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Anand Lahari (आनन्द लहरि)
आनन्द लहरि
(Anand Lahari)
भवानि स्तोतुं त्वां प्रभवति चतुर्भिर्न वदनैः
प्रजानामीशानस्त्रिपुरमथनः पञ्चभिरपि ।
न षड्भिः सेनानीर्दशशतमुखैरप्यहिपतिः
तदान्येषां केषां कथय कथमस्मिन्नवसरः ॥ 1॥
घृतक्षीरद्राक्षामधुमधुरिमा कैरपि पदैः
विशिष्यानाख्येयो भवति रसनामात्र विषयः ।
तथा ते सौन्दर्यं परमशिवदृङ्मात्रविषयः
कथङ्कारं ब्रूमः सकलनिगमागोचरगुणे ॥ 2॥
मुखे ते ताम्बूलं नयनयुगले कज्जलकला
ललाटे काश्मीरं विलसति गले मौक्तिकलता ।
स्फुरत्काञ्ची शाटी पृथुकटितटे हाटकमयी
भजामि त्वां गौरीं नगपतिकिशोरीमविरतम् ॥ 3॥
विराजन्मन्दारद्रुमकुसुमहारस्तनतटी
नदद्वीणानादश्रवणविलसत्कुण्डलगुणा
नताङ्गी मातङ्गी रुचिरगतिभङ्गी भगवती
सती शम्भोरम्भोरुहचटुलचक्षुर्विजयते ॥ 4॥
नवीनार्कभ्राजन्मणिकनकभूषणपरिकरैः
वृताङ्गी सारङ्गीरुचिरनयनाङ्गीकृतशिवा ।
तडित्पीता पीताम्बरललितमञ्जीरसुभगा
ममापर्णा पूर्णा निरवधिसुखैरस्तु सुमुखी ॥ 5॥
हिमाद्रेः सम्भूता सुललितकरैः पल्लवयुता
सुपुष्पा मुक्ताभिर्भ्रमरकलिता चालकभरैः ।
कृतस्थाणुस्थाना कुचफलनता सूक्तिसरसा
रुजां हन्त्री गन्त्री विलसति चिदानन्दलतिका ॥ 6॥
सपर्णामाकीर्णां कतिपयगुणैः सादरमिह
श्रयन्त्यन्ये वल्लीं मम तु मतिरेवं विलसति ।
अपर्णैका सेव्या जगति सकलैर्यत्परिवृतः
पुराणोऽपि स्थाणुः फलति किल कैवल्यपदवीम् ॥ 7॥
विधात्री धर्माणां त्वमसि सकलाम्नायजननी
त्वमर्थानां मूलं धनदनमनीयाङ्घ्रिकमले ।
त्वमादिः कामानां जननि कृतकन्दर्पविजये
सतां मुक्तेर्बीजं त्वमसि परमब्रह्ममहिषी ॥ 8॥
प्रभूता भक्तिस्ते यदपि न ममालोलमनसः
त्वया तु श्रीमत्या सदयमवलोक्योऽहमधुना ।
पयोदः पानीयं दिशति मधुरं चातकमुखे
भृशं शङ्के कैर्वा विधिभिरनुनीता मम मतिः ॥ 9॥
कृपापाङ्गालोकं वितर तरसा साधुचरिते
न ते युक्तोपेक्षा मयि शरणदीक्षामुपगते ।
न चेदिष्टं दद्यादनुपदमहो कल्पलतिका
विशेषः सामान्यैः कथमितरवल्लीपरिकरैः ॥ 10॥
महान्तं विश्वासं तव चरणपङ्केरुहयुगे
निधायान्यन्नैवाश्रितमिह मया दैवतमुमे ।
तथापि त्वच्चेतो यदि मयि न जायेत सदयं
निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥ 11॥
अयः स्पर्शे लग्नं सपदि लभते हेमपदवीं
यथा रथ्यापाथः शुचि भवति गङ्गौघमिलितम् ।
तथा तत्तत्पापैरतिमलिनमन्तर्मम यदि
त्वयि प्रेम्णासक्तं कथमिव न जायेत विमलम् ॥ 12॥
त्वदन्यस्मादिच्छाविषयफललाभे न नियमः
त्वमर्थानामिच्छाधिकमपि समर्था वितरणे ।
इति प्राहुः प्राञ्चः कमलभवनाद्यास्त्वयि मनः
त्वदासक्तं नक्तं दिवमुचितमीशानि कुरु तत् ॥ 13॥
स्फुरन्नानारत्नस्फटिकमयभित्तिप्रतिफल
त्त्वदाकारं चञ्चच्छशधरकलासौधशिखरम् ।
मुकुन्दब्रह्मेन्द्रप्रभृतिपरिवारं विजयते
तवागारं रम्यं त्रिभुवनमहाराजगृहिणि ॥ 14॥
निवासः कैलासे विधिशतमखाद्याः स्तुतिकराः
कुटुम्बं त्रैलोक्यं कृतकरपुटः सिद्धिनिकरः ।
महेशः प्राणेशस्तदवनिधराधीशतनये
न ते सौभाग्यस्य क्वचिदपि मनागस्ति तुलना ॥ 15॥
वृषो वृद्धो यानं विषमशनमाशा निवसनं
श्मशानं क्रीडाभूर्भुजगनिवहो भूषणविधिः
समग्रा सामग्री जगति विदितैव स्मररिपोः
यदेतस्यैश्वर्यं तव जननि सौभाग्यमहिमा ॥ 16॥
