Shri Ganesh Ji Arti (1) (श्रीगणेशजी आरती)

भगवान्‌ श्रीगणेशजी आरति गजवदन विनायककी। सुर-मुनि-पूजित गणनायककी ॥ टेक ॥ एकदंत शशिभाल गजानन, विघ्नविनाशक शुभगुण कानन, शिवसुत वन्दमान-चतुरानन, दुःखविनाशक सुखदायककी ॥ सुर०॥ ऋणद्धि-सिद्धि-स्वामी समर्थ अति, विमल बुद्धि दाता सुविमल-मति, अघ-वन-दहन, अमल अबिगत गति, विद्या-विनय-विभव-दायककी ॥ सुर०॥ पिज्ञलनयन, विशाल शुंडधर, धूम्रवर्ण शुचि वजकुश-कर, लम्बोदर बाधा-विपत्ति-हर, सुर-वन्दित सब विधि लायककी ॥ सुर०॥