Sudarshan Ashtakam (सुदर्शन अष्टकम्)

सुदर्शन अष्टकम् (वेदान्ताचार्य कृतम्) (Sudarshan Ashtakam) प्रतिभटश्रेणिभीषण वरगुणस्तोमभूषण जनिभयस्थानतारण जगदवस्थानकारण । निखिलदुष्कर्मकर्शन निगमसद्धर्मदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 1 ॥ शुभजगद्रूपमण्डन सुरजनत्रासखण्डन शतमखब्रह्मवन्दित शतपथब्रह्मनन्दित । प्रथितविद्वत्सपक्षित भजदहिर्बुध्न्यलक्षित जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 2 ॥ निजपदप्रीतसद्गण निरुपथिस्फीतषड्गुण निगमनिर्व्यूढवैभव निजपरव्यूहवैभव । हरिहयद्वेषिदारण हरपुरप्लोषकारण जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 3 ॥ स्फुटतटिज्जालपिञ्जर पृथुतरज्वालपञ्जर परिगतप्रत्नविग्रह परिमितप्रज्ञदुर्ग्रह । प्रहरणग्राममण्डित परिजनत्राणपण्डित जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 4 ॥ भुवननेतस्त्रयीमय सवनतेजस्त्रयीमय निरवधिस्वादुचिन्मय निखिलशक्तेजगन्मय । अमितविश्वक्रियामय शमितविश्वग्भयामय जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 5 ॥ महितसम्पत्सदक्षर विहितसम्पत्षडक्षर षडरचक्रप्रतिष्ठित सकलतत्त्वप्रतिष्ठित । विविधसङ्कल्पकल्पक विबुधसङ्कल्पकल्पक जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 6 ॥ प्रतिमुखालीढबन्धुर पृथुमहाहेतिदन्तुर विकटमालापरिष्कृत विविधमायाबहिष्कृत । स्थिरमहायन्त्रयन्त्रित दृढदयातन्त्रयन्त्रित जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 7 ॥ दनुजविस्तारकर्तन दनुजविद्याविकर्तन जनितमिस्राविकर्तन भजदविद्यानिकर्तन । अमरदृष्टस्वविक्रम समरजुष्टभ्रमिक्रम जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 8 ॥ द्विचतुष्कमिदं प्रभूतसारं पठतां वेङ्कटनायकप्रणीतम् । विषमेऽपि मनोरथः प्रधावन् न विहन्येत रथाङ्गधुर्यगुप्तः ॥ 9 ॥ इति श्री वेदान्ताचार्यस्य कृतिषु सुदर्शनाष्टकम् ।