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Bhagwan Mahadev Arti (भगवान् महादेव )
भगवान् महादेव
हर हर हर महादेव!
सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव! सबके स्वामी।
अविकारी, अबविनाशी, अज, अन् न्तर्याभी॥ ९ ॥हर हर०॥
आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी।
अमल, अरूप, अगोचर, अखिचल, अधघहारी॥ २॥हर० हर०II
ब्रह्म, विष्णु, महेश्वर, तुम म त्रिमूर्तिधारी।
कर्ता, भर्ता, धर्ता तुम ही संहारी॥ ३ ॥हर हर०॥
रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय, औढरदानी।
साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता, अभिमानी॥ ४ ॥ हर हर०॥
मणिमय-भवन निवासी, अति भोगी, रागी।
सदा श्मशान विहारी, योगी वैरागी॥ ५ ॥ हर हर०॥
छाल-कपाल, गरल-गल, मुण्डमाल, व्याली।
चिताभस्मतन, त्रिनयन, अयनमहाकाली॥ ६ ॥ हर हर०॥
प्रेत-पिशाच-सुसेवित, पीतजटाधारी।
विवसन विकट रूपधर रुद्र प्रलयकारी॥ ७ ॥ हर हर०॥
शुभ्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी।
अतिकमनीय, शान्तिकर, शिवमुनि-मन-हारी॥ ८ ॥ हर हर०॥
निर्गुण, सगुण, निरञ्जन , जगमय, नित्य-प्रभो।
कालरूप केवल हर! कालातीत विभो॥ ९ ॥हर हर०॥
सत् , चित् , आनंद, रसमय, करुणामय धाता।
प्रेम-सुधा-निधि, प्रियतम, अखिल विश्व त्राता॥ १०॥ हर हर०॥
हम अतिदीन, दयामय ! चरण-शरण दीजे।
सब बिधि निर्मल मति कर अपना कर लीजे॥ ११॥ हर हर०॥