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Shri Radhapadal Stotram || श्री राधापटल स्तोत्रम् : Full Lyrics !! मनोकामना पूर्ति के लिए करें इस स्तोत्र का पाठ |
Shri Radhapadal Stotram (श्री राधापटल स्तोत्रम्)
Shri Radhapadal Stotram (श्री राधापटल स्तोत्रम्)/Shri Radha Kripa Kataksh Stotra का पाठ करने से Radha Rani की असीम कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि Radha का नाम लेने मात्र से Shri Krishna का रोम-रोम प्रफुल्लित हो जाता है, इसलिए सदैव Radha का नाम Krishna से पहले लिया जाता है। यदि आप Radha Rani की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस अत्यंत powerful stotra का नियमित पाठ अवश्य करें। Shri Radha Kripa Kataksh Stotra के रचयिता स्वयं Lord Shiva हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, Mahadev ने Radha Rani को प्रसन्न करने के लिए इस stotra का वर्णन Mata Parvati को सुनाया था। इस stotra में Radha Rani के shringar, beauty और compassion का अद्भुत वर्णन किया गया है। यदि कोई साधक इसका daily recitation नहीं कर सकता, तो वह special tithis जैसे Ashtami, Dashami, Ekadashi, Trayodashi और Purnima पर इस stotra का पाठ कर सकता है। इससे Radha Rani की असीम कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।|| श्री राधापटल स्तोत्रम् ||
(Shri Radhapadal Stotram)
ईश्वर उवाच ॥
प्रणवं पूर्वमुद्धृत्य हृन्मन्त्रं च ततः पठेत् ।
रमार्णेन युतो राधाकान्तः प्रोच्यस्ततः परम् ॥ १॥
शरणं पदमुच्चार्य ममेति पदमुच्चरेत् ।
मनुरेष तु श्रीराधाकृष्णयोः परमाद्भुतः ॥ २॥
जपमात्रेण जीवानां दृष्टादृष्टफलप्रदः ।
अस्मात्परतरो मन्त्रो नास्ति नास्ति वरानने ॥ ३॥
यस्मिञ्जप्ते तयोरेव स्वीयबुद्धिस्तु साधके ।
जायते कृतकृत्योसौ तथा भवति शाम्भवि ॥ ४॥
ध्रुवमुच्चार्य हृन्मन्त्रं वदेदथ रमार्णकम् ।
पावकं शेषसंयुक्तं धनेशं विद्ययान्वितम् ॥ ५॥
कामगं विष्णुशय्याढ्यं नभोरे चकया युतम् ।
कुबेरं केशवासक्तं बालाक्षीं कण्ठसङ्गताम् ॥ ६॥
चक्रिणं कामरूपाङ्कं जनकोत्तममेव च ।
वातारूढं समुच्चार्य षडाननमथानिलम् ॥ ७॥
बालेन्दुनाधिष्ठयन्तु लोहितं वातगं तथा ।
ह्लादिनीन्तु समुच्चार्य जपेदेनं महामनुम् ॥ ८॥
देवजाप्यं स्वेष्टदत्तं हैतीयजनगोचरम् ।
श्रीराधाकृष्णयोरेव हवात्संयोगदं परम् ॥ ९॥
नमस्तस्मै भगवते कृष्णायाकुण्ठमेधसे ।
राधाधरसुधापानमत्ताय च नमो नमः ॥ १०॥
मालामन्त्रं प्रवक्ष्यामि सावधानावधारय ।
एकविंशाक्षरोह्येष दृष्टा दृष्टफलप्रदः ॥ ११॥
अस्थिसञ्ज्ञश्च रुधिरारूढस्तु सुमुखाङ्कुरः ।
रोचिष्मान्मुखवृत्तस्थो धनेशः शेषसंयुतः ॥ १२॥
वारिदः केशवारूढो लम्पटश्च पिनाकिना ।
युतः श्रीकण्ठसरूढो भरद्वाजो निवृत्तियुक् ॥ १३॥
चक्रोयुक्तश्चक्रोधिन्या वामदृक्सङ्गतस्तथा ।
सदाशिवो निवृत्तस्थो भुजङ्गेशी च सूक्ष्मगा ॥ १४॥
वज्रमुष्टिश्चन्द्रसंस्थो वृषघ्नो मात्रिकादिगः ।
पूर्वार्द्धमेतन्निर्णीतं परार्द्धं प्रोच्यतेधुना ॥ १५॥
हृदा रोचिष्मताशाकं नृसिंहास्त्रोरसि स्थितः ।
खड्गीशो देवमातृस्थोनुस्वारेण विभाषितः ॥ १६॥
दाता शेषासनस्थश्च वारुणो वातसङ्गतः ।
नरःश्रीकण्ठसंसक्तः समुच्चार्यो मनीषणा ॥ १७॥
