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Shri Saraswati Kavacham || श्री सरस्वती कवचं : The Divine Shield for Knowledge
Shri Saraswati Kavacham (श्री सरस्वती कवचं)
Shri Saraswati Kavacham देवी सरस्वती की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है, जो "Goddess of Wisdom" और "Divine Knowledge" की देवी मानी जाती हैं। यह कवच विशेष रूप से "Protection from Ignorance" और "Goddess of Arts" की शक्तियों का आह्वान करता है, जो शारीरिक और मानसिक बल प्रदान करती हैं। यह कवच "Saraswati Devotional Hymn" और "Spiritual Knowledge Prayer" के रूप में प्रसिद्ध है। इसके पाठ से जीवन में ज्ञान, रचनात्मकता और मानसिक शांति प्राप्त होती है। Shri Saraswati Kavacham को "Divine Protection Chant" और "Wisdom Mantra" के रूप में पढ़ने से व्यक्ति को "Inner Peace" और "Success in Learning" मिलता है।॥ श्री सरस्वती कवचं ॥
(Shri Saraswati Kavacha)
॥ ब्रह्मोवाच ॥
शृणु वत्स प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वकामदम् ।
श्रुतिसारं श्रुतिसुखं श्रुत्युक्तं श्रुतिपूजितम् ॥
उक्तं कृष्णेन गोलोके मह्यं वृन्दावने वने ।
रासेश्वरेण विभुना रासे वै रासमण्डले ॥
अतीव गोपनीयं च कल्पवृक्षसमं परम् ।
अश्रुताद्भुतमन्त्राणां समूहैश्च समन्वितम् ॥
यद्धृत्वा पठनाद्ब्रह्मन्बुद्धिमांश्च बृहस्पतिः ।
यद्धृत्वा भगवाञ्छुक्रः सर्वदैत्येषु पूजितः ॥
पठनाद्धारणाद्वाग्मी कवीन्द्रो वाल्मिको मुनिः ।
स्वायंभुवो मनुश्चैव यद्धृत्वा सार्वपूजितः ॥
कणादो गौतमः कण्वः पाणिनिः शाकटायनः ।
ग्रन्थं चकार यद्धृत्वा दक्षः कात्यायनः स्वयम् ॥
धृत्वा वेदविभागं च पुराणान्यखिलानि च ।
चकार लीलामात्रेण कृष्णद्वैपायनः स्वयम् ॥
शातातपश्च संवर्तो वसिष्ठश्च पराशरः ।
यद्धृत्वा पठनाद्ग्रन्थं याज्ञवल्क्यश्चकार सः ॥
ऋष्यशृङ्गो भरद्वाजश्चाऽऽस्तीको देवलस्तथा ।
जैगीषव्योऽथ जाबालिर्यत्द्धृत्वा सर्वपूजितः ॥
कवचस्यास्य विप्रेन्द्र ऋषिरेष प्रजापतिः ।
स्वयं बॄहस्पतिश्छन्दो देवो रासेश्वरः प्रभुः ॥
सर्वतत्त्वपरिज्ञाने सर्वार्थेऽपि च साधने ।
कवितासु च सर्वासु विनियोगः प्रकीर्तितः ॥
ओं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा शिरो मे पातु सर्वतः ।
श्रीं वाग्देवतायै स्वाहा भालं मे सर्वदाऽवतु ॥
ओं सरस्वत्यै स्वाहेति श्रोत्रं पातु निरन्तरम् ।
ओं श्रीं ह्रीं भार्त्यै स्वाहा नेत्रयुग्मं सदाऽवतु ॥
ओं ह्रीं वाग्वादिन्यै स्वाहा नासां मे सर्वतोऽवतु ।
ह्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा श्रोत्रं सदाऽवतु ॥
ओं श्रीं ह्रीं ब्राह्म्यै स्वाहेति दन्तपङ्क्तीः सदाऽवतु ।
ऐमित्येकाक्षरो मन्त्रो मम कण्ठं सदाऽवतु ॥
ओं श्रीं ह्रीं पातु मे ग्रीवां स्कन्धं मे श्रीं सदाऽवतु ।
श्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा वक्षः सदाऽवतु ॥
ओं ह्रीं विद्यास्वरूपायै स्वाहा मे पातु नाभिकाम् ।
