In Hindu culture, it is believed that starting any new task during an auspicious muhurat brings positive results. As a result, checking the appropriate time becomes essential, which includes favorable nakshatras, accurate planetary movements, and other astrological factors.
Today’s Panchang is presented in a tabular format, which provides a detailed analysis of the right time and dates for any given day or upcoming days. It offers insights into the positions of nakshatras, the moon, and planets, helping to determine the auspiciousness of these dates alongside their astrological aspects.
The calculation of time is entirely based on the planetary positions at a specific moment. The method involves analyzing the placement of the moon in a specific nakshatra within an individual’s birth chart.
It is important to note that Panchang Muhurat can vary across different locations at the same time. Even if the same date and time are selected, Delhi Panchang and Mumbai Panchang may not be the same for a given year. This variation depends on the latitude, longitude, and geographical coordinates of the location.
हिन्दु कैलेण्डर में दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ शुरू होता है और अगले दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ समाप्त होता है। क्योंकि सूर्योदय का समय सभी शहरों के लिए अलग है, इसीलिए हिन्दु कैलेण्डर जो एक शहर के लिए बना है वो किसी अन्य शहर के लिए मान्य नहीं है। इसलिए स्थान आधारित हिन्दु कैलेण्डर का उपयोग महत्वपूर्ण है।
पञ्चाङ्ग
हिन्दु कैलेण्डर के सभी पांच तत्वों को साथ में पञ्चाङ्ग कहते हैं। (संस्कृत में: पञ्चाङ्ग = पंच (पांच) + अंग (हिस्सा)). इसलिए हिन्दु कैलेण्डर जो सभी पांच अँगों को दर्शाता है उसे पञ्चाङ्ग कहते हैं। दक्षिण भारत में पञ्चाङ्ग को पञ्चाङ्गम कहते हैं।
पंचांग के पाँच अंग कौन से हैं?
1. तिथि या दिनांक
तिथि (Dates) से पता चलता है कि सूर्य और चंद्रमा की स्थिति एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं। तिथि को चंद्र दिवस भी कहा जाता है और इसका आपकी भावनात्मक स्थिति, निर्णय और सामाजिक संबंधों पर प्रभाव पड़ता है।
हर महीने में तीस तिथियाँ होती हैं, जिन्हें दो पक्षों में विभाजित किया गया है। शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को समाप्त होता है, जबकि कृष्ण पक्ष अमावस्या को समाप्त होता है। पूर्णिमा तिथि (Purnima) और अमावस्या तिथि (Amavasya) हर महीने में एक बार आती हैं। पूर्णिमा को 15वीं तिथि और अमावस्या को 30वीं तिथि माना जाता है। अन्य तिथियाँ महीने में दो बार आती हैं।
तिथियों के नाम: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी और चतुर्दशी ।
2. नक्षत्र
27 चंद्र भाव हैं जिन्हें नक्षत्र के रूप में जाना जाता है, और प्रत्येक अद्वितीय गुण और प्रतीकवाद वाला होते हैं। दिन का नक्षत्र आपके आंतरिक स्व और जीवन के उद्देश्य के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है।
27 नक्षत्रों के नाम : अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण , धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, रेवती।
3. वार
वार का अर्थ है "दिन।" सप्ताह में सात दिन होते हैं और वैदिक ज्योतिष के अनुसार ये सातों दिन ग्रहों से जुड़े होते हैं। वार के बारे में जानकारी होने से आपको अपने कार्यों को अधिक प्रभावी ढंग से करने में मदद मिलेगी।
वारों के नाम: सोमवार (चंद्रमा), मंगलवार (मंगल), बुधवार (बुध), गुरुवार (बृहस्पति), शुक्रवार (शुक्र), शनिवार (शनि), और रविवार (सूर्य)।
4. योग
नक्षत्र की तरह योग भी 27 होते हैं। योग सूर्य और चंद्रमा के बीच की दूरी की एक विशेष गणना है। दैनिक पंचांग (dainik panchang) का योग आपको महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने के लिए सबसे सही समय को चुनने में मदद कर सकता है।
योगों के नाम: विष्कुंभ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगंड, सुकर्मा, धृति, शूल, गंड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यतिपात, वारियान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्मा, इंद्र और वैधृति।
5. करण
दो करण मिलकर एक तिथि बनाते हैं। एक तिथि के पहले भाग के दिन के दौरान और दूसरा उसके दूसरे भाग के दौरान होता है। करणों को जानने से आपको यह तय करने में मदद मिल सकती है कि क्या कदम उठाना है और क्या नहीं। अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में ये सहायक हो सकते हैं।
ऐसे 11 करण हैं जिनके नाम बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पद, नाग और किम्स्तुघ्न हैं। विष्टि करण, जिसे भद्रा भी कहा जाता है, के दौरान शुभ कार्य करना एकदम मना होते हैं।
आज के पंचांग के क्या लाभ हैं?
पंचांग हिंदू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण जैसी जानकारी प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य समय की सटीकता और धार्मिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त की पहचान करना है। पंचांग के माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि कौन सा समय किसी विशेष कार्य के लिए उपयुक्त है, जिससे कार्यों में सफलता और समृद्धि मिलती है। उदाहरण के लिए, विवाह, गृह प्रवेश, वाहन खरीदारी जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए पंचांग में बताए गए शुभ मुहूर्त का पालन करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, पंचांग में बताए गए अशुभ समय, जैसे राहुकाल, यमगंड, गुलिक काल आदि, से बचना चाहिए, ताकि कार्यों में विघ्न न आए। इस प्रकार, पंचांग का अध्ययन हमारे दैनिक जीवन में समय की प्रबंधन और धार्मिक कार्यों की सफलता में सहायक होता है।