No festivals today or in the next 14 days. 🎉

Shri Lakshmi Narayan Kavacham || श्री लक्ष्मीनारायण कवचम् : Full Lyrics in Sanskrit

Shri Lakshmi Narayan Kavacham (श्री लक्ष्मीनारायण कवचम्)

लक्ष्मी नारायण कवच (Lakshmi Narayan Kavach) एक अत्यंत प्रभावशाली कवच है। इसका नियमित पाठ करने से साधक को Wealth, Prosperity और Good Health प्राप्त होती है, क्योंकि यह Goddess Lakshmi और Lord Narayana की कृपा को आकर्षित करता है। यदि कोई व्यक्ति अपने Business में लगातार Losses का सामना कर रहा है और कठिन Hard Work करने के बावजूद उसका Business सफल नहीं हो रहा, तो उसे अवश्य ही Lakshmi Narayan Kavach का पाठ करना चाहिए। यह व्यक्ति को Financial Stability दिलाने के साथ-साथ उसके व्यापार में Success और Growth प्रदान करता है। जो लोग आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे हैं या Work Field में तरक्की नहीं मिल रही, उनके लिए यह कवच अत्यंत लाभकारी है। यह न केवल Money और Economic Progress को बढ़ावा देता है, बल्कि जीवन में Positivity भी लाता है। यदि किसी व्यक्ति का जीवन Tensions और Troubles से भरा हुआ है, और बार-बार Negative Thoughts मन में आते हैं, तो उसे इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। यह मानसिक शांति, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे जीवन में Happiness और Success का संचार होता है।
॥ श्री लक्ष्मीनारायण कवचम् ॥
(Shri Lakshmi Narayan Kavacham)
॥ श्री भैरव उवाच ॥
अधुना देवि वक्ष्यामि लक्ष्मीनारायणस्य ते ।
कवचं मन्त्रगर्भं च वज्रपञ्जरकाख्यया ॥
श्रीवज्रपञ्जरं नाम कवचं परमाद्भुतम् ।
रहस्यं सर्वदेवानां साधकानां विशेषतः ॥
यं धृत्वा भगवान् देवः प्रसीदति परः पुमान् ।
यस्य धारणमात्रेण ब्रह्मा लोकपितामहः ॥
ईश्वरोऽहं शिवो भीमो वासवोऽपि दिवस्पतिः ।
सूर्यस्तेजोनिधिर्देवि चन्द्रर्मास्तारकेश्वरः ॥
वायुश्च बलवांल्लोके वरुणो यादसाम्पतिः ।
कुबेरोऽपि धनाध्यक्षो धर्मराजो यमः स्मृतः ॥
यं धृत्वा सहसा विष्णुः संहरिष्यति दानवान् ।
जघान रावणादींश्च किं वक्ष्येऽहमतः परम् ॥
कवचस्यास्य सुभगे कथितोऽयं मुनिः शिवः ।
त्रिष्टुप् छन्दो देवता च लक्ष्मीनारायणो मतः ॥
रमा बीजं परा शक्तिस्तारं कीलकमीश्वरि ।
भोगापवर्गसिद्ध्यर्थं विनियोग इति स्मृतः ॥
ॐ अस्य श्रीलक्ष्मीनारायणकवचस्य शिवः ऋषिः,
त्रिष्टुप् छन्दः , श्रीलक्ष्मीनारायण देवता,
श्रीं बीजं , ह्रीं शक्तिः,
ॐ कीलकं ,भोगापवर्गसिद्ध्यर्थे पाठे विनियोगः ।
॥ अथ ध्यानम् ॥
पूर्णेन्दुवदनं पीतवसनं कमलासनम् ।
लक्ष्म्या श्रितं चतुर्बाहुं लक्ष्मीनारायणं भजे ॥
॥ अथ कवचम् ॥
ॐ वासुदेवोऽवतु मे मस्तकं सशिरोरुहम् ।
ह्रीं ललाटं सदा पातु लक्ष्मीविष्णुः समन्ततः ॥
ह्सौः नेत्रेऽवताल्लक्ष्मीगोविन्दो जगतां पतिः ।
ह्रीं नासां सर्वदा पातु लक्ष्मीदामोदरः प्रभुः ॥
श्रीं मुखं सततं पातु देवो लक्ष्मीत्रिविक्रमः ।
लक्ष्मी कण्ठं सदा पातु देवो लक्ष्मीजनार्दनः ॥
नारायणाय बाहू मे पातु लक्ष्मीगदाग्रजः ।
नमः पार्श्वौ सदा पातु लक्ष्मीनन्दैकनन्दनः ॥
अं आं इं ईं पातु वक्षो ॐ लक्ष्मीत्रिपुरेश्वरः ।
