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Shri Janaki Ji Arti || श्री जानकी जी की आरती : Full Lyrics in Sanskrit; आरति कीजै जनक-ललीकी !!
Shri Janaki Ji Arti 2 (श्री जानकी जी की आरती)
श्री Janki Ji की आरती देवी Sita Mata की सहनशीलता, त्याग और अद्वितीय शक्ति का स्मरण कराती है। वह Hindu culture में ideal womanhood और unconditional devotion की प्रतीक हैं। इस आरती का गान भक्तों के मन में serenity, positivity और divine love की भावना जाग्रत करता है। Sita Mata की आराधना से परिवार में harmony, prosperity और spiritual growth आती है। उनकी महिमा troubles को दूर कर जीवन में courage और dharma का संचार करती है।श्री जानकी जी की आरती (Shri Janaki Ji Arti)
आरति कीजै जनक-ललीकी ।
राममधुपमन कमल-कलीकी ॥
रामचंद्र मुखचंद्र चकोरी ।
अंतर साँवर बाहर गोरी।
सकल सुमंगल सुफल फलीकी ॥
पिय दृगमृग जुग बंधन डोरी ।
पीय प्रेम रस-राशि किशोरी।
पिय मन गति विश्राम थलीकी ॥
रूप-रास-गुननिधि जग स्वामिनि।
प्रेम प्रबीन राम अभिरामिनि।
सरबस धन ‘हरिचंद’ अलीकी ॥
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