Sarvrup Bhagwan Arti (सर्वरूप भगवान् आरती)
सर्वरूप हरि-वन्दन ये शैवा: समुपासते शिव इति ब्रहति वेदान्तिनो बौद्धा बुद्ध इति प्रमाणपटव: कर्तेति नैयायिका: । अर्हन्नित्यथ जैनशासनरता: कर्मेति मीमांसका: सोड्यं वो विदधातु वाज्छितफलं त्रैलोक्यनाथो हरि: ॥ सर्वरूप भगवान् जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे। मायातीत, महेश्वर मन-वच-बुद्धि परे॥ टेक ॥ आदि, अनादि, अगोचर, अविचल, अविनाशी। अतुल, अनन्त, अनामय, अमित, शक्ति-राशी ॥ १॥ जय० अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी। सत-चित-सुखमय, सुन्दर शिव सत्ताधारी॥ २॥ जय० विधि-हरि-शंकर-गणपति-सूर्य-शक्तिरूपा | विश्व चराचर तुम ही, तुम ही जगभूपा॥ ३॥ जय० माता-पिता-पितामह-स्वामि-सुद्दद भर्ता । विश्वोत्यादक पालक रक्षक संहर्ता ॥ ४ ॥ जय० साक्षी, शरण, सखा, प्रिय, प्रियतम, पूर्ण प्रभो। केवल-काल कलानिधि, कालातीत, विभो॥ ५॥ जय० राम-कृष्ण, करुणामय, प्रेमामृत-सागर। मन-मोहन मुरलीधर , नित-नव नटनागर॥ ६॥ जय० सब बिधि हीन, मलिन-मति, हम अति पातकि-जन। प्रभुपद-विमुख अभागी, कलि-कलुधषित तन-मन॥ ७॥ जय० आश्रय-दान दयार्णव! हम सबको दीजै। पाप-ताप हर हरि! सब, निज-जन कर लीजै॥ ८ ॥ जय०
Recommendations
Festivals
A calendar of all the various Hindu Festivals throughout the year.
Horoscope
Explore our comprehensive horoscope section for daily, weekly, and monthly astrological insights. Discover what the stars have in store for your love life, career, health, and personal growth across all zodiac signs.