उं ऊं ऋं ॠं पातु कुक्षिं ह्रीं लक्ष्मीगरुडध्वजः ॥
लृं लॄं एं ऐं पातु पृष्ठं ह्सौः लक्ष्मीनृसिंहकः ।
ओं औं अं अः पातु नाभिं ह्रीं लक्ष्मीविष्टरश्रवः ॥
कं खं गं घं गुदं पातु श्रीं लक्ष्मीकैटभान्तकः ।
चं छं जं झं पातु शिश्र्नं लक्ष्मी लक्ष्मीश्वरः प्रभुः ॥
टं ठं डं ढं कटिं पातु नारायणाय नायकः ।
तं थं दं धं पातु चोरू नमो लक्ष्मीजगत्पतिः ॥
पं फं बं भं पातु जानू ॐ ह्रीं लक्ष्मीचतुर्भुजः ।
यं रं लं वं पातु जङ्घे ह्सौः लक्ष्मीगदाधरः ॥
शं षं सं हं पातु गुल्फौ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीरथाङ्गभृत् ।
ळं क्षः पादौ सदा पातु मूलं लक्ष्मीसहस्रपात् ॥
ङं ञं णं नं मं मे पातु लक्ष्मीशः सकलं वपुः ।
इन्द्रो मां पूर्वतः पातु वह्निर्वह्नौ सदावतु ॥
यमो मां दक्षिणे पातु नैरृत्यां निरृतिश्च माम् ।
वरुणः पश्चिमेऽव्यान्मां वायव्येऽवतु मां मरुत् ॥
उत्तरे धनदः पायादैशान्यामीश्वरोऽवतु ।
वज्रशक्तिदण्डखड्ग पाशयष्टिध्वजाङ्किताः ॥
सशूलाः सर्वदा पान्तु दिगीशाः परमार्थदाः ।
अनन्तः पात्वधो नित्यमूर्ध्वे ब्रह्मावताच्च माम् ॥
दशदिक्षु सदा पातु लक्ष्मीनारायणः प्रभुः ।
प्रभाते पातु मां विष्णुर्मध्याह्ने वासुदेवकः ॥
दामोदरोऽवतात् सायं निशादौ नरसिंहकः।
सङ्कर्षणोऽर्धरात्रेऽव्यात् प्रभातेऽव्यात् त्रिविक्रम॥
अनिरुद्धः सर्वकालं विश्वक्सेनश्च सर्वतः ।
रणे राजकुले द्युते विवादे शत्रुसङ्कटे
ॐ ह्रीं ह्सौः ह्रीं श्रीं मूलं लक्ष्मीनारायणोऽवतु ॥
ॐॐॐरणराजचौररिपुतः पायाच्च मां केशवः
ह्रींह्रींह्रींहह्हाह्सौः ह्सह्सौः वह्नेर्वतान्माधवः ।
ह्रींह्रींह्रींजलपर्वताग्निभयतः पायादनन्तो विभुः
श्रींश्रींश्रींशशशाललं प्रतिदिनं लक्ष्मीधव पातु माम्॥
इतीदं कवचं दिव्यं वज्रपञ्जरकाभिधम् ।
लक्ष्मीनारायणस्येष्टं चतुर्वर्गफलप्रदम् ॥
सर्वसौभाग्यनिलयं सर्वसारस्वतप्रदम् ।
लक्ष्मीसंवननं तत्वं परमार्थरसायनम् ॥
मन्त्रगर्भं जगत्सारं रहस्यं त्रिदिवौकसाम् ।
दशवारं पठेद्रात्रौ रतान्ते वैष्णवोत्तमः ॥
स्वप्ने वरप्रदं पश्येल्लक्ष्मीनारायणं सुधीः ।
त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं कवचं मन्मुखोदितम् ॥
स याति परमं धाम वैष्णवं वैष्णवेश्वरः ।
महाचीनपदस्थोऽपि यः पठेदात्मचिन्तकः ॥
आनन्दपूरितस्तूर्णं लभेद् मोक्षं स साधकः ।
गन्धाष्टकेन विलिखेद्रवौ भूर्जे जपन्मनुम् ॥
पीतसूत्रेण संवेष्ट्य सौवर्णेनाथ वेष्टयेत् ।
धारयेद्गुटिकां मूर्ध्नि लक्ष्मीनारायणं स्मरन् ॥
रणे रिपुन् विजित्याशु कल्याणी गृहमाविशेत् ।
वन्ध्या वा काकवन्ध्या वा मृतवत्सा च याङ्गना ॥
सा बध्नीयान् कण्ठदेशे लभेत् पुत्रांश्चिरायुषः ।
गुरुपदेशतो धृत्वा गुरुं ध्यात्वा मनुं जपन् ॥
वर्णलक्षपुरश्चर्या फलमाप्नोति साधकः ।
बहुनोक्तेन किं देवि कवचस्यास्य पार्वति ॥
विनानेन न सिद्धिः स्यान्मन्त्रस्यास्य महेश्वरि ।
सर्वागमरहस्याढ्यं तत्वात् तत्वं परात् परम् ॥
अभक्ताय न दातव्यं कुचैलाय दुरात्मने ।
दीक्षिताय कुलीनाय स्वशिष्याय महात्मने ॥
महाचीनपदस्थाय दातव्यं कवचोत्तमम् ।
गुह्यं गोप्यं महादेवि लक्ष्मीनारायणप्रियम् ।
वज्रपञ्जरकं वर्म गोपनीयं स्वयोनिवत् ॥
॥ इति श्री लक्ष्मीनारायण कवचं सम्पूर्णम् ॥

