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Bhagwat geeta Chapter 2 Benefits: श्रीमद्भगवद्गीता के दूसरे अध्याय
Bhagavad Gita second chapter (भगवद गीता दूसरा अध्याय)
भगवद गीता के दूसरे अध्याय का नाम "सांख्य योग" या "ज्ञान का योग" है। यह अध्याय गीता का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है, क्योंकि इसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को जीवन, कर्तव्य और आत्मा के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान देते हैं। श्रीकृष्ण अर्जुन को आत्मा की अमरता, कर्मयोग का महत्व और समभाव बनाए रखने की शिक्षा देते हैं। यह अध्याय जीवन में सही दृष्टिकोण अपनाने और अपने धर्म का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।Page no.
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Shri Krishna Sharanam mam (श्रीकृष्णः शरणं मम)
श्री कृष्ण शरणम मम: भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वसुदेव के घर हुआ था, और उन्हें वृंदावन में नंद और यशोदा ने पाल-पोसा। चंचल और शरारती भगवान श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से उनकी बाल्य और युवावस्था की रूप में की जाती है, जो भारत और विदेशों में व्यापक रूप से प्रचलित है। श्री कृष्ण शरणम मम: का उच्चारण करके भक्त भगवान श्री कृष्ण की शरण में आते हैं, यह मंत्र श्री कृष्ण की कृपा और संरक्षण प्राप्त करने का एक प्रमुख उपाय माना जाता है।Stotra
Uddhava Gita - Chapter 1 (उद्धवगीता - प्रथमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के प्रथमोऽध्याय में उद्धव और भगवान कृष्ण के बीच की वार्ता का प्रारंभ होता है। यह अध्याय आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति के महत्व को दर्शाता है।Uddhava-Gita
Bhagavad Gita Fifteenth Chapter (भगवत गीता पन्द्रहवाँ अध्याय)
भगवद गीता पंद्रहवाँ अध्याय "पुरुषोत्तम योग" कहलाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण अश्वत्थ वृक्ष का उदाहरण देकर जीवन और ब्रह्मांड की वास्तविकता को समझाते हैं। वे कहते हैं कि पुरुषोत्तम (सर्वोच्च आत्मा) को पहचानने से ही मोक्ष संभव है। यह अध्याय "ब्रह्मांड का रहस्य", "आध्यात्मिक ज्ञान", और "मोक्ष का मार्ग" सिखाता है।Bhagwat-Gita
Krishna Sahasranama Stotram (कृष्ण सहस्रनाम स्तोत्रम्)
श्री कृष्ण सहस्त्रनाम का पाठ ऐसा पाठ है जिसे करने से मनुष्य भयंकर रोग से, हर प्रकार के कर्ज से, हर प्रकार की चिंता, अवसाद आदि से मुक्ति पा सकता है। श्री कृष्ण सहस्त्रनाम के पाठ से मनुष्य के घर-परिवार में शांति रहती है, शत्रु का नाश होता है, सौभाग्य में वृद्धि होती है, अपार धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।Sahasranama-Stotram
Uddhava Gita - Chapter 11 (उद्धवगीता - एकादशोऽध्यायः)
उद्धवगीता के एकादशोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में आत्मज्ञान और ध्यान की विधियों पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 15 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - पंचदशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता का पंचदशो अध्याय पुरुषोत्तम योग के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण परम पुरुष और आध्यात्मिक ज्ञान की महिमा का वर्णन करते हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Uddhava Gita - Chapter 4 (उद्धवगीता - चतुर्थोऽध्यायः)
उद्धवगीता के चतुर्थोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में वैराग्य और आध्यात्मिक साधना पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Shri Govinda Ashtakam (श्री गोविन्द अष्टकम्)
श्रीमद भागवत के अनुसार Shri Krishna सर्वकष्ट विनाशी माने जाते है। अगर सच्चे मन से उनकी worship किया जाए और Shri Govinda Ashtakam का recitation किया जाए तो humans को कोई भी परेशानियों का सामना नही करना पड़ता है। Shri Govinda Ashtakam का chanting नियमित रूप से करने से Shri Krishna भगवान भी प्रसन्न हो जाते है और अपने devotees पर पूर्ण रूप से blessing बनाये रखते है। अगर practitioner सच्चे मन से Shri Govinda Ashtakam का recitation करता है तो उसके सारे sins धुल जाते है इस chanting को करने से human life की सभी प्रकार की diseases व suffering नष्ट होने लगते है। और positive energy जीवन में बनाये रखता है। Shri Govinda Ashtakam recitation को करने से desired wishes भी fulfilled होती है।Ashtakam