Amogh Shivakavacha (अमोघ शिवकवचम्‌)

अमोघ शिवकवचम्‌ (Amogh Shivakavacham) ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्त्वात्मकाय सकलतत्वविहाराय सकललोकैककत्रें सकललोककैकभर्ते सकललोकैकहर्ने सकललोकैकगुरवे सकललोकराक्षिणे सकलनिगमगुह्याय सकलवरप्रदाय सकलदुरितार्तिभञ्जनाय सकलजगदभयंकराय सकललोकैकशंकराय शशांकशेखराय शाश्चतनिजाभासाय निर्गुणाय नीरुपमाय नीरूपाय निराभासाय निरामयाय निष्प्रपंचाय निष्कलंकाय निर्द्धन्दधाय निस्संगाय निर्मलाय निर्गमाय नित्यरूपविभवाय निरुपमविभवाय निराधाराय नित्यशुद्धबुद्धपरिपूर्णसच्चिदानन्दाद्ययाय परमशान्तप्रकाश तेजोरूपा जय जय महारुद्र महारौद्र भद्रावतार दुःखदावदारण महाभैरव कालभैरव कल्पान्तभैरव कपालमालाधर खटवांगखंगचर्मपाशांकुशडमरुशूलचापबाणगदाशक्तिभिन्दिपा- लतोमरमूसलमुगद्रपटिटशपरशुपरिघभुशुण्डीशताघ्नीचक्राद्या- युधभीषणकर सहस्रमुख दंष्टोकराल विकटाट्टहासविसफा- रितब्रह्माण्डमण्डलनागेन्द्रगुण्डल नागेन्द्रहार नागेन्द्रवलय नागेन्द्रचर्मधर मृत्युञ्जय ज्यम्बक त्रिपुरान्तक विरूपाक्ष विश्वेश्वर वृषभवाहन विषभूषण विश्वतोमुख सर्वतो रक्ष रक्ष मां ज्वल ज्वल महामत्युभयमुत्सादयोत्सादयं नाशय नाशय रोगभयमुत्सादयोत्सादय विषसर्पभयं शमय शमय चोरभयं मारय मारय मम शतरुनुच्चाटयोच्चाटय शूलेन विदारय विदारय कुठारेण भिन्धि भिन्धि खंगेन छिन्धि छिन्धि खट्वांगेन विपोथय विपोथय मूसलेन निष्येषय निष्येषय बाणैः संताडय संताडय रक्षांसि भीषय भीषय भूतानि विद्रावय विद्राव्य कूष्यांडवेतालमारीगणब्रह्य राक्षसान्‌ संत्रासय स्त्रासय | ममाभयं कुरु कुरु वित्रस्तं मामाश्वासयाश्वासय नरक भयान्मामुद्धारयोद्धारय संजीवय संजीवय क्षुत्तदभ्यां ममाप्याययाप्यायय दुःखातुरं मामानन्दयानन्दय शिवकवचेन पापाच्छादयाच्छादय जयम्बक सदाशिव नमस्ते नमस्ते नमस्ते। अमोघ शिवकवचम्‌ Meaning(अर्थ) " ॐ ' जिनका वाचक है, सम्पूर्णं तत्त्व जिनके स्वरूप हैं, जो सम्पूर्ण तत्त्वो मे विचरण करने वाले, समस्त लोकों के एकमात्र कर्ता ओर समस्त विश्व के एकमात्र भरण-पोषण करने वाले हैं, जो अखिल विश्व के एक ही संहारकारी, सब लोकों के एकमात्र गुरु, समस्त संसार के एकमात्र साक्षी, सम्पूर्ण वेदों के गुद तत्त्व, सबको वर देने वाले, समस्त पापों ओर पीड़ाओं का नाश करने वाले, सारे संसार को अभय देने वाले, समस्त लोकों के एकमात्र कल्याणकारी, चन्द्रमा का मुकुट धारण करने वाले, अपने सनातन-प्रकाश से प्रकाशित होने वाले, निर्गुण, उपमारहित, निराकार, निराभास, निरामय, निष्प्रपञ्च, निष्कलंक, निर्रद्, निस्संग, निर्मल, गति -शून्य, नित्यरूप, नित्य वैभव से सम्पन्न, अनुपम रेश्वर्य से सुशोभित, आधार शून्य, नित्य-शुद्ध-बुद्ध, परिपूर्ण, सच्िदानन्दघन, अद्वितीय तथा परमशांत, प्रकाशमय, तेजःस्वरूप हैं, उन भगवान सदाशिव को नमस्कार है। हे महारुद्र, महारौद्र, भद्रावतार, दुःख-दावाग्नि विदारण,महाभैरव, कालभैरव, कलपान्तभैरव, कपालमालाधारी! हे खटवांङ्ग खंग, ढाल, फन्दा, अंकुश, डमरू, त्रिशूल, धनुष, बाण, गदा शक्ति, भिन्दिपाल, तोमर, मूसल, मुग्दर, पट्टिश, परशु, परिघ भुशुण्डी शतघ्नी और चक्र आदि आयुधों के द्वारा भयंकर हाथा वाले! हजार मुख और द्रष्टा से कराल. विकट अट्टहास से विशाल ब्रह्माण्डमंडल का विस्तार करने वाले, नागेन्द्र वासुकि को कुण्डल, हार, कंकण तथा ढाल के रूप में धारण करने वाले, मृत्युञ्जय, त्रिनेत्र, त्रिपुरनाशक, भयंकर नेत्रों वाले, विश्वेश्वर, विश्वरूप में प्रकट, बैल पर सवारी करने वाले, विष को गले में भूषण रूप में धारण करने वाले तथा सब ओर मुख वाले भगवान् शंकर ! आपकी जय हो, जय हो! आप मेरी सब ओर से रक्षा कीजिये। प्रज्ज्वलित होइये प्रज्ज्वलित होइये। मेरे महामृत्युञ्जय भय का तथा अपमृत्यु के भय का नाश कीजिये, नाश कीजिये। बाहर और भीतरी रोग-भय को जड़ से मिटा दीजिये. जड़ से मिटा दीजिये। विष और सर्प के भय को शान्त कीजिये, शान्त कीजिये। चोरभय को मार डालिये, मार डालिये। मेरे (काम, क्रोध, लोभादि भीतरी तथा इन्द्रियों के और शरीर के द्वारा होने वाले पापकर्मरूपी बाहरी) शत्रुओं का उच्चाटन क्रीजिये, उच्चाटन कीजिये। त्रिशूल के द्वारा विदारण कीजिये, विदारण कीजिये। कुठार के द्वारा काट डालिये, काट डालिये। खड्ग के द्वारा छेद डालिए, छेद डालिए। खटवाड़ के द्वारा नाश कीजिये, नाश कीजिये। मूसल क द्वारा पीस डालिये, पीस डालिये ओर बाणो के द्वारा बीध डालिए, बींध डालिए्‌। (आप मेरी हिसा करने वाले) राक्षसो को भय दिखाइये, भय दिखाइये। भूतो को भगा दीजिये, भगा दीजिये। कूष्माण्ड, वेताल, मारियों और ब्रह्मराक्षसों को संत्रस्त कीजिये, संत्रस्त कीजिये। मुञ्च को अभय दीजिये, अभय दीजिये। मुझे अत्यन्त डरे हुए को आश्वासन दीजिए, आश्वासन दीजिए। नरक भय से मरा उद्धार कीजिए, उद्धार कौजिए। मुझे जीवनदान दीजिए, जीवनदान दीजिए। क्षुधा-तृष्णा का निवारण करके मुञ्जको आप्यायित कीजिए, आप्यायित कीजिए। आपकी जय हो, जय हो। मुझ दुःखातुर को आनन्दित कीजिए, आनन्दित कीजिए। शिव कवच से मुझे आच्छादित कीजिए, आच्छादित कीजिए। त्रयम्बक सदाशिव आपको नमस्कार है, नमस्कार हे, नमस्कार हे।