Related to Lakshmi

Maha Lakshmyashtakam Strotra (महालक्ष्म्यष्टकम्)

महालक्ष्मी अष्टकम देवराज इन्द्र द्वारा रचित माता लक्ष्मी को समर्पित एक स्तोत्र है, इसका उल्लेख पद्म पुराण में हुआ है। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से साधक महालक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य संपन्न हो जाता है, उसके महान पातकों और शत्रुओं का नाश हो जाता है।
Stotra

Shri Mahalakshmi Ashtakam (श्री महालक्ष्मी अष्टकम् )

श्री महालक्ष्मी अष्टकम (Shri Mahalakshmi Ashtakam) संस्कृत में Goddess Mahalakshmi को समर्पित एक Sacred Prayer है। Shri Mahalakshmi Ashtakam Padma Purana से लिया गया है, और इस Devotional Prayer का Chanting Lord Indra ने Goddess Mahalakshmi की Stuti (Praise) में किया था। Maa Lakshmi का अर्थ Hindu Dharma में Good Luck से है। 'Lakshmi' शब्द संस्कृत के "Lakshya" शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'Aim' या 'Goal'। वह Wealth and Prosperity की Goddess हैं, जो Material और Spiritual दोनों रूपों में Abundance और Success प्रदान करती हैं। Hindu Mythology में, Maa Lakshmi, जिन्हें "Shri" भी कहा जाता है, Lord Vishnu की Divine Consort हैं और उन्हें Financial Stability, Fortune, and Wealth प्रदान करती हैं, ताकि वे Creation के Maintenance and Preservation में सक्षम हो सकें। इस Stotra का Regular Chanting करने से Ashtakam के समस्त Benefits प्राप्त होते हैं।
Ashtakam

Lakshmi Nrusimha Karavalamba Stotram (लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्रम्)

लक्ष्मी नरसिंह करावलम्ब स्तोत्रम् (Lakshmi Nrusimha Karavalamba Stotram) भगवान नरसिंह देव (God Narasimha) की कृपा पाने और नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) से बचने के लिए अत्यंत प्रभावी है। यह स्तोत्रम् भक्तों को संरक्षण (divine protection) प्रदान करता है और उनके जीवन से कष्टों (hardships) को दूर करता है। लक्ष्मीपति विष्णु (Lakshmipati Vishnu) की आराधना करने से धन संपत्ति (wealth prosperity) और आध्यात्मिक उन्नति (spiritual growth) प्राप्त होती है। यह स्तोत्रम् पापों से मुक्ति (freedom from sins) दिलाने वाला और ईश्वरीय अनुग्रह (divine grace) देने वाला माना जाता है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को सफलता और शांति (success and peace) प्राप्त होती है। कलियुग के दोषों (Kali Yuga Dosha) से बचने और मोक्ष प्राप्ति के लिए यह अत्यंत फलदायी है।
Stotra

Shri Sukt (श्री सूक्त)

श्री सूक्त का पाठ करने से महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसे मां लक्ष्मी की अराधना करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। श्री यंत्र के सामने श्री सूक्त का पाठ किया जाता है। इस मंत्र में श्री सूक्त के पंद्रह छंदों में अक्षर, शब्दांश और शब्दों के उच्चारण से अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी के ध्वनि शरीर का निर्माण किया जाता है। श्रीसूक्त ऋग्वेद के पांचवे मण्डल के अन्त में होता है। सुक्त में मंत्रों की संख्या पन्द्रह है। सोलहवें मंत्र में फलश्रुति है।
Sukt

Ashtalakshmi Stuti (अष्टलक्ष्मी स्तुति)

Ashtalakshmi Stuti देवी Mahalakshmi के eight divine forms, जिन्हें Ashta Lakshmi कहा जाता है, की praise में गाई जाने वाली एक devotional hymn है। यह stotra भक्तों को wealth, prosperity, knowledge, strength, progeny, courage, and success प्रदान करने वाली Devi Lakshmi के विभिन्न स्वरूपों की glory का वर्णन करता है। Ashta Lakshmi के आठ स्वरूप हैं: Adi Lakshmi, जो eternal wealth प्रदान करती हैं; Dhana Lakshmi, जो material prosperity का आशीर्वाद देती हैं; Dhanya Lakshmi, जो agriculture and food का आशीर्वाद देती हैं; Gaja Lakshmi, जो power and royalty प्रदान करती हैं; Santana Lakshmi, जो offspring and family happiness का आशीर्वाद देती हैं; Veera Lakshmi, जो valor and victory प्रदान करती हैं; Vijaya Lakshmi, जो success in all endeavors देती हैं; और Vidya Lakshmi, जो education and wisdom का आशीर्वाद देती हैं। Ashtalakshmi Stuti का chanting विशेष रूप से Fridays, Diwali, और Navratri में अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसे pure devotion और clean surroundings में करने से भक्तों के जीवन में peace, prosperity, and divine grace आती है।
Stuti

Shri Lakshmi Sahasranama Stotram (श्री लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्रम्)

लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्र स्कंद पुराण से लिया गया है, जहां इसे ऋषि सनत कुमार द्वारा 12 ऋषियों के एक समूह को सिखाए जाने का उल्लेख है। यहां यह भी कहा गया है कि देवी लक्ष्मी स्वयं कहती हैं कि यदि यह स्तोत्र बिना विश्वास के भी पाठ किया जाए, तो भी वह उस कुल में सदैव निवास करती हैं। एक अन्य महा लक्ष्मी सहस्रनाम का उल्लेख ब्रह्म पुराण में किया गया है, जो कश्मीर के वर्णन वाले अध्याय और हिरण्यगर्भ हृदय के अध्याय में पाया जाता है। इस अनुवाद के स्रोत में 1,033 नामों का उल्लेख है, हालांकि सहस्रनाम के पाठ में 1,008 नाम होने का उल्लेख है। कुछ स्पष्ट रूप से दोहराए गए नामों को मिला दिया गया है। इस प्रकाशन की एक और विशेषता यह है कि सहस्रनाम के बीच में देवी लक्ष्मी के कुछ अन्य स्तोत्र जोड़ दिए गए हैं और इन्हें नामावली में भी शामिल किया गया है।
Sahasranama-Stotram