ओं ह्रीं क्लीं वाण्यै स्वाहेति मम प्र्ष्ठं सदाऽवतु ॥
ओं सर्ववर्णात्मिकायै पादयुग्मं सदाऽवतु ।
ओं वागधिष्ठातृदेव्यै सर्वाङ्गं मे सदाऽवतु ॥
ओं सर्वकण्ठवासिन्यै स्वाहा प्रच्यां सदाऽवतु ।
ओं ह्रीं जिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहाऽग्निदिशि रक्षतु ॥
ओं ऐं श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा ।
सततं मन्त्रराजोऽयं दक्षिणे मां सदाऽवतु ॥
ओं ह्रीं श्रीं त्र्यक्षरो मन्त्रो नैरॄत्यां मे सदाऽवतु ।
कविजिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहा मां वारुणेऽवतु ॥
ओं सदम्बकायै स्वाहा वायव्यै मां सदाऽवस्तु ।
ओं गद्यपद्यवासिन्यै स्वाहा मामुत्तरेऽवतु ॥
ओं सर्वशास्त्रवासिन्यै स्वाहैशान्यां सदाऽवतु ।
ओं ह्रीं सर्वपूजितायै स्वाहा चोर्ध्वं सदाऽवतु ॥
ओं ह्रीं पुस्तकवासिन्यै स्वाहाऽधो मां सदाऽवतु ।
ओं ग्रन्थबीजरूपायै स्वाहा मां सर्वतोऽवतु ॥
इति ते कथितं विप्र सर्वमन्त्रौघविग्रहम् ।
इदं विश्वजयं नाम कवचं ब्रह्मारूपकम् ॥
पुरा श्रुतं धर्मवक्त्रात्पर्वते गन्ध्मादने ।
तव स्नेहान्मयाऽऽख्यातं प्रवक्तव्यं न कस्यचित् ॥
गुरुमभ्यर्च्य विधिवद्वस्त्रालंकारचन्दनैः ।
प्रणम्य दण्डवद्भूमौ कवचं धारयेत्सुधीः ॥
पञ्चलक्षजपेनैव सिद्धं तु कवचं भवेत् ।
यदि स्यात्सिद्धकवचो बृहस्पतिसमो भवेत् ॥
महावाग्मी कवीन्द्रश्च त्रैलोक्यविजयी भवेत् ।
शक्नोति सर्व्ं जेतुं स कवचस्य प्रभावतः ॥
इदं ते काण्वशाखोक्तं कथितं कवचं मुने ।
स्तोत्रं पूजाविधानं च ध्यानं वै वन्दनं तथा ॥
॥ इति श्री सरस्वती कवचं सम्पूर्णम ॥
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Shri Saraswati Stotram (श्री सरस्वती स्तोत्रम्)
श्री सरस्वती स्तोत्र: सरस्वती माता को प्रसन्न करने और उनसे हमारे व हमारे परिवार के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के कई तरीके हैं। सरस्वती हिंदू धर्म की देवी हैं, जो ज्ञान, संगीत, कला, बुद्धि और प्रकृति का प्रतीक हैं। वह सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की त्रिमूर्ति का हिस्सा हैं। ये तीनों स्वरूप ब्रह्मा, विष्णु और शिव की त्रिमूर्ति को सृष्टि की रचना, पालन और विनाश में सहायता करते हैं। सरस्वती माता को पश्चिम और मध्य भारत के जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा भी श्रद्धापूर्वक पूजा जाता है।Devi-Stotra
Maha Saraswati Stavam (महा सरस्वती स्तवम्)
महा सरस्वती स्तवम् (Maha Saraswati Stavam) अश्वतर उवाच । जगद्धात्रीमहं देवीमारिराधयिषुः शुभाम् । स्तोष्ये प्रणम्य शिरसा ब्रह्मयोनिं सरस्वतीम् ॥ 1 ॥ सदसद्देवि यत्किञ्चिन्मोक्षवच्चार्थवत्पदम् । तत्सर्वं त्वय्यसंयोगं योगवद्देवि संस्थितम् ॥ 2 ॥ त्वमक्षरं परं देवि यत्र सर्वं प्रतिष्ठितम् । अक्षरं परमं देवि संस्थितं परमाणुवत् ॥ 3 ॥ अक्षरं परमं ब्रह्म विश्वञ्चैतत्क्षरात्मकम् । दारुण्यवस्थितो वह्निर्भौमाश्च परमाणवः ॥ 4 ॥ तथा त्वयि स्थितं ब्रह्म जगच्चेदमशेषतः । ओङ्काराक्षरसंस्थानं यत्तु देवि स्थिरास्थिरम् ॥ 