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Shri Gayatri Kavacham || श्री गायत्री कवचम् : Full Benefits with Lyrics in Sanskrit
Shri Gayatri Kavacham (श्री गायत्री कवचम्)
श्री Gayatri Kavach एक महान Kavach है जिसे स्वयं भगवान Shri Narayana ने Maharishi Narada को सिखाया और Maharishi Ved Vyasa द्वारा इसे रचित किया गया। Shri Gayatri Kavach का उल्लेख Shrimad Devi Bhagavata Purana के 12वें Skandha के तीसरे अध्याय में किया गया है। भगवान Sriman Narayana ने Maharishi Narada को Devi Gayatri के इस दिव्य Kavach की महिमा और इसे जपने से मिलने वाले Punya के बारे में बताया। भगवान ने कहा कि इस पवित्र Kavach का पाठ करने से साधक के समस्त Pap नष्ट हो जाते हैं, सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, और साधक को Moksha की प्राप्ति होती है। भगवान Sriman Narayana ने आगे बताया कि Devi Gayatri का यह दिव्य Kavach सभी बाधाओं और बुराइयों को नष्ट करने में सक्षम है। यह साधक को 64 प्रकार के Knowledge (Art Forms) प्रदान करने और Moksha देने में समर्थ है। इसके अलावा, जो भी व्यक्ति Gayatri Kavach का पाठ करता है या इसकी महिमा को सुनता है, वह एक हजार Gau-Daan (एक हजार Cows का दान) के बराबर Punya प्राप्त करता है। इस प्रकार Shri Gayatri Kavach एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली रचना है, जो जीवन के सभी कष्टों को समाप्त कर, साधक को Divinity और Moksha की ओर ले जाती है।गायत्री कवचम् (Gayatri Kavacha)
विश्वामित्र महाप्राज्ञ गायत्री कवचं शृणु,
यस्य विज्ञानमात्रेण त्रैलोक्यं वशयेत्क्षणात्॥१॥
सावित्री मे शिरः पातु शिखायाममृतेश्वरी,
ललाटं ब्रह्म दैवत्या भ्रुवौ मे पातु वैष्णवी।॥२॥
कणौ मे पातु रुद्राणी सूर्या सावित्रीकाऽम्बके,
गायत्री वदनं पातु शारदा दशनच्छदौ॥२॥
द्विजान्यज्ञप्रिया पातु रसनायां सरस्वती,
मांख्यायनी नासिकां मे कपोलौ चंद्रहासिनी।४॥
चिबुकं वेदगर्भां च कण्ठं पात्वघनाशिनी,
-स्तनौ मे पातु इन्द्राणी हदयं ब्रह्मवादिनी।।५॥
उदरं विश्वभोक्त्री च नाभो पातु सुरप्रिया,
जघनं नारसिंही च पृष्ठं ब्रह्माण्डधारिणी॥६॥
पाश्वों मे पातु पद्माक्षी गुह्यं गोगोप्त्रिकाऽवतु,
ऊर्वो काररूपा च जान्वोः संध्यात्मिकाऽवतु॥॥७॥
जंघयोः पातु अक्षोभ्या गुल्फयो्ब्रह्य शीर्षका,
सूर्या पद दयं पातु चन्दा पादांगुलीषु च।।८॥
सर्वाङ्ग वेद जननी पातु मे सर्वदाऽनघा।॥९॥
इत्येतत् कवचं ब्रह्मन् गायत्र्याः सर्वपावनम्।
पुण्यं पवित्रं पापध्नं सर्वं रोग निवारणम्।॥९०॥
त्रिसंध्यं यः पठेद्विद्वान सर्वान् कामान वाप्नुयात्,
सर्व शास्त्रार्थं तत्वज्ञ: स भवेदवेदवित्तमः॥॥९९॥
सर्वयज्ञफलम् प्राप्य ब्रह्मान्ते समवाप्नुयात्,
प्राप्नोति जपमात्रेण पुरुषार्थाश्चतुर्विधान्॥९२॥
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Alabhya Gayatri Kavacham (अलभ्य श्री गायत्री कवचम्)