Shri Meenakshi Stuti (श्री मीनाक्षी स्तुति)

Shri Meenakshi Stuti देवी मीनाक्षी की महिमा का वर्णन करती है, जो "Goddess of Power" और "Divine Protector" के रूप में पूजित हैं। यह स्तुति विशेष रूप से मीनाक्षी देवी के सौंदर्य, शक्ति और उनके "Divine Grace" को प्रणाम करती है। देवी मीनाक्षी को "Supreme Goddess" और "Goddess of Knowledge" के रूप में भी जाना जाता है, जो भक्तों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्रदान करती हैं। Shri Meenakshi Stuti का पाठ "Goddess Meenakshi Prayer" और "Spiritual Power Hymn" के रूप में किया जाता है। इसके जाप से व्यक्ति के जीवन में "Divine Protection" और "Inner Peace" का संचार होता है। यह स्तोत्र "Blessings for Prosperity" और "Mental Strength Prayer" के रूप में भी प्रभावी है। इसका नियमित पाठ भक्तों को "Positive Energy" और "Spiritual Awakening" प्रदान करता है। Shri Meenakshi Stuti को "Divine Feminine Energy Chant" और "Goddess Meenakshi Blessings" के रूप में पढ़ने से जीवन में हर बाधा दूर होती है।
Stuti

Padmavati Stotram (पद्मावती स्तोत्रं)

पद्मावती स्तोत्रं: यह स्तोत्र देवी पद्मावती को समर्पित है और उनके आशीर्वाद और सौभाग्य के लिए जपा जाता है।
Stotra

Latest Blogs

साल में दो बार क्यों मनाया जाता है हनुमान जी का जन्मोत्सव, जानिए रहस्य

Hanuman Janm Katha (हनुमान जन्म कथा): Lord Hanuman को शक्ति, भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। वे भगवान राम के परम भक्त हैं और Ramayan Epic में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका से सभी परिचित हैं। Hanuman Ji के भक्त उन पर अटूट श्रद्धा रखते हैं और Mahabali Hanuman भी अपने Devotees की रक्षा करते हैं। Chaitra Purnima पर Hanuman Jayanti 2025 मनाई जाती है। इस साल चैत्र माह की पूर्णिमा यानी 12 April 2025 को हनुमान जयंती का उत्सव मनाया जाएगा। वहीं Valmiki Ramayan के अनुसार, Kartik Month Krishna Paksha Chaturdashi को Hanuman Janmotsav मनाया जाता है। इस साल कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी 19 October 2025 को है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर दो बार Lord Hanuman Birthday क्यों मनाया जाता है। आइए, विस्तार से जानते हैं। Chaitra Purnima and Hanuman Jayanti चैत्र मास की पूर्णिमा को Hanuman Jayanti Festival के रूप में मनाया जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। जब बाल Hanuman ने सूर्य को फल समझकर खाने की कोशिश की, तो Indra Dev ने उन पर Vajra से प्रहार किया। इससे Hanuman Ji मूर्छित हो गए। इससे उनके पिता Pawan Dev (Wind God) क्रोधित हो गए और उन्होंने हवा रोक दी। इससे पूरे ब्रह्मांड पर संकट आ गया। Gods of Hinduism की प्रार्थना के बाद Lord Brahma ने Hanuman Ji को दूसरा जीवन दिया। तब सभी देवताओं ने उन्हें अपनी-अपनी Divine Powers प्रदान कीं। जिस दिन उन्हें नया जीवन मिला, वह Chaitra Purnima Tithi थी। इसलिए इस दिन को Hanuman Jayanti Celebration के रूप में मनाया जाता है। Kartik Chaturdashi and Hanuman Janmotsav वहीं Kartik Month Krishna Chaturdashi को Hanuman Janmotsav के रूप में मनाया जाता है। Valmiki Ramayan के अनुसार, Hanuman Ji का Actual Birth इसी दिन हुआ था। इसलिए इस तिथि को उनके Spiritual Birthday के रूप में मनाने की परंपरा है।

