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Sharada Bhujanga Prayata Ashtakam || शारदा भुजंग प्रयात अष्टकम् : Full Lyrics !! ज्ञान, विद्या और आध्यात्मिक आशीर्वाद प्राप्ति के लिए पवित्र प्रार्थना |
Sharada Bhujanga Prayata Ashtakam (शारदा भुजंग प्रयात अष्टकम्)
Sharada Bhujanga Prayata Ashtakam एक sacred hymn है, जो Goddess Saraswati Stotra के रूप में विद्या, बुद्धि और ज्ञान प्राप्ति के लिए गाया जाता है। इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से Vasant Panchami, Saraswati Puja और academic success rituals के दौरान किया जाता है। यह मंत्र विद्यार्थियों, विद्वानों और कलाकारों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके जाप से memory power, creativity, artistic skills और spiritual enlightenment प्राप्त होती है। माँ सरस्वती की कृपा से speech clarity, wisdom और intellectual growth बढ़ती है, जिससे पढ़ाई और कला में सफलता प्राप्त होती है। इस मंत्र की पूजा विधि सरल और प्रभावशाली है। प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और Saraswati Idol or Yantra के समक्ष दीप प्रज्वलित करें। सफेद पुष्प, चंदन और अक्षत अर्पित करें और शांत मन से Sharada Bhujanga Prayata Ashtakam का जाप करें। Prasad Offering के रूप में खीर या मिश्री चढ़ाएं और भक्ति भाव से माँ सरस्वती से wisdom, knowledge, academic excellence और divine blessings की प्रार्थना करें। इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से success in studies, speech improvement और spiritual knowledge प्राप्त होता है।शारदा भुजंग प्रयात अष्टकम्
(Sharada Bhujanga Prayata Ashtakam)
सुवक्षोजकुंभां सुधापूर्णकुंभां
प्रसादावलंबां प्रपुण्यावलंबाम् ।
सदास्येंदुबिंबां सदानोष्ठबिंबां
भजे शारदांबामजस्रं मदंबाम् ॥ 1 ॥
कटाक्षे दयार्द्रां करे ज्ञानमुद्रां
कलाभिर्विनिद्रां कलापैः सुभद्राम् ।
पुरस्त्रीं विनिद्रां पुरस्तुंगभद्रां
भजे शारदांबामजस्रं मदंबाम् ॥ 2 ॥
ललामांकफालां लसद्गानलोलां
स्वभक्तैकपालां यशःश्रीकपोलाम् ।
करे त्वक्षमालां कनत्पत्रलोलां
भजे शारदांबामजस्रं मदंबाम् ॥ 3 ॥
सुसीमंतवेणीं दृशा निर्जितैणीं
रमत्कीरवाणीं नमद्वज्रपाणीम् ।
सुधामंथरास्यां मुदा चिंत्यवेणीं
भजे शारदांबामजस्रं मदंबाम् ॥ 4 ॥
सुशांतां सुदेहां दृगंते कचांतां
लसत्सल्लतांगीमनंतामचिंत्याम् ।
स्मरेत्तापसैः सर्गपूर्वस्थितां तां
भजे शारदांबामजस्रं मदंबाम् ॥ 5 ॥
कुरंगे तुरंगे मृगेंद्रे खगेंद्रे
मराले मदेभे महोक्षेऽधिरूढाम् ।
महत्यां नवम्यां सदा सामरूपां
भजे शारदांबामजस्रं मदंबाम् ॥ 6 ॥
ज्वलत्कांतिवह्निं जगन्मोहनांगीं
भजे मानसांभोज सुभ्रांतभृंगीम् ।
निजस्तोत्रसंगीतनृत्यप्रभांगीं
भजे शारदांबामजस्रं मदंबाम् ॥ 7 ॥
भवांभोजनेत्राजसंपूज्यमानां
लसन्मंदहासप्रभावक्त्रचिह्नाम् ।
चलच्चंचलाचारुताटंककर्णां
भजे शारदांबामजस्रं मदंबाम् ॥ 8 ॥
इति श्री शारदा भुजंग प्रयाताष्टकम् ।