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Shri Das Mahavidya Kavacham || श्री दशमहाविद्या कवचम् : अद्भुत तांत्रिक शक्ति एवं देवी कृपा से जीवन की रक्षा के लिए
Shri Das Mahavidya Kavacham (श्री दशमहाविद्या कवचम्)
Chandi Kavach (चंडी कवच): Maa Chandi को Maa Durga का एक शक्तिशाली रूप माना जाता है। जो भी साधक Chandi Kavach का नियमित पाठ करता है, उसे Goddess of War Maa Chandi की असीम कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि इस कवच के पाठ से साधक की आयु बढ़ती है और वह 100 वर्षों तक जीवित रह सकता है। Maa Chandi अपने भक्तों को Enemies, Tantra-Mantra और Evil Eye से बचाती हैं। इस कवच के निरंतर पाठ से जीवन की सारी Sorrows और Obstacles दूर होने लगती हैं। साधक को Happiness और Prosperity प्राप्त होती है। यदि कोई व्यक्ति Durga Kavach को धारण करके Chandi Kavach का पाठ करता है, तो Divorce, Property Disputes, Enemies, Graha Dosh, Tantra Dosh जैसी बड़ी से बड़ी समस्याएं समाप्त होने लगती हैं। Nav Durga Yantra को भी अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसमें Maa Durga के नौ रूपों की शक्तियां समाहित होती हैं। यदि Chandi Kavach का पाठ Nav Durga Yantra के सामने किया जाए, तो साधक की सभी Desires पूर्ण होती हैं और जीवन के हर क्षेत्र में Progress का आगमन होता है।॥ श्री दशमहाविद्या कवचम् ॥
(Shri Das Mahavidya Kavacha)
॥ विनियोगः ॥
ॐ अस्य श्रीमहाविद्याकवचस्य
श्रीसदाशिव ऋषिः उष्णिक् छन्दः
श्रीमहाविद्या देवता सर्वसिद्धीप्राप्त्यर्थे पाठे विनियोगः ।
॥ ऋष्यादि न्यासः ॥
श्रीसदाशिवऋषये नमः शिरसी उष्णिक्
छन्दसे नमः मुखे श्रीमहाविद्यादेवतायै नमः हृदि
सर्वसिद्धिप्राप्त्यर्थे पाठे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे ।
॥ मानसपुजनम् ॥
ॐ पृथ्वीतत्त्वात्मकं गन्धं
श्रीमहाविद्याप्रीत्यर्थे समर्पयामि नमः ।
ॐ हं आकाशतत्त्वात्मकं पुष्पं
श्रीमहाविद्याप्रीत्यर्थे समर्पयामि नमः ।
ॐ यं वायुतत्त्वात्मकं धूपं
श्रीमहाविद्याप्रीत्यर्थे आघ्रापयामि नमः ।
ॐ रं अग्नितत्त्वात्मकं दीपं
श्रीमहाविद्याप्रीत्यर्थे दर्शयामि नमः ।
ॐ वं जलतत्त्वात्मकं नैवेद्यं
श्रीमहाविद्याप्रीत्यर्थे निवेदयामि नमः ।
ॐ सं सर्वतत्त्वात्मकं ताम्बूलं
श्रीमहाविद्याप्रीत्यर्थे निवेदयामि नमः।
॥ अथ श्री महाविद्याकवचम् ॥
ॐ प्राच्यां रक्षतु मे तारा कामरूपनिवासिनी ।
आग्नेय्यां षोडशी पातु याम्यां धूमावती स्वयम् ॥
नैरृत्यां भैरवी पातु वारुण्यां भुवनेश्वरी ।
वायव्यां सततं पातु छिन्नमस्ता महेश्वरी ॥
कौबेर्यां पातु मे देवी श्रीविद्या बगलामुखी ।
ऐशान्यां पातु मे नित्यं महात्रिपुरसुन्दरी ॥
ऊर्ध्वं रक्षतु मे विद्या मातङ्गीपीठवासिनी ।
सर्वतः पातु मे नित्यं कामाख्या कालिका स्वयम् ॥
ब्रह्मरूपा महाविद्या सर्वविद्यामयी स्वयम् ।
शीर्षे रक्षतु मे दुर्गा भालं श्रीभवगेहिनी ॥
त्रिपुरा भ्रुयुगे पातु शर्वाणी पातु नासिकाम् ।
चक्षुषी चण्डिका पातु श्रोत्रे निलसरस्वती ॥
मुखं सौम्यमुखी पातु ग्रीवां रक्षतु पार्वती ।
जिह्वां रक्षतु मे देवी जिह्वाललनभीषणा ॥
वाग्देवी वदनं पातु वक्षः पातु महेश्वरी ।
बाहू महाभुजा पातु कराङ्गुलीः सुरेश्वरी ॥
पृष्ठतः पातु भीमास्या कट्यां देवी दिगम्बरी ।
उदरं पातु मे नित्यं महाविद्या महोदरी ॥
उग्रतारा महादेवी जङ्घोरू परिरक्षतु ।
उग्रातारा गुदं मुष्कं च मेढ्रं च नाभिं च सुरसुन्दरी ॥
पादाङ्गुलीः सदा पातु भवानी त्रिदशेश्वरी ।
रक्तमांसास्थिमज्जादीन् पातु देवी शवासना ॥
महाभयेषु घोरेषु महाभयनिवारिणी ।
पातु देवी महामाया कामाख्यापीठवासिनी ॥
भस्माचलगता दिव्यसिंहासनकृताश्रया ।
पातु श्रीकालिकादेवी सर्वोत्पातेषु सर्वदा ॥
रक्षाहीनं तु यत्स्थानं कवचेनापि वर्जितम् ।
तत्सर्वं सर्वदा पातु सर्वरक्षणकारिणी ॥
॥ इति श्री दश महाविद्या कवचम् सम्पूर्णाम ॥