चैत्र नवरात्रि की नवमी पर कर लें ये खास उपाय, मातारानी होंगी प्रसन्न

Navratri Remedies (Navratri ke Upay): चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि (Navami Tithi of Chaitra Navratri) मां दुर्गा की Worship के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन Goddess Siddhidatri की पूजा की जाती है, जो सभी प्रकार की Spiritual Powers और Siddhis को प्रदान करने वाली हैं। Mata Durga को प्रसन्न करने और उनका Blessings प्राप्त करने के लिए नवमी तिथि पर कुछ विशेष spiritual rituals किए जा सकते हैं: 1. Kanya Pujan (Girl Worship Ceremony): नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नौ कन्याओं (जो 2 से 10 वर्ष की हों) को मां दुर्गा के नौ रूपों के प्रतीक के रूप में आमंत्रित करें। उन्हें स्वच्छ स्थान पर बैठाएं, उनके पैर धोएं और रोली-कुमकुम से तिलक करें। उन्हें स्वादिष्ट भोजन (जैसे Puri, Kala Chana, Halwa) खिलाएं और दक्षिणा व उपहार (Gifts for Girls) भेंट करें। कन्याओं को विदा करते समय उनसे आशीर्वाद लें। कन्या पूजन माता को अत्यंत प्रिय है और यह एक powerful Navratri ritual माना जाता है। 2. Havan and Yagya: नवमी के दिन Fire Ritual (Havan) करना बहुत शुभ माना जाता है। आप घर पर ही किसी Pandit की सहायता से या स्वयं Durga Saptashati Mantras से हवन कर सकते हैं। हवन में Barley, Sesame Seeds, Guggul, Pure Ghee और अन्य हवन सामग्री अर्पित करें। Havan Smoke से घर की Negative Energy दूर होती है और Positive Vibes का संचार होता है। 3. Special Worship of Maa Siddhidatri: नवमी के दिन Maa Siddhidatri की Special Puja करें। उन्हें Lotus Flower अर्पित करें, जो उनका प्रिय पुष्प है। 'ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः' मंत्र का 108 बार Chanting करें। Maa Siddhidatri Aarti गाएं और उन्हें Halwa, Kala Chana और Poori का Bhog लगाएं। अपनी Wishes मां के समक्ष रखें। 4. Durga Saptashati Path: यदि संभव हो तो नवमी के दिन Durga Saptashati का Full Recitation करें। यदि पूरा पाठ करना संभव न हो तो इसके महत्वपूर्ण अध्याय जैसे Durga Kavach, Kilik Stotra और Argala Stotra का पाठ अवश्य करें। इससे Divine Blessings मिलती हैं। 5. Charity and Donations (Daan-Punya): नवमी के दिन Underprivileged लोगों को Donation देना बहुत शुभ माना जाता है। आप Grains, Clothes, Cash या अपनी श्रद्धा अनुसार किसी भी वस्तु का दान कर सकते हैं। यह act of kindness मां दुर्गा को प्रसन्न करता है। 6. Use of Yellow Color: नवमी के दिन Yellow Color का विशेष महत्व है। पूजा में Yellow Dress पहनें और मां दुर्गा को Yellow Flowers अर्पित करें। यह color positivity और auspiciousness का प्रतीक माना जाता है। 7. Apology Prayer (Kshama Yachna): Navratri के दौरान यदि कोई गलती हो गई हो तो नवमी के दिन Mata Durga से Forgiveness मांगें। सच्चे मन से मांगी गई क्षमा को मां अवश्य स्वीकार करती हैं। 8. Durga Chalisa Path: Maa Durga की स्तुति में Durga Chalisa Recitation करना भी अत्यंत फलदायी होता है और यह आपकी Spiritual Energy को बढ़ाता है। 9. Creative Activities: नवमी के दिन Creative Work में शामिल होना शुभ होता है। आप Arts, Music या किसी भी Positive Activity में अपना समय लगा सकते हैं। 10. Stay Positive: इस दिन पूर्ण रूप से Positive Thoughts में रहें और माँ दुर्गा के प्रति Devotion बनाए रखें। Negative Thinking से बचें।