अशेषब्रह्माण्डप्रलयविधिनैसर्गिकमतिः
श्मशानेष्वासीनः कृतभसितलेपः पशुपतिः ।
दधौ कण्ठे हालाहलमखिलभूगोलकृपया
भवत्याः सङ्गत्याः फलमिति च कल्याणि कलये ॥ 17॥
त्वदीयं सौन्दर्यं निरतिशयमालोक्य परया
भियैवासीद्गङ्गा जलमयतनुः शैलतनये ।
तदेतस्यास्तस्माद्वदनकमलं वीक्ष्य कृपया
प्रतिष्ठामातन्वन्निजशिरसिवासेन गिरिशः ॥ 18॥
विशालश्रीखण्डद्रवमृगमदाकीर्णघुसृण
प्रसूनव्यामिश्रं भगवति तवाभ्यङ्गसलिलम् ।
समादाय स्रष्टा चलितपदपांसून्निजकरैः
समाधत्ते सृष्टिं विबुधपुरपङ्केरुहदृशाम् ॥ 19॥
वसन्ते सानन्दे कुसुमितलताभिः परिवृते
स्फुरन्नानापद्मे सरसि कलहंसालिसुभगे ।
सखीभिः खेलन्तीं मलयपवनान्दोलितजले
स्मरेद्यस्त्वां तस्य ज्वरजनितपीडापसरति ॥ 20॥
॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचिता आनन्दलहरी सम्पूर्णा ॥
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Dakshina Murthy Stotram (दक्षिणा मूर्ति स्तोत्रम्)
दक्षिणा मूर्ति स्तोत्रम् भगवान दक्षिणामूर्ति को समर्पित एक स्तोत्र है, जो उन्हें ज्ञान और शिक्षा के देवता के रूप में पूजता है।Stotra
Shri Amarnath Ashtakam (श्री अमरनाथाष्टकम्)
Shri Amarnath Ashtakam भगवान शिव के अमरनाथ धाम में स्थित उनके दिव्य रूप की महिमा का वर्णन करता है, जिन्हें "Lord of Immortality" और "Supreme Divine Protector" माना जाता है। यह स्तोत्र अमरनाथ यात्रा की महिमा और शिवलिंग के दिव्य स्वरूप की पूजा करता है, जिसे "Sacred Shiva Lingam" और "Cosmic Energy Source" के रूप में पूजित किया जाता है। Shri Amarnath Ashtakam का पाठ "Shiva Devotional Hymn" और "Divine Blessings Chant" के रूप में किया जाता है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को "Spiritual Protection" और "Inner Peace" प्राप्त होती है। यह स्तोत्र "Lord Shiva's Divine Grace" और "Blessings for Prosperity" के रूप में अत्यधिक प्रभावी है। इसका जाप करने से जीवन में "Positive Energy" का प्रवाह होता है और व्यक्ति को "Spiritual Awakening" और "Cosmic Protection" मिलती है। Shri Amarnath Ashtakam को "Sacred Prayer for Blessings" और "Shiva's Eternal Grace" के रूप में पढ़ने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।Ashtakam
Shiv Stuti (शिव स्तुति)
Shiv Stuti (शिव स्तोत्र Shiva Stotra)Shiv Stuti, भगवान Shiva को समर्पित एक भक्तिमय hymn है, जो उनकी supreme power, grace, और destruction of evil के लिए गाया जाता है। हिंदू धर्म में भगवान शिव को Mahadev के रूप में जाना जाता है, जो creator और destroyer दोनों के रूप में कार्य करते हैं। Shiv Stotra में भगवान शिव के अनंत गुणों का वर्णन किया गया है, जो भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है और जीवन में peace, prosperity और enlightenment लाने में सहायक होता है। यह स्तुति devotees के मन को शांत कर उनकी spiritual journey को सरल बनाती है। भगवान शिव की इस divine stotra का recitation करने से व्यक्ति के karmic obstacles दूर होते हैं और उसे divine blessings की प्राप्ति होती है।Stuti
