No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Srimad Bhagwad Gita Chapter 18 (श्रीमद्भगवद्गीता मूलम् - अष्टादशोऽध्यायः)
Page no.
/ 9
error
Page no. / 9
Related to Krishna
Bhagavad Gita First Chapter (भगवद गीता-पहला अध्याय)
भगवद गीता के पहले अध्याय का नाम "अर्जुन विषाद योग" या "अर्जुन के शोक का योग" है। यहाँ अधिक दर्शन नहीं है, लेकिन यह मानव व्यक्तित्व के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।Bhagwat-Gita
Uddhava Gita - Chapter 1 (उद्धवगीता - प्रथमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के प्रथमोऽध्याय में उद्धव और भगवान कृष्ण के बीच की वार्ता का प्रारंभ होता है। यह अध्याय आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति के महत्व को दर्शाता है।Uddhava-Gita
Govindashtakam (गोविन्दाष्टकम्)
आदि शंकराचार्य ने भगवान गोविंद की स्तुति में यह आठ श्लोकों वाला "अष्टकम" रचा। गोविंद का अर्थ है - गायों के रक्षक, पृथ्वी के रक्षक। एक अन्य अर्थ भी है, "गोविदां पतिः / Govidaam pathih" - अर्थात अच्छे वचन बोलने वालो के स्वामी। गोविंद वही हैं जो हमें वाणी (वाणी/vaani) प्रदान करते हैं। ये गोविंद के कई अर्थों में से कुछ प्रमुख हैं।Stotra
Shri Krishnan Chalisa (श्री कृष्णन चालीसा)
कृष्ण चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान कृष्ण पर आधारित है। कृष्ण चालीसा एक लोकप्रिय प्रार्थना है जो 40 छन्दों से बनी है। कई लोग जन्माष्टमी सहित भगवान कृष्ण को समर्पित अन्य त्योहारों पर कृष्ण चालीसा का पाठ करते हैं। इस चालीसा के पाठ से भक्तों को spiritual peace और blessings मिलती हैं। Krishna mantra for positivity का जाप जीवन में love और prosperity लाने का एक प्रभावी उपाय है।Chalisa
Shri Govinda Ashtakam (श्री गोविन्द अष्टकम्)
श्रीमद भागवत के अनुसार Shri Krishna सर्वकष्ट विनाशी माने जाते है। अगर सच्चे मन से उनकी worship किया जाए और Shri Govinda Ashtakam का recitation किया जाए तो humans को कोई भी परेशानियों का सामना नही करना पड़ता है। Shri Govinda Ashtakam का chanting नियमित रूप से करने से Shri Krishna भगवान भी प्रसन्न हो जाते है और अपने devotees पर पूर्ण रूप से blessing बनाये रखते है। अगर practitioner सच्चे मन से Shri Govinda Ashtakam का recitation करता है तो उसके सारे sins धुल जाते है इस chanting को करने से human life की सभी प्रकार की diseases व suffering नष्ट होने लगते है। और positive energy जीवन में बनाये रखता है। Shri Govinda Ashtakam recitation को करने से desired wishes भी fulfilled होती है।Ashtakam
Bhagavad Gita Tenth Chapter (भगवद गीता दसवाँ अध्याय)
भगवद गीता दसवाँ अध्याय "विभूति योग" कहलाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य विभूतियों का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि वे सृष्टि के हर उत्तम गुण, सत्य, और शक्ति के आधार हैं। यह अध्याय "ईश्वर की महानता", "दिव्य शक्तियों", और "ईश्वर के प्रति भक्ति" को विस्तार से समझाता है।Bhagwat-Gita
Bhagavad Gita 17 Chapter (भगवत गीता सातवाँ अध्याय)
भगवद्गीता का 17वां अध्याय "श्रद्धात्रयविभाग योग" (The Yoga of Threefold Faith) है, जो श्रद्धा (Faith) के तीन प्रकारों – सात्त्विक (Pure), राजसिक (Passionate), और तामसिक (Ignorant) – का वर्णन करता है। श्रीकृष्ण (Lord Krishna) अर्जुन (Arjuna) को बताते हैं कि व्यक्ति की श्रद्धा उसके स्वभाव (Nature) और गुणों (Qualities) पर आधारित होती है। इस अध्याय में भोजन (Food), यज्ञ (Sacrifice), तप (Austerity), और दान (Charity) को सात्त्विक, राजसिक, और तामसिक श्रेणियों में विभाजित कर उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है। श्रीकृष्ण बताते हैं कि केवल सात्त्विक कर्म (Pure Actions) और श्रद्धा से ही आध्यात्मिक प्रगति (Spiritual Progress) और मोक्ष (Liberation) प्राप्त किया जा सकता है। यह अध्याय व्यक्ति को सद्गुणों (Virtues) और धर्म (Righteousness) के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।Bhagwat-Gita
Murari Stuti (मुरारि स्तुति)
Shri Murari Stuti (मुरारि स्तुति) का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय peaceful और spiritual atmosphere में करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसे Shri Krishna की idol या image के सामने बैठकर गाया जा सकता है। पाठ करने से पहले मन को शांत करें और Lord Krishna के divine form का ध्यान करें। भक्त इसे soft voice में या with music भी गा सकते हैं। Murari Stuti का गायन करने से भक्तों के हृदय में deep devotion और love for Lord Krishna उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तुति का नियमित recitation करने से व्यक्ति को mental peace मिलती है और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह स्तुति positive energy को बढ़ाती है और व्यक्ति को spiritual path पर प्रेरित करती है। जो भक्त regularly इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से अनेक प्रकार के sufferings दूर हो जाते हैं और वे divine grace प्राप्त करते हैं।Stuti