श्री राम की कृपा पाने के लिए करिए इन मंत्रों का जाप, होगा सौभाग्य का उदय

Ram Navami 2025:R Chaitra Navratri 2025 के अंतिम दिन Ram Navami Festival का पावन पर्व मनाया जाता है। इस बार Ram Navami Date रविवार, 06 अप्रैल 2025 को है। शास्त्रों के अनुसार हिन्दुओं के आराध्य और Lord Vishnu Avatar भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को Madhyahna Muhurat (Midday Time) में जन्म लिया था। इसी दिन का उत्सव मनाने के लिए हर साल चैत्र माह में नवरात्र की नवमी तिथि पर रामनवमी मनाई जाती है। इस दिन पूरी दुनिया के Shri Ram Devotees अपने आराध्य Maryada Purushottam Lord Rama की पूरे मन और श्रद्धा से पूजा करते हैं। इस दिन भगवान के जन्म समय यानी मध्याह्न बेला (Midday Puja Time) तक Ram Navami Vrat (Fasting) रखा जाता है। Lord Rama साहस और वीरता का पर्याय हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति में Inner Courage and Strength का संचार होता है। श्रीराम की छवि मर्यादा पुरुषोत्तम की है, जिनके पूजन से घर में Peace, Prosperity, and Happiness का वातावरण निर्मित होता है। इसलिए भगवान राम के आशीर्वाद को पाने के लिए Ram Navami Puja Vidhi (Rituals) से भगवान श्रीराम की पूजा करनी चाहिए। पूजा के साथ ही Lord Ram Mantra Chanting करने का भी विधान है। इस आलेख में हम आपको वे अत्यंत प्रभावशाली 108 Powerful Shri Ram Mantras बता रहे हैं, जिनके जाप से आपका कल्याण होगा। 1. ॐ परस्मै ब्रह्मने नम: 2. ॐ सर्वदेवात्मकाय नमः 3. ॐ परमात्मने नम: 4. ॐ सर्वावगुनवर्जिताया नम: 5. ॐ विभिषनप्रतिश्थात्रे नम: 6. ॐ जरामरनवर्जिताया नम: 7. ॐ यज्वने नम: 8. ॐ सर्वयज्ञाधिपाया नम: 9. ॐ धनुर्धराया नम: 10. ॐ पितवाससे नम: 11. ॐ शुउराया नम: 12. ॐ सुंदराया नम: 13. ॐ हरये नम: 14. ॐ सर्वतिइर्थमयाया नम: 15. ॐ जितवाराशये नम: 16. ॐ राम सेतुक्रूते नम: 17. ॐ महादेवादिपुउजिताया नम: 18. ॐ मायामानुश्हा चरित्राया नम: 19. ॐ धिइरोत्तगुनोत्तमाया नम: 20. ॐ अनंतगुना गम्भिइराया नम: 21. ॐ राघवाया नम: 22. ॐ पुउर्वभाश्हिने नम: 23. ॐ मितभाश्हिने नम: 24. ॐ स्मितवक्त्राया नम: 25. ॐ पुरान पुरुशोत्तमाया नम: 26. ॐ अयासाराया नम: 27. ॐ पुंयोदयाया नम: 28. ॐ महापुरुष्हाय नम: 29. ॐ परमपुरुष्हाय नम: 30. ॐ आदिपुरुष्हाय नम: 31. ॐ स्म्रैता सर्वाघा नाशनाया नम: 32. ॐ सर्वपुंयाधिका फलाया नम: 33. ॐ सुग्रिइवेप्सिता राज्यदाया नम: 34. ॐ सर्वदेवात्मकाया परस्मै नम: 35. ॐ पाराया नम: 36. ॐ पारगाया नम: 37. ॐ परेशाया नम: 38. ॐ परात्पराया नम: 39. ॐ पराकाशाया नम: 40. ॐ परस्मै धाम्ने नम: 41. ॐ परस्मै ज्योतिश्हे नम: 42. ॐ सच्चिदानंद विग्रिहाया नम: 43. ॐ महोदराया नम: 44. ॐ महा योगिने नम: 45. ॐ मुनिसंसुतसंस्तुतया नम: 46. ॐ ब्रह्मंयाया नम: 47. ॐ सौम्याय नम: 48. ॐ सर्वदेवस्तुताय नम: 49. ॐ महाभुजाय नम: 50. ॐ महादेवाय नम: 51. ॐ राम मायामारिइचहंत्रे नम: 52. ॐ राम मृतवानर्जीवनया नम: 53. ॐ सर्वदेवादि देवाय नम: 54. ॐ सुमित्रापुत्र सेविताया नम: 55. ॐ राम जयंतत्रनवरदया नम: 56. ॐ चित्रकुउता समाश्रयाया नम: 57. ॐ राम राक्षवानरा संगथिने नम: 58. ॐ राम जगद्गुरवे नम: 59. ॐ राम जितामित्राय नम: 60. ॐ राम जितक्रोधाय नम: 61. ॐ राम जितेंद्रियाया नम: 62. ॐ वरप्रदाय नम: 63. ॐ पित्रै भक्ताया नम: 64. ॐ अहल्या शाप शमनाय नम: 65. ॐ दंदकारंय पुण्यक्रिते नम: 66. ॐ धंविने नम: 67. ॐ त्रिलोकरक्षकाया नम: 68. ॐ पुंयचारित्रकिइर्तनाया नमः 69. ॐ त्रिलोकात्मने नमः 70. ॐ त्रिविक्रमाय नमः 71. ॐ वेदांतसाराय नमः 72. ॐ तातकांतकाय नमः 73. ॐ जामद्ग्ंया महादर्पदालनाय नमः 74. ॐ दशग्रिइवा शिरोहराया नमः 75. ॐ सप्तताला प्रभेत्त्रे नमः 76. ॐ हरकोदांद खान्दनाय नमः 77. ॐ विभीषना परित्रात्रे नमः 78. ॐ विराधवाधपन दिताया नमः 79. ॐ खरध्वा.सिने नमः 80. ॐ कौसलेयाय नमः 81. ॐ सदाहनुमदाश्रिताय नमः 82. ॐ व्रतधाराय नमः 83. ॐ सत्यव्रताय नमः 84. ॐ सत्यविक्रमाय नमः 85. ॐ सत्यवाचे नमः 86. ॐ वाग्मिने नमः 87. ॐ वालिप्रमाथानाया नमः 88. ॐ शरणात्राण तत्पराया नमः 89. ॐ दांताय नमः 90. ॐ विश्वमित्रप्रियाय नमः 91. ॐ जनार्दनाय नमः 92. ॐ जितामित्राय नमः 93. ॐ जैत्राय नमः 94. ॐ जानकिइवल्लभाय नमः 95. ॐ रघुपुंगवाय नमः 96. ॐ त्रिगुनात्मकाया नमः 97. ॐ त्रिमुर्तये नमः 98. ॐ दुउश्हना त्रिशिरो हंत्रे नमः 99. ॐ भवरोगस्या भेश्हजाया नमः 100. ॐ वेदात्मने नमः 101. ॐ राजीवलोचनाय नमः 102. ॐ राम शाश्वताया नमः 103. ॐ राम चंद्राय नमः 104. ॐ राम भद्राया नमः 105. ॐ राम रामाय नमः 106. ॐ सर्वदेवस्तुत नमः 107. ॐ महाभाग नमः 108. ॐ मायामारीचहन्ता नमः इन मंत्रों के उच्चारण के बाद भगवान राम की आरती करें : आरती कीजै श्री रघुवर जी की,सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की। दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन। अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,मर्यादा पुरुषोतम वर की। आरती कीजै श्री रघुवर जी की... निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि,सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि। हरण शोक-भय दायक नव निधि,माया रहित दिव्य नर वर की। आरती कीजै श्री रघुवर जी की... जानकी पति सुर अधिपति जगपति,अखिल लोक पालक त्रिलोक गति। विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति,एक मात्र गति सचराचर की। आरती कीजै श्री रघुवर जी की... शरणागत वत्सल व्रतधारी,भक्त कल्प तरुवर असुरारी। नाम लेत जग पावनकारी,वानर सखा दीन दुख हर की। आरती कीजै श्री रघुवर जी की... राम जी की आरती श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,हरण भवभय दारुणम्। नव कंज लोचन, कंज मुख करकंज पद कंजारुणम्॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन... कन्दर्प अगणित अमित छवि,नव नील नीरद सुन्दरम्। पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचिनौमि जनक सुतावरम्॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन... भजु दीनबंधु दिनेशदानव दैत्य वंश निकन्दनम्। रघुनन्द आनन्द कन्द कौशलचन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन... सिर मुकुट कुंडल तिलकचारू उदारु अंग विभूषणम्। आजानुभुज शर चाप-धर,संग्राम जित खरदूषणम्॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन... इति वदति तुलसीदास,शंकर शेष मुनि मन रंजनम्। मम ह्रदय कंज निवास कुरु,कामादि खल दल गंजनम्॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन... मन जाहि राचेऊ मिलहिसो वर सहज सुन्दर सांवरो। करुणा निधान सुजानशील सनेह जानत रावरो॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन... एहि भाँति गौरी असीससुन सिय हित हिय हरषित अली। तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनिमुदित मन मन्दिर चली॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...