अलभ्य श्री गायत्री कवचम् एक दिव्य spiritual armor है, जो माता Goddess Gayatri की कृपा से साधक को अद्भुत protection and wisdom प्रदान करता है। इस sacred kavach का पाठ करने से साधक को divine blessings प्राप्त होती हैं और वह हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षित रहता है। यह powerful mantra मानसिक शांति, आध्यात्मिक शक्ति और positive energy को बढ़ाने में सहायक है। श्री Gayatri Kavacham का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को success, prosperity और spiritual growth प्राप्त होती है। जो व्यक्ति अपने जीवन में knowledge, intelligence और आत्मिक बल चाहता है, उसके लिए यह sacred shield अत्यंत प्रभावशाली है। यह divine armor व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है तथा उसे peace, happiness और समृद्धि की ओर अग्रसर करता है। Goddess Gayatri की कृपा से व्यक्ति के भीतर clarity of mind आती है और वह अपने जीवन के सही मार्ग को पहचानने में सक्षम होता है।Kavacha
Gayatri Sahasranama Stotram (गायत्री सहस्रनाम स्तोत्रम्)
श्री गायत्री सहस्रनाम स्तोत्रम् (Shri Gayatri Sahasranama Stotram) में देवी गायत्री (Goddess Gayatri) के एक हजार पवित्र नामों (holy names) का संग्रह है। यह स्तोत्र ज्ञान (knowledge), आध्यात्मिक शक्ति (spiritual power), और मोक्ष (salvation) की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। गायत्री देवी को वेदों की माता (Mother of Vedas) और ब्रह्मांडीय ऊर्जा (cosmic energy) का स्रोत माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ (chanting) श्रद्धा (devotion) और समर्पण (dedication) के साथ करने से व्यक्ति के जीवन में शांति (peace), समृद्धि (prosperity), और सकारात्मकता (positivity) का आगमन होता है। देवी गायत्री अपने भक्तों को अज्ञानता (ignorance) से मुक्त कर दिव्यता (divinity) की ओर ले जाती हैं।Sahasranama-Stotram
Gayatri Stuti (गायत्री स्तुतिः)
गायत्री स्तुति वेदों की सबसे पवित्र प्रार्थना है, जो गायत्री देवी (Goddess Gayatri) की महिमा का वर्णन करती है। इसे वेदमाता (Mother of Vedas) कहा जाता है, जो ज्ञान, प्रकाश (Divine Light), और आध्यात्मिक ऊर्जा (Spiritual Energy) की प्रतीक हैं। यह स्तुति भक्तों को बुद्धि (Wisdom) और आत्मा (Soul) की शुद्धि के लिए प्रेरित करती है। गायत्री मंत्र और स्तुति का नियमित पाठ व्यक्ति को दिव्य शक्ति (Divine Power) प्रदान करता है, जिससे वह अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और शांति प्राप्त कर सकता है। गायत्री स्तुति का महत्व केवल आध्यात्मिक (Spiritual) ही नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक (Physical and Mental) शांति में भी है। गायत्री देवी की आराधना से भक्त को सर्वज्ञता (Universal Knowledge) और सृष्टि के मूल सत्य का अनुभव होता है।Stuti