5 ॥ तत्र मात्रात्रयं सर्वमस्ति यद्देवि नास्ति च । त्रयो लोकास्त्रयो वेदास्त्रैविद्यं पावकत्रयम् ॥ 6 ॥ त्रीणि ज्योतींषि वर्णाश्च त्रयो धर्मागमास्तथा । त्रयो गुणास्त्रयः शब्दस्त्रयो वेदास्तथाश्रमाः ॥ 7 ॥ त्रयः कालास्तथावस्थाः पितरोऽहर्निशादयः । एतन्मात्रात्रयं देवि तव रूपं सरस्वति ॥ 8 ॥ विभिन्नदर्शिनामाद्या ब्रह्मणो हि सनातनाः । सोमसंस्था हविः संस्थाः पाकसंस्थाश्च सप्त याः ॥ 9 ॥ तास्त्वदुच्चारणाद्देवि क्रियन्ते ब्रह्मवादिभिः । अनिर्देश्यं तथा चान्यदर्धमात्रान्वितं परम् ॥ 10 ॥ अविकार्यक्षयं दिव्यं परिणामविवर्जितम् । तवैतत्परमं रूपं यन्न शक्यं मयोदितुम् ॥ 11 ॥ न चास्येन च तज्जिह्वा ताम्रोष्ठादिभिरुच्यते । इन्द्रोऽपि वसवो ब्रह्मा चन्द्रार्कौ ज्योतिरेव च ॥ 12 ॥ विश्वावासं विश्वरूपं विश्वेशं परमेश्वरम् । साङ्ख्यवेदान्तवादोक्तं बहुशाखास्थिरीकृतम् ॥ 13 ॥ अनादिमध्यनिधनं सदसन्न सदेव यत् । एकन्त्वनेकं नाप्येकं भवभेदसमाश्रितम् ॥ 14 ॥ अनाख्यं षड्गुणाख्यञ्च वर्गाख्यं त्रिगुणाश्रयम् । नानाशक्तिमतामेकं शक्तिवैभविकं परम् ॥ 15 ॥ सुखासुखं महासौख्यरूपं त्वयि विभाव्यते । एवं देवि त्वया व्याप्तं सकलं निष्कलञ्च यत् । अद्वैतावस्थितं ब्रह्म यच्च द्वैते व्यवस्थितम् ॥ 16 ॥ येऽर्था नित्या ये विनश्यन्ति चान्ये ये वा स्थूला ये च सूक्ष्मातिसूक्ष्माः । ये वा भूमौ येऽन्तरीक्षेऽन्यतो वा तेषां तेषां त्वत्त एवोपलब्धिः ॥ 17 ॥ यच्चामूर्तं यच्च मूर्तं समस्तं यद्वा भूतेष्वेकमेकञ्च किञ्चित् । यद्दिव्यस्ति क्ष्मातले खेऽन्यतो वा त्वत्सम्बन्धं त्वत्स्वरैर्व्यञ्जनैश्च ॥ 18 ॥ इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे त्रयोविंशोऽध्याये अश्वतर प्रोक्त महासरस्वती स्तवम् ।MahaMantra
Saraswati Sahasranama Stotram (सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्रम्)
सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्रम् (Saraswati Sahasranama Stotram) में मां सरस्वती (Goddess Saraswati) के एक हजार दिव्य नामों (divine names) का वर्णन है। यह स्तोत्र ज्ञान (knowledge), विद्या (education), और संगीत (music) की देवी (goddess of wisdom) को समर्पित है। मां सरस्वती को ब्रह्मा (Brahma) की शक्ति और सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी (creator goddess) माना गया है। यह स्तोत्र भक्तों (devotees) को मानसिक शांति (peace of mind), एकाग्रता (focus), और बुद्धि (intelligence) प्रदान करता है। सरस्वती सहस्रनाम स्तोत्रम् का पाठ (chanting) विद्या (learning) और कला (art) में सफलता (success) के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसमें मां सरस्वती के करुणामयी (compassionate) और उग्र (fierce) दोनों रूपों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र उन विद्यार्थियों (students) और साधकों (seekers) के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जो ज्ञान, प्रतिभा (talent), और रचनात्मकता (creativity) की प्राप्ति करना चाहते हैं। मां सरस्वती अपने भक्तों को अज्ञान (ignorance) से मुक्त करती हैं और जीवन को प्रकाशित (enlighten) करती हैं।Sahasranama-Stotram