महावीर जयंती 2025 शुभकामनाएं: अपने प्रियजनों को भेजें ये सुंदर और प्रेरणादायक विशेज

Mahavir Jayanti 2025 Wishes in Hindi: महावीर जयंती Jain Religion Festival के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। यह पर्व जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर Lord Mahavir की जयंती के रूप में मनाया जाता है। Mahavir Jayanti 2025 Date की बात करें तो 2025 में यह पर्व 10 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन श्रद्धालु भगवान महावीर के जीवन, उपदेशों और Principles of Non-Violence (Ahimsa), Truth (Satya), Celibacy (Brahmacharya), Non-Possessiveness (Aparigraha) जैसे सिद्धांतों को याद करते हैं और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। इस पावन अवसर पर लोग एक-दूसरे को Mahavir Jayanti Greetings in Hindi भेजते हैं। Lord Mahavir Teachings ने हमें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उनके उपदेश आज भी जीवन को शांत, संयमित और सफल बनाने का रास्ता दिखाते हैं। ऐसे में, जब आप अपने दोस्तों और परिवार को Happy Mahavir Jayanti Quotes भेजते हैं, तो यह न सिर्फ शुभकामनाएं होती हैं, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मकता का संदेश भी बन जाती हैं। अगर आप भी अपने प्रियजनों को इस महावीर जयंती पर कुछ खास और दिल से भेजना चाहते हैं, तो यहां आपके लिए हैं Top 20 Mahavir Jayanti Wishes, जो आप WhatsApp, Facebook, Instagram Story या Status for Mahavir Jayanti के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। महावीर जयंती 2025 शुभकामना संदेश हिंदी में (Mahavir Jayanti Wishes in Hindi): 1. "अहिंसा का पाठ पढ़ाया, सत्य का मार्ग दिखाया, भगवान महावीर ने जीवन का सार सिखाया। महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!" 2. "सत्य, अहिंसा और करुणा की प्रेरणा, भगवान महावीर का यही है मंत्र अद्वितीय। महावीर जयंती की मंगलकामनाएं।" 3. "जो सत्य और त्याग के पथ पर चले, महावीर वही जो सबका दुःख हर ले। Happy Mahavir Jayanti 2025!" 4. "अहिंसा परमो धर्मः, यही मंत्र अपनाओ हर कदम। भगवान महावीर की जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं!" 5. "महावीर के विचारों को अपनाएं, जीवन को सुंदर और शांत बनाएं। महावीर जयंती की शुभकामनाएं!" 6. "भगवान महावीर के सिद्धांतों पर चलें, अंदर की शांति और सच्चाई से मिलें। Mahavir Jayanti Mubarak Ho!" 7. "चलो अहिंसा का दीप जलाएं, महावीर स्वामी की शिक्षाओं को अपनाएं। महावीर जयंती की हार्दिक बधाई!" 8. "दया, करुणा और संयम की राह पर चलो, जीवन को सफल और सुखी बना लो। महावीर जयंती की मंगलकामनाएं।" 9. "सत्य और प्रेम का हो मार्गदर्शन, हर जीवन में हो शांति और अनुशासन। Mahavir Jayanti Wishes in Hindi!" 10. "बिना हिंसा के भी जीत होती है, ये भगवान महावीर ने दुनिया को सिखाया है। महावीर जयंती पर शांति और प्रेम की शुभकामनाएं।" महावीर जयंती व्हाट्सएप स्टेटस 2025 के लिए (Mahavir Jayanti WhatsApp Status in Hindi): 11. "सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाएं, हर दिल में करुणा जगाएं। Happy Mahavir Jayanti 2025!" 12. "अहिंसा का संदेश फैलाओ, महावीर की राह अपनाओ। महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!" 13. "ना हो क्रोध, ना हो छल, बस हो शांति और सबका कल्याण। महावीर जयंती मुबारक हो!" 14. "भगवान महावीर की शिक्षाएं सदा अमर रहें, हम सभी का जीवन उज्ज्वल बनाएं।" 15. "जो अंदर जीत ले, वही सच्चा विजेता। महावीर ने हमें यही सिखाया है। शुभ महावीर जयंती!" 16. "संयम से जीवन जीना, यही है असली सफलता की कुंजी। महावीर जयंती पर यही सीख अपनाएं।" 17. "हर घर में हो अहिंसा की बात, हर मन में हो शांति की बात। महावीर जयंती की ढेरों शुभकामनाएं!" 18. "त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति, भगवान महावीर को शत्-शत् नमन।" 19. "सभी को मिले शांति और संयम का आशीर्वाद, महावीर जयंती की बहुत-बहुत बधाई।" 20. "महावीर स्वामी की शिक्षाएं हैं अमूल्य धरोहर, चलो उनके पदचिन्हों पर चलकर जीवन बनाएं बेहतर।"