शङ्कुकर्णः पावकेन सङ्गतो मायया पुनः ।
सुरेशः केशवारूढो शौरी श्रीकण्ठसङ्गतः ॥ १८॥
चञ्चलो व्योमरूपस्थो ह्लादिनीरुचिरेण च ।
केशवाङ्कगता चैव परार्द्धोयमुदाहृतः ॥ १९॥
इति श्रीराधापटलं समाप्तिमगात् ॥
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Shri Radha Krishna Stuti (श्री राधाकृष्ण स्तुति)
श्री राधा कृष्ण स्तुति भगवान श्रीकृष्ण और उनकी आराध्या श्री राधा की अलौकिक प्रेम, दिव्यता और भक्ति की महिमा का गुणगान है। यह स्तुति भक्ति मार्ग पर चलने वालों के लिए अद्भुत प्रेरणा का स्रोत है। इसमें श्रीकृष्ण को "Lord of Love" और श्री राधा को "Goddess of Devotion" के रूप में वर्णित किया गया है। यह स्तुति पाठ करने से भक्तों को दिव्य प्रेम, आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। "Radha Krishna Bhajans", "Hindu devotional songs", और "divine couple" जैसे विषयों के प्रति रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यह स्तुति अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। श्री राधा कृष्ण स्तुति प्रेम, त्याग और निष्ठा का प्रतीक है, जो मनुष्य के मन को शुद्ध और ईश्वर की ओर प्रेरित करता है। यह स्तुति भक्तों को जीवन के कष्टों से मुक्ति और "spiritual enlightenment", "divine love", और "sacred connection" का अनुभव कराती है। "Vrindavan Leelas", "Krishna Bhakti", और "Radha's Grace" जैसे प्रमुख विषय इसमें समाहित हैं।Stuti
Shri Radhakund Ashtakam (श्री राधाकुण्ड अष्टकम)
Shri Radhakund Ashtakam भगवान श्री कृष्ण की प्रिय राधा के साथ राधाकुंड की महिमा का वर्णन करता है, जिसे "Sacred Pool of Divine Love" और "Holy Place of Devotion" माना जाता है। यह स्तोत्र राधा और कृष्ण के मिलन की शक्ति और उनके "Divine Union" का आह्वान करता है। राधाकुंड वह स्थल है जहाँ श्री कृष्ण ने राधा के साथ अपने प्रेम का अभिव्यक्त किया, जो "Goddess of Love" और "Divine Energy" के रूप में पूजित हैं। Shri Radhakund Ashtakam का पाठ "Radhakrishna Devotional Chant" और "Spiritual Love Hymn" के रूप में किया जाता है। इसके जाप से भक्तों को राधा-कृष्ण की अनंत कृपा और "Divine Blessings" प्राप्त होती हैं। यह स्तोत्र "Spiritual Awakening" और "Inner Peace Prayer" के रूप में भी महत्वपूर्ण है। इसका नियमित पाठ मानसिक शांति, आत्मिक बल और दिव्य ऊर्जा को बढ़ाता है। राधाकुंड में स्नान करने और इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। Shri Radhakund Ashtakam को "Divine Love Prayer" और "Blessings of Radhakrishna" के रूप में पढ़ने से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।Ashtakam
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Shri Radhashtakam (श्री राधाष्टकम्)