Shri Shiv Aparadh Kshamapan Stotram (श्री शिवापराध क्षमापण स्तोत्रम्)
Shiv Apradh Kshamapan Stotra(शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र) आदि Adi Shankaracharya द्वारा रचित एक दिव्य Sacred Stotra है, जिसे Lord Shiva की पूजा में Forgiveness Prayer के लिए गाया जाता है 🙏। यह Hindu Devotional Stotra पूजा और Worship के दौरान हुई भूलों के लिए Apology Request करने का सर्वोत्तम साधन है। इस Powerful Hymn का नियमित पाठ Sadhak को Goddess Durga’s Blessings और Lord Shiva’s Infinite Grace प्रदान करता है। इस Shiva Stotra में भक्त Lord Shiva से हाथ, पैर, वाणी, शरीर, मन और हृदय से किए गए Sins and Mistakes की क्षमा मांगते हैं। वे अपने Past and Future Sins के लिए भी Mercy Request करते हैं 🕉️। इस Divine Chanting का पाठ Lord Shiva को Pleased करता है, जो Trinity Destroyer माने जाते हैं और करोड़ों Hindu Devotees द्वारा मुख्य Deity रूप में पूजे जाते हैं। Shiva Worship के बाद Shiv Apradh Kshamapan Stotra का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। Lord Shiva’s Sacred Panchakshar Mantra "Na Ma Si Va Ya" इस Stotra में विशेष रूप से प्रतिष्ठित है, जिससे Sadhak के जीवन में Positive Transformation आता है और वह Spiritually Elevated होता है 🚩।Stotra
Brahmand Vijay Shri Shiva Kavacham (ब्रह्माण्डविजय श्री शिव कवचम्)
Shiva Kavach (शिव कवच) एक परम अद्भुत और ब्रह्माण्डविजय कवच है, जिसकी दस लाख जप से ही सिद्धि प्राप्त हो जाती है। यदि यह कवच सिद्ध हो जाए, तो साधक निश्चय ही रुद्र-तुल्य हो जाता है। यह काण्वशाखोक्त कवच अत्यंत गोपनीय और परम दुर्लभ है। सहस्रों Ashwamedha Yagya और सैकड़ों Rajasuya Yagya भी इस कवच की सोलहवीं कला के समान नहीं हो सकते। इस Shiva Kavach की कृपा से साधक Jeevanmukt, Sarvagya, Samppurna Siddhiyon Ka Swami और Man Ke Saman Vegshali हो जाता है। जो इस Shiva Kavach को बिना जाने Bhagwan Shankar का Bhajan करता है, उसे Ek Crore Jap करने पर भी Mantra Siddhi प्राप्त नहीं होती। अतः जो भी Shiva Bhakt जीवन में Victory, Power, Protection और Spiritual Growth चाहता है, उसे Shiva Kavach का विधिपूर्वक Jap और Sadhna करनी चाहिए।Kavacha
Bhagwan Mahadev Arti (भगवान् महादेव की आरती)
हर हर हर महादेव भगवान शिव की प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। यह आरती Lord Shiva के प्रति भक्तों की भक्ति, संकटों से मुक्ति, और आशीर्वाद की अभिव्यक्ति है। Mahadev की यह आरती उनके शिव-तांडव और शक्ति का वर्णन करती है।Arti
Mahamrityunjaya Mantra (संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र)
महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख Rigveda से लेकर Yajurveda तक में मिलता है। वहीं Shiv Puran सहित अन्य scriptures में भी इसका importance बताया गया है। संस्कृत में महामृत्युंजय उस व्यक्ति को कहते हैं जो death को जीतने वाला हो। इसलिए Lord Shiva की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का chanting किया जाता है। इसके chanting से संसार के सभी sufferings से liberation मिलती है। ये मंत्र life-giving है। इससे vitality तो बढ़ती ही है साथ ही positivity बढ़ती है। महामृत्युंजय मंत्र के effect से हर तरह का fear और tension खत्म हो जाती है। Shiv Puran में उल्लेख किए गए इस मंत्र के chanting से आदि शंकराचार्य को भी life की प्राप्ति हुई थी।Mantra
Shri Mrityunjaya Stotram (श्री मृत्युञ्जय स्तोत्रम्)
Shri Mrityunjaya Stotram (श्री मृत्युंजय स्तोत्रम्): श्री मृत्युंजय स्तोत्र (Shri Mrityunjay Stotra) को सबसे प्राचीन वेदों (Vedas) में से एक माना जाता है। महा मृत्युंजय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra) गंभीर बीमारियों (serious ailments) से छुटकारा दिलाने में सहायक माना जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद (Rig Veda) से लिया गया है और भगवान शिव (Lord Shiva) के रुद्र अवतार (Rudra Avatar) को संबोधित करता है। इस मंत्र का नियमित जप (regular chanting) न केवल आयु (longevity) बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि पारिवारिक कलह (familial discord), संपत्ति विवाद (property disputes), और वैवाहिक तनाव (marital stress) को भी सुलझाने में सहायक होता है। श्री मृत्युंजय स्तोत्र में अद्भुत उपचारात्मक शक्तियां (healing powers) हैं। यह हिंदुओं की सबसे आध्यात्मिक साधना (spiritual pursuit) मानी जाती है। भगवान शिव को सत्य (truth) और परमात्मा (Transcendent Lord) माना गया है। शिव के अनुयायियों का विश्वास है कि वे स्वयंभू (Swayambho) हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करना सरल है और वे अपने भक्तों (devotees) को आसानी से वरदान (boons) प्रदान करते हैं। धन (wealth), स्वास्थ्य (health), सुख (happiness), या समृद्धि (prosperity) से संबंधित कोई भी इच्छा, शिव पूरी करते हैं और भक्तों को कष्टों (sufferings) से मुक्त करते हैं। इसका उल्लेख शिव पुराण (Shiva Purana) में दो कहानियों के रूप में मिलता है। पहली कहानी के अनुसार, यह मंत्र केवल ऋषि मार्कंडेय (Rishi Markandeya) को ज्ञात था, जिन्हें स्वयं भगवान शिव ने यह मंत्र प्रदान किया था। आज के युग में शिव की पूजा (worship) का सही तरीका क्या है? सतयुग (Satyug) में मूर्ति पूजा (idol worship) प्रभावी थी, लेकिन कलयुग (Kalyug) में केवल मूर्ति के सामने प्रार्थना करना पर्याप्त नहीं है। भविषय पुराणों (Bhavishya Puranas) में भी इस बात का उल्लेख है कि सुख (happiness) और मन की शांति (peace of mind) के लिए मंत्र जप (chanting) का महत्व है। महा मृत्युंजय मंत्र का दैनिक जप (daily chanting) व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य (good health), धन (wealth), समृद्धि (prosperity) और दीर्घायु (long life) प्रदान करता है। यह सकारात्मक ऊर्जा (positive vibes) उत्पन्न करता है और विपत्तियों (calamities) से रक्षा करता है।Stotra