भगवान महावीर चालीसा : जय महावीर दया के सागर

Mahavir Chalisa in Hindi: Jain Dharma अनुसार Bhagwan Mahavir Jain Religion के 24वें Tirthankar हैं। वर्ष 2025 में Mahavir Jayanti 10 अप्रैल, Thursday को मनाई जाएगी। यह दिन Lord Mahavir Birth Anniversary की याद में मनाया जाता है। Mahavir Swami का मानना था कि हमें दूसरों के प्रति वहीं thoughts and behavior रखना चाहिए जो हम स्वयं के लिए पसंद करते हैं। Bhagwan Mahavir का Ghantakarna Mahavir Mool Mantra सबसे अधिक powerful mantra माना गया है। श्री महावीर चालीसा : Mahavir Chalisa दोहा : सिद्ध समूह नमों सदा, अरु सुमरूं अरहन्त। निर आकुल निर्वांच्छ हो, गए लोक के अंत ॥ मंगलमय मंगल करन, वर्धमान महावीर। तुम चिंतत चिंता मिटे, हरो सकल भव पीर ॥ चौपाई : जय महावीर दया के सागर, जय श्री सन्मति ज्ञान उजागर। शांत छवि मूरत अति प्यारी, वेष दिगम्बर के तुम धारी। कोटि भानु से अति छबि छाजे, देखत तिमिर पाप सब भाजे। महाबली अरि कर्म विदारे, जोधा मोह सुभट से मारे। काम क्रोध तजि छोड़ी माया, क्षण में मान कषाय भगाया। रागी नहीं नहीं तू द्वेषी, वीतराग तू हित उपदेशी। प्रभु तुम नाम जगत में सांचा, सुमरत भागत भूत पिशाचा। राक्षस यक्ष डाकिनी भागे, तुम चिंतत भय कोई न लागे। महा शूल को जो तन धारे, होवे रोग असाध्य निवारे। व्याल कराल होय फणधारी, विष को उगल क्रोध कर भारी। महाकाल सम करै डसन्ता, निर्विष करो आप भगवन्ता। महामत्त गज मद को झारै, भगै तुरत जब तुझे पुकारै। फार डाढ़ सिंहादिक आवै, ताको हे प्रभु तुही भगावै। होकर प्रबल अग्नि जो जारै, तुम प्रताप शीतलता धारै। शस्त्र धार अरि युद्ध लड़न्ता, तुम प्रसाद हो विजय तुरन्ता। पवन प्रचण्ड चलै झकझोरा, प्रभु तुम हरौ होय भय चोरा। झार खण्ड गिरि अटवी मांहीं, तुम बिनशरण तहां कोउ नांहीं। वज्रपात करि घन गरजावै, मूसलधार होय तड़कावै। होय अपुत्र दरिद्र संताना, सुमिरत होत कुबेर समाना। बंदीगृह में बँधी जंजीरा, कठ सुई अनि में सकल शरीरा। राजदण्ड करि शूल धरावै, ताहि सिंहासन तुही बिठावै। न्यायाधीश राजदरबारी, विजय करे होय कृपा तुम्हारी। जहर हलाहल दुष्ट पियन्ता, अमृत सम प्रभु करो तुरन्ता। चढ़े जहर, जीवादि डसन्ता, निर्विष क्षण में आप करन्ता। एक सहस वसु तुमरे नामा, जन्म लियो कुण्डलपुर धामा। सिद्धारथ नृप सुत कहलाए, त्रिशला मात उदर प्रगटाए। तुम जनमत भयो लोक अशोका, अनहद शब्दभयो तिहुँलोका। इन्द्र ने नेत्र सहस्र करि देखा, गिरी सुमेर कियो अभिषेखा। कामादिक तृष्णा संसारी, तज तुम भए बाल ब्रह्मचारी। अथिर जान जग अनित बिसारी, बालपने प्रभु दीक्षा धारी। शांत भाव धर कर्म विनाशे, तुरतहि केवल ज्ञान प्रकाशे। जड़-चेतन त्रय जग के सारे, हस्त रेखवत्‌ सम तू निहारे। लोक-अलोक द्रव्य षट जाना, द्वादशांग का रहस्य बखाना। पशु यज्ञों का मिटा कलेशा, दया धर्म देकर उपदेशा। अनेकांत अपरिग्रह द्वारा, सर्वप्राणि समभाव प्रचारा। पंचम काल विषै जिनराई, चांदनपुर प्रभुता प्रगटाई। क्षण में तोपनि बाढि-हटाई, भक्तन के तुम सदा सहाई। मूरख नर नहिं अक्षर ज्ञाता, सुमरत पंडित होय विख्याता। सोरठा : करे पाठ चालीस दिन नित चालीसहिं बार। खेवै धूप सुगन्ध पढ़, श्री महावीर अगार ॥ जनम दरिद्री होय अरु जिसके नहिं सन्तान। नाम वंश जग में चले होय कुबेर समान ॥