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Shri Krishna Ashtottara Sata Nama Stotram || श्री कृष्ण अष्टोत्तर शतनामस्तोत्रम् : 108 Divine Names of Lord Sri Krishna !! Full Lyrics !!
Shri Krishna Ashtottara Sata Nama Stotram (श्री कृष्ण अष्टोत्तर शतनामस्तोत्रम्)
श्री कृष्ण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् (Shri Krishna Ashtottara Sata Nama Stotram) भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) के 108 पवित्र नामों का वर्णन करता है, जो भक्तों (devotees) को सुख, शांति और समृद्धि (happiness, peace, and prosperity) प्रदान करता है। यह स्तोत्रम् असुर शक्तियों (evil forces) से बचाने और नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) को दूर करने में सहायक है। गोविंद, मुकुंद, माधव (Govinda, Mukunda, Madhava) जैसे पवित्र नामों का जप करने से आध्यात्मिक उन्नति (spiritual growth) और पापों से मुक्ति (freedom from sins) प्राप्त होती है। यह ईश्वरीय अनुग्रह (divine grace) पाने और जीवन में सफलता (success in life) के लिए अत्यंत फलदायी है। श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) के नाम स्मरण से कलियुग के दोषों (Kali Yuga Dosha) से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।श्री कृष्ण अष्टोत्तर शतनामस्तोत्रम्
(Shri Krishna Ashtottara Sata Nama Stotram)
श्रीगोपालकृष्णाय नमः ॥
श्रीशेष उवाच ॥
ॐ अस्य श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रस्य।
श्रीशेष ऋषिः ॥ अनुष्टुप् छंदः ॥ श्रीकृष्णोदेवता ॥
श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनामजपे विनियोगः ॥
ॐ श्रीकृष्णः कमलानाथो वासुदेवः सनातनः ।
वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥ 1 ॥
श्रीवत्सकौस्तुभधरो यशोदावत्सलो हरिः ।
चतुर्भुजात्तचक्रासिगदा शंखाद्युदायुधः ॥ 2 ॥
देवकीनंदनः श्रीशो नंदगोपप्रियात्मजः ।
यमुनावेगसंहारी बलभद्रप्रियानुजः ॥ 3 ॥
पूतनाजीवितहरः शकटासुरभंजनः ।
नंदव्रजजनानंदी सच्चिदानंदविग्रहः ॥ 4 ॥
नवनीतविलिप्तांगो नवनीतनटोऽनघः ।
नवनीतनवाहारो मुचुकुंदप्रसादकः ॥ 5 ॥
षोडशस्त्री सहस्रेश स्रिभंगि मधुराकृतिः ।
शुकवागमृताब्धींदुर्गोविंदो गोविदांपतिः ॥ 6 ॥
वत्सवाटचरोऽनंतो धेनुकासुरभंजनः ।
तृणीकृततृणावर्तो यमलार्जुनभंजनः ॥ 7 ॥
उत्तानतालभेत्ता च तमालश्यामलाकृतिः ।
गोपगोपीश्वरो योगी सूर्यकोटिसमप्रभः ॥ 8 ॥
इलापतिः परंज्योतिर्यादवेंद्रो यदूद्वहः ।
वनमाली पीतवासाः पारिजातापहारकः ॥ 9 ॥
गोवर्धनाचलोद्धर्ता गोपालः सर्वपालकः ।
अजो निरंजनः कामजनकः कंजलोचनः ॥ 10 ॥
मधुहा मथुरानाथो द्वारकानायको बली ।
वृंदावनांतसंचारी तुलसीदामभूषणः ॥ 11 ॥
श्यमंतकमणेर्हर्ता नरनारायणात्मकः ।
कुब्जाकृष्णांबरधरो मायी परमपूरुषः ॥ 12 ॥
मुष्टिकासुरचाणूरमहायुद्धविशारदः ।
संसारवैरी कंसारिर्मुरारिर्नरकांतकः ॥ 13 ॥
अनादिब्रह्मचारी च कृष्णाव्यसनकर्षकः ।
शिशुपालशिरश्छेत्ता दुर्योधनकुलांतकः ॥ 14 ॥
विदुराक्रूरवरदो विश्वरूपप्रदर्शकः ।
सत्यवाक् सत्यसंकल्पः सत्यभामारतो जयी ॥ 15 ॥
सुभद्रापूर्वजो विष्णुर्भीष्ममुक्तिप्रदायकः ।
जगद्गुरुर्जगन्नाथो वेणुनादविशारदः ॥ 16 ॥
वृषभासुरविध्वंसी बाणासुरबलांतकः ।
युधिष्ठिरप्रतिष्ठाता बर्हिबर्हावतंसकः ॥ 17 ॥
पार्थसारथिरव्यक्तो गीतामृतमहोदधिः ।
कालीयफणिमाणिक्यरंजितश्रीपदांबुजः ॥ 18 ॥
दामोदरो यज्ञभोक्ता दानवेंद्रविनाशकः ।
नारायणः परंब्रह्म पन्नगाशनवाहनः ॥ 19 ॥
जलक्रीडासमासक्त गोपीवस्त्रापहारकः ।
पुण्यश्लोकस्तीर्थपादो वेदवेद्यो दयानिधिः ॥ 20 ॥
सर्वतीर्थात्मकः सर्वग्रहरुपी परात्परः ।
एवं श्रीकृष्णदेवस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ॥ 21 ॥
कृष्णनामामृतं नाम परमानंदकारकम् ।
अत्युपद्रवदोषघ्नं परमायुष्यवर्धनम् ॥ 22 ॥
॥ इति श्रीनारदपंचरात्रे ज्ञानामृतसारे चतुर्थरात्रे उमामहेश्वरसंवादे
धरणीशेषसंवादे श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
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