Shri Saraswati Chalisa (श्री सरस्वती चालीसा)
सरस्वती चालीसा माँ सरस्वती को समर्पित है। माँ सरस्वती को Goddess of Knowledge, Veena Vadini, और Vagdevi कहा जाता है। Saraswati mantra for students जैसे "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" का जाप सरस्वती चालीसा के साथ करने से विद्या और बुद्धि का विकास होता है।Chalisa
Shri Shardha Chalisa (श्री शारधा चालीसा)
श्री शारदा चालीसा देवी माँ शारदा को समर्पित एक पवित्र प्रार्थना है। इसका पाठ मानसिक शांति, आध्यात्मिक प्रगति, और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। Saraswati, जिन्हें Goddess of Knowledge कहा जाता है, का यह स्तोत्र भक्तों को बुद्धि और समृद्धि प्रदान करता है।Chalisa
Shri Saraswati Ashtakam (श्री सरस्वती अष्टकम्)
महामते महाप्रज्ञ सर्वशास्त्रविशारदा सरस्वती माता का लोकप्रिय अष्टकम है। इस अष्टकम का पाठ देवी सरस्वती से संबंधित विभिन्न अवसरों पर किया जाता है। सरस्वती अष्टकम के साथ-साथ यदि सरस्वती चालीसा का भी पाठ किया जाए तो, सरस्वती अष्टकम का बहुत लाभ मिलता है यह अष्टकम शीघ्र ही फल देने लग जाती है, अगर साधक सरस्वती माता की मूर्ति सामने रखकर सरवती आरती करता है और साथ ही सरस्वती माला से जाप करता है तो मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| यदि सरस्वती अष्टकम के साथ सरस्वती सहस्रनाम का पाठ किया जाए तो स्वयं ही कार्य पूर्ण होने लगते है|Ashtakam
Shri Saraswati Arti (श्री सरस्वती आरती)
श्री सरस्वती जी की आरती माँ Saraswati की स्तुति में गाई जाने वाली एक पवित्र भक्ति गीत है, जिसमें उनकी wisdom, knowledge, music, और arts में अद्वितीय शक्तियों का वर्णन किया गया है। यह आरती भक्तों को intellect, spiritual growth, और cultural prosperity की प्राप्ति की प्रेरणा देती है। माँ Saraswati, जिन्हें Vidya Dayini और Veena Vadini के नाम से भी जाना जाता है, उनकी आरती से भक्त divine blessings और creative energy प्राप्त करते हैं।Arti
Shri Saraswati Stotra (श्रीसरस्वतीस्तोत्रम्)
सरस्वती को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के कई तरीके हैं। सरस्वती हिंदू धर्म की ज्ञान, संगीत, कला, बुद्धि और प्रकृति की देवी हैं। वह सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की त्रिमूर्ति का हिस्सा हैं। ये तीनों रूप ब्रह्मा, विष्णु और शिव की त्रिमूर्ति की सृष्टि, पालन और विनाश की प्रक्रिया में सहायता करती हैं। देवी सरस्वती को पश्चिम और मध्य भारत के जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा भी पूजनीय माना जाता है।Stotra