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Shri Durga Stotram by Arjuna (अर्जुन कृत श्री दुर्गा स्तोत्रम्)
अर्जुन कृत श्री दुर्गा स्तोत्रम्
(Shri Durga Stotram by Arjuna)
अर्जुन उवाच ।
नमस्ते सिद्धसेनानि आर्ये मंदरवासिनि ।
कुमारि कालि कापालि कपिले कृष्णपिंगले ॥ 1 ॥
भद्रकालि नमस्तुभ्यं महाकालि नमोऽस्तु ते ।
चंडि चंडे नमस्तुभ्यं तारिणि वरवर्णिनि ॥ 2 ॥
कात्यायनि महाभागे करालि विजये जये ।
शिखिपिंछध्वजधरे नानाभरणभूषिते ॥ 3 ॥
अट्टशूलप्रहरणे खड्गखेटकधारिणि ।
गोपेंद्रस्यानुजे ज्येष्ठे नंदगोपकुलोद्भवे ॥ 4 ॥
महिषासृक्प्रिये नित्यं कौशिकि पीतवासिनि ।
अट्टहासे कोकमुखे नमस्तेऽस्तु रणप्रिये ॥ 5 ॥
उमे शाकंभरि श्वेते कृष्णे कैटभनाशिनि ।
हिरण्याक्षि विरूपाक्षि सुधूम्राक्षि नमोऽस्तु ते ॥ 6 ॥
वेदश्रुतिमहापुण्ये ब्रह्मण्ये जातवेदसि ।
जंबूकटकचैत्येषु नित्यं सन्निहितालये ॥ 7 ॥
त्वं ब्रह्मविद्या विद्यानां महानिद्रा च देहिनाम् ।
स्कंदमातर्भगवति दुर्गे कांतारवासिनि ॥ 8 ॥
स्वाहाकारः स्वधा चैव कला काष्ठा सरस्वती ।
सावित्री वेदमाता च तथा वेदांत उच्यते ॥ 9 ॥
स्तुतासि त्वं महादेवि विशुद्धेनांतरात्मना ।
जयो भवतु मे नित्यं त्वत्प्रसादाद्रणाजिरे ॥ 10 ॥
कांतारभयदुर्गेषु भक्तानां चालयेषु च ।
नित्यं वससि पाताले युद्धे जयसि दानवान् ॥ 11 ॥
त्वं जंभनी मोहिनी च माया ह्रीः श्रीस्तथैव च ।
संध्या प्रभावती चैव सावित्री जननी तथा ॥ 12 ॥
तुष्टिः पुष्टिर्धृतिर्दीप्तिश्चंद्रादित्यविवर्धिनी ।
भूतिर्भूतिमतां संख्ये वीक्ष्यसे सिद्धचारणैः ॥ 13 ॥
इति श्रीमन्महाभारते भीष्मपर्वणि त्रयोविंशोऽध्याये अर्जुन कृत श्री दुर्गा स्तोत्रम्।
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