Shri Gayatri Chalisa (श्री गायत्री चालीसा)
गायत्री चालीसा माँ गायत्री पर आधारित है, जिन्हें Vedmata, Savitri, और Adishakti भी कहा जाता है। Gayatri mantra "ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्" का जाप चालीसा पाठ के दौरान करना mental clarity, peace, और positive energy लाने में सहायक है।Chalisa
Nitya Sandhya Vandanam (नित्य संध्या वंदनम्)
नित्य संध्या वंदनम्: यह संध्या वंदन प्रतिदिन की जाने वाली प्रार्थना है जो तीन समय की संध्या के दौरान की जाती है।MahaMantra
Gayatryashtotrashata Namastotram (गायत्र्यष्टोत्तरशत नामस्तोत्रम्)
गायत्र्यष्टोत्तरशत नामस्तोत्रम् (Gayatryashtotrashata Namastotram) तरुणादित्यसङ्काशा सहस्रनयनोज्ज्वला । विचित्रमाल्याभरणा तुहिनाचलवासिनी ॥ 1 ॥ वरदाभयहस्ताब्जा रेवातीरनिवासिनी । प्रणित्ययविशेषज्ञा यन्त्राकृतविराजित ॥ 2 ॥ भद्रपादप्रिया चैव गोविन्दपथगामिनी । देवर्षिगणसंस्तुत्या वनमालाविभूषिता ॥ 3 ॥ स्यन्दनोत्तमसंस्था च धीरजीमूतनिस्वना । मत्तमातङ्गगमना हिरण्यकमलासना ॥ 4 ॥ दीनजनोद्धारनिरता योगिनी योगधारिणी । नटनाट्यैकनिरता प्रणवाद्यक्षरात्मिका ॥ 5 ॥ चोरचारक्रियासक्ता दारिद्र्यच्छेदकारिणी । यादवेन्द्रकुलोद्भूता तुरीयपथगामिनी ॥ 6 ॥ गायत्री गोमती गङ्गा गौतमी गरुडासना । गेयगानप्रिया गौरी गोविन्दपदपूजिता ॥ 7 ॥ गन्धर्वनगरागारा गौरवर्णा गणेश्वरी । गदाश्रया गुणवती गह्वरी गणपूजिता ॥ 8 ॥ गुणत्रयसमायुक्ता गुणत्रयविवर्जिता । गुहावासा गुणाधारा गुह्या गन्धर्वरूपिणी ॥ 9 ॥ गार्ग्यप्रिया गुरुपदा गुहलिङ्गाङ्गधारिणी । सावित्री सूर्यतनया सुषुम्नानाडिभेदिनी ॥ 10 ॥ सुप्रकाशा सुखासीना सुमति-स्सुरपूजिता । सुषुप्त्यवस्था सुदती सुन्दरी सागराम्बरा ॥ 11 ॥ सुधांशुबिम्बवदना सुस्तनी सुविलोचना । सीता सत्त्वाश्रया सन्ध्या सुफला सुविधायिनी ॥ 12 ॥ सुभ्रू-स्सुवासा सुश्रोणी संसारार्णवतारिणी । सामगानप्रिया साध्वी सर्वाभरणभूषिता ॥ 13 ॥ वैष्णवी विमलाकारा महेन्द्री मन्त्ररूपिणी । महलक्ष्मी-र्महासिद्धि-र्महामाया महेश्वरी ॥ 14 ॥ मोहिनी मदनाकारा मधुसूदनचोदिता । मीनाक्षी मधुरावासा नगेन्द्रतनया उमा ॥ 15 ॥ त्रिविक्रमपदाक्रान्ता त्रिस्वरा त्रिविलोचना । सूर्यमण्डलमध्यस्था चन्द्रमण्डलसंस्थिता ॥ 16 ॥ वह्निमण्डलमध्यस्था वायुमण्डलसंस्थिता । व्योममण्डलमध्यस्था चक्रिणी चक्ररूपिणी ॥ 17 ॥ कालचक्रवितानस्था चन्द्रमण्डलदर्पणा । ज्योत्स्नातपासुलिप्ताङ्गी महामारुतवीजिता ॥ 18 ॥ सर्वमन्त्राश्रया धेनुः पापघ्नी परमेश्वरी । नमस्तेऽस्तु महालक्ष्मी-र्महासम्पत्तिदायिनि ॥ 19 ॥ नमस्ते करुणामूर्ते नमस्ते भक्तवत्सले । गायत्र्याः प्रजपेद्यस्तु नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ॥ 20 ॥ तस्य पुण्यफलं वक्तुं ब्रह्मणापि न शक्यते । इति श्रीगायत्र्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।Stotra