Maa Tara Stotra (तारा-स्तोत्र )

तारा-स्तोत्र (तारास्तव) तारा च तारिणी देवी नागमुण्डविभूषिता ॥ ललज्जिह्वा नीलवर्णा ब्रह्मरूपघरा तथा ॥ नागाञ्चितकटी देवी नीलाम्बरधरा परा । नामाष्टक मिदं स्तोत्रं य: पठेत्‌ शृणुयादपि । तस्य सर्व्वार्थिसिद्धि: स्यात्‌ सत्यं सत्यं महेश्वरि ॥ टीका-(१) तारा, (२) तारिणी, (३) नागमुण्डों से विभूषित, (४) चलायमान जिह्वा, (५) नील वर्ण वाली, (६) ब्रह्मरूप धारिणी, (७) नागों से अंचित कटी और (८) वीं निलाम्बरा, यह अष्टनामात्मक ताराष्टक स्तोत्र का पाठ अथवा श्रवण करने से सवार्थिसिद्धि होती है । भैरव जी कहते है-हे महेश्वरी यह बिल्कुल सत्य है ।