Maa Tara yantra Mantra (तारायन्त्र)

तारायन्त्र सुवर्णादिपीठे गोरोचनाकुंकुमादिलिप्ते । “ओं आः सुरेखे बजुरेखे ओं फट् स्वाहा” इति मन्त्रेणाधोमुखत्रिकोणगर्भाष्टदलपद्मं वृत्तं चतुरस्त्रं चतुर्द्वारयुत्त्कयंत्रमुद्धरेत्‌ ॥ टीका-स्वर्णादिपीढ़ों (चौकी) पर गोरोचना वा कुंकुमादि से लेप करके “ॐ आ: सुरेखे” इत्यादि मंत्र से अधोमुख त्रिकोण में अष्टदल पद्म (कमल बनावे), उसके बाहर गोलाकार चौकोर और चतुर्द्वार-समन्वित यंत्र खींचे । यह मंत्र हैं, “ॐ ऐं ह्लीं क्रीं हूँ फट्” । तारामंत्र का जप, होम लक्षद्वयं जपेद्विद्यां हविष्याशी जितेन्द्रिय: । पलाशकुसुमैर्देवीं जुहुयात्तहशांशत: ॥ टीका-हविष्याशी और जितेन्द्रय होकर यह मंत्र दो लक्ष जपकर पलाश पुष्प द्वारा उसका दशांश होम करना चाहिए ।