् बहुना देवि सर्वाभीष्टफलं लभेत् ॥