श्री राधाष्टकम एक भक्ति-प्रधान स्तोत्र है, जिसमें श्री राधा रानी की महिमा का वर्णन किया गया है। श्री राधा को भगवान श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय गोपी और प्रेम की देवी माना जाता है। इस अष्टकम में उनके दिव्य सौंदर्य, करूणा, और प्रेमपूर्ण स्वभाव की स्तुति की गई है। श्री राधा रानी वृंदावन, बरसाना, और गोवर्धन पर्वत से गहराई से जुड़ी हुई हैं, जो भक्ति और प्रेम के प्रतीक पवित्र स्थान हैं। इस स्तोत्र में यमुना नदी और कृष्ण लीला का भी उल्लेख है, जो श्री राधा और श्रीकृष्ण के अलौकिक प्रेम को दर्शाते हैं। विशेष रूप से, श्री राधाष्टकम का पाठ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधाष्टमी, और कार्तिक मास के दौरान करने से भक्तों को मोक्ष और परमात्मा की कृपा प्राप्त होती है।Ashtakam
Shri Radha Chalisa (श्री राधा चालीसा)
राधा माता के प्रमुख नामों में राधा प्यारी, श्रीजी, ललिता सखी, और वृषभानु नंदिनी शामिल हैं। भक्तगण इस चालीसा का उपयोग श्रीकृष्ण के साथ राधा रानी की लीलाओं का स्मरण करने और राधा-कृष्ण भजनों के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने के लिए करते हैं।Chalisa
Shri Radhika Dhipashtakam (श्री राधिका धिपाष्टकम्)
Shri Radhika Dhipashtakam (श्री राधिका धिपाष्टकम्)/ Shri Radha Krishna Ashtakam एक अत्यंत शक्तिशाली स्तुति है, जो Lord Krishna और Radha Rani की कृपा प्राप्ति के लिए गाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, Shri Krishna की puja और bhakti करने से devotee’s wishes शीघ्र पूर्ण होती हैं। Shri Radha Rani की कृपा से peace और prosperity घर में आती है। इस कारण साधक Lord Krishna की विशेष worship और upasana करते हैं। Sanatan Dharma में Wednesday को भगवान Jagat Palankarta Shri Krishna की special puja का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन Lord Ganesha की पूजा का भी विधान है। शास्त्रों के अनुसार, Lord Krishna अनंत काल से अपनी divine leelas के माध्यम से इस सृष्टि का संचालन कर रहे हैं। यदि कोई भक्त Shri Krishna की blessings प्राप्त करना चाहता है, तो उसे Shri Radha Krishna Ashtakam का पाठ अवश्य करना चाहिए।Ashtakam
Shri Radha Stuti (श्री राधा स्तुति)
Shri Radha Stuti (श्री राधा स्तुति) के साथ-साथ यदि Radha Aarti का पाठ किया जाए तो, इस Stuti का बहुत लाभ मिलता है, यह Stuti शीघ्र ही फल देने लग जाती है। यदि साधक इस Stuti का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइयाँ खुद-ब-खुद दूर होने लग जाती हैं, साथ ही positive energy प्राप्त होती है। अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लंबे समय से बीमार व्यक्ति को इस Stuti का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है। यदि मनुष्य जीवन के सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस Stuti का पाठ करे। श्री राधा स्तुति के पाठ के साथ-साथ Radha Chalisa का भी पाठ करने से wishful desires पूर्ण होती हैं, और नियमित रूप से करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते हैं। और साधक के जीवन में diseases, fear, flaws, sorrow, evil, anxiety दूर हो जाते हैं, साथ ही Radha Rani की पूजा करने से life span, fame, strength, और health में वृद्धि प्राप्त होती है। याद रखें, इस Shri Radha Stuti पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाए रखें। इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है।Stuti