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Shri Vidya Kavacham || श्री विद्या कवचम् : Full Lyrics in Sanskrit !! देवदेव महादेव भक्तानां प्रीतिवर्धनम् |
Shri Vidya Kavacham (श्री विद्या कवचम्)
Shri Vidya Kavach (श्री विद्या कवच) एक अत्यंत शक्तिशाली Maha Kavach है। यह कवच साधक को माता सती के दस महाविद्या स्वरूपों की कृपा प्रदान करता है। इस कवच में Shri Vidya Kali, Shri Vidya Tara, Shri Vidya Chinnamasta, Shri Vidya Shodashi, Shri Vidya Bhuvaneshwari, Shri Vidya Tripura Bhairavi, Shri Vidya Dhumavati, Shri Vidya Baglamukhi, Shri Vidya Matangi और Shri Vidya Kamla की सभी शक्तियाँ समाहित होती हैं। जब साधक Shri Vidya Kavach का पाठ करता है, तो दसों Mahavidyas मिलकर उसकी रक्षा करती हैं। जैसे कि Shri Vidya Dhumavati शत्रुओं का नाश करती हैं, Shri Vidya Baglamukhi बड़े Court Cases से मुक्ति दिलाती हैं, और Shri Vidya Bhuvaneshwari साधक को Physical एवं Financial Benefits प्रदान करती हैं। यदि कोई साधक Shri Vidya Kavach का नियमित पाठ करता है, तो उसे एक नहीं बल्कि दसों महाविद्याओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। Shri Vidya Kavach के पाठ से साधक को एक ओर Wealth, Profit, Fame, Victory, Prosperity और Power प्राप्त होती है, वहीं दूसरी ओर उसे Brahmagyan और Moksha की भी प्राप्ति होती है। यदि साधक को अपने जीवन में प्रतिदिन किसी न किसी Problem का सामना करना पड़ रहा है, उसे नए कार्यों में अनेक Obstacles मिल रहे हैं, जिससे वह Success से दूर हो रहा है, तो उसे अपने घर या Workplace में Shri Vidya Yantra की स्थापना कर Shri Vidya Kavach का पाठ करना चाहिए। इससे जीवन की सभी समस्याएँ दूर होती हैं, बाधाएँ समाप्त होती हैं और जीवन Happy तथा Prosperous बनता है। Shri Vidya Kavach अपने आप में अद्वितीय और श्रेष्ठ है तथा इसकी साधना से सर्वत्र Victory और Protection प्राप्त होती है।॥ श्री विद्या कवचम् ॥
(Shri Vidya Kavacham)
॥ देव्युवाच ॥
देवदेव महादेव भक्तानां प्रीतिवर्धनम् ।
सूचितं यन्महादेव्याः कवचं कथयस्व मे ॥
॥ महादेव उवाच ॥
श्रुणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं देवदुर्लभम् ।
न प्रकाश्यं परं गुह्यं साधकाभीष्टसिद्धिदम् ॥
कवचस्य ऋषिर्देवि दक्षिणामूर्तिरव्ययः ।
छन्दः पङ्क्तिः समुद्दिष्टं देवी त्रिपुरसुन्दरी ॥
धर्मार्थकाममोक्षाणां विनियोगस्तु साधने ।
वाग्भवः कामराजश्च शक्तिर्बीजं सुरेश्वरि ॥
ऐं वाग्भवः पातु शीर्षे मां क्लीं कामराजस्तथा हृदि ।
सौः शक्तिबीजं सदा पातु नाभौ गुह्ये च पादयोः ॥
ऐं श्रीं सौः वदने पातु बाला मां सर्वसिद्धये ।
ह्सौं हसकलह्रीं ह्सौः पातु भैरवी कण्ठदेशतः ॥
सुन्दरी नाभिदेशे च शीर्षे कामकला सदा ।
भ्रूनासयोरन्तराले महात्रिपुरसुन्दरी ॥
ललाटे सुभगा पातु भगा मां कण्ठदेशतः ।
भगोदया च हृदये उदरे भगसर्पिणी ॥
भगमाला नाभिदेशे लिङ्गे पातु मनोभवा ।
गुह्ये पातु महादेवी राजराजेश्वरी शिवा ॥
चैतन्यरूपिणी पातु पादयोर्जगदम्बिका ।
नारायणी सर्वगात्रे सर्वकार्ये शुभङ्करी ॥
ब्रह्माणी पातु मां पूर्वे दक्षिणे वैष्णवी तथा ।
पश्चिमे पातु वाराही उत्तरे तु महेश्वरी ॥
आग्नेयां पातु कौमारी महालक्ष्मीस्तु नैरृते ।
वायव्यां पातु चामुण्डा इन्द्राणी पातु ईशके ॥
जले पातु महामाया पृथिव्यां सर्वमङ्गला ।
आकाशे पातु वरदा सर्वत्र भुवनेश्वरी ॥
इदं तु कवचं देव्या देवानामपि दुर्लभम् ।
पठेत्प्रातः समुत्थाय शुचिः प्रयतमानसः ॥
नाधयो व्याधयस्तस्य न भयं च क्वचिद्भवेत् ।
न च मारी भयं तस्य पातकानां भयं तथा ॥
न दारिद्र्यवशं गच्छेत्तिष्ठेन्मृत्युवशे न च ।
गच्छेच्छिवपुरं देवि सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ॥
इदं कवचमज्ञात्वा श्रीविद्यां यो जपेत्सदा ।
स नाप्नोति फलं तस्य प्राप्नुयाच्छस्त्रघातनम् ॥
॥ इति श्री विद्या कवचं सम्पूर्णम् ॥
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