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Ganesha Bhujanga Stotram (गणेश भुजंगम् स्तोत्रम्)
गणेश भुजंगम् स्तोत्रम् (Ganesha Bhujanga Stotram)
रणत्क्षुद्रघंटानिनादाभिरामं
चलत्तांडवोद्दंडवत्पद्मतालम् ।
लसत्तुंदिलांगोपरिव्यालहारं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ 1 ॥
ध्वनिध्वंसवीणालयोल्लासिवक्त्रं
स्फुरच्छुंडदंडोल्लसद्बीजपूरम् ।
गलद्दर्पसौगंध्यलोलालिमालं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ 2 ॥
प्रकाशज्जपारक्तरत्नप्रसून-
प्रवालप्रभातारुणज्योतिरेकम् ।
प्रलंबोदरं वक्रतुंडैकदंतं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ 3 ॥
विचित्रस्फुरद्रत्नमालाकिरीटं
किरीटोल्लसच्चंद्ररेखाविभूषम् ।
विभूषैकभूषं भवध्वंसहेतुं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ 4 ॥
उदंचद्भुजावल्लरीदृश्यमूलो-
च्चलद्भ्रूलताविभ्रमभ्राजदक्षम् ।
मरुत्सुंदरीचामरैः सेव्यमानं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ 5 ॥
स्फुरन्निष्ठुरालोलपिंगाक्षितारं
कृपाकोमलोदारलीलावतारम् ।
कलाबिंदुगं गीयते योगिवर्यै-
र्गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ 6 ॥
यमेकाक्षरं निर्मलं निर्विकल्पं
गुणातीतमानंदमाकारशून्यम् ।
परं पारमोंकारमाम्नायगर्भं
वदंति प्रगल्भं पुराणं तमीडे ॥ 7 ॥
चिदानंदसांद्राय शांताय तुभ्यं
नमो विश्वकर्त्रे च हर्त्रे च तुभ्यम् ।
नमोऽनंतलीलाय कैवल्यभासे
नमो विश्वबीज प्रसीदेशसूनो ॥ 8 ॥
इमं सुस्तवं प्रातरुत्थाय भक्त्या
पठेद्यस्तु मर्त्यो लभेत्सर्वकामान् ।
गणेशप्रसादेन सिद्ध्यंति वाचो
गणेशे विभौ दुर्लभं किं प्रसन्ने ॥ 9 ॥
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