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Narayaniyam Dashaka 89 (नारायणीयं दशक 89)
नारायणीयं दशक 89 (Narayaniyam Dashaka 89)
रमाजाने जाने यदिह तव भक्तेषु विभवो
न सद्यस्संपद्यस्तदिह मदकृत्त्वादशमिनाम् ।
प्रशांतिं कृत्वैव प्रदिशसि ततः काममखिलं
प्रशांतेषु क्षिप्रं न खलु भवदीये च्युतिकथा ॥1॥
सद्यः प्रसादरुषितान् विधिशंकरादीन्
केचिद्विभो निजगुणानुगुणं भजंतः ।
भ्रष्टा भवंति बत कष्टमदीर्घदृष्ट्या
स्पष्टं वृकासुर उदाहरणं किलास्मिन् ॥2॥
शकुनिजः स तु नारदमेकदा
त्वरिततोषमपृच्छदधीश्वरम् ।
स च दिदेश गिरीशमुपासितुं
न तु भवंतमबंधुमसाधुषु ॥3॥
तपस्तप्त्वा घोरं स खलु कुपितः सप्तमदिने
शिरः छित्वा सद्यः पुरहरमुपस्थाप्य पुरतः ।
अतिक्षुद्रं रौद्रं शिरसि करदानेन निधनं
जगन्नाथाद्वव्रे भवति विमुखानां क्व शुभधीः ॥4॥
मोक्तारं बंधमुक्तो हरिणपतिरिव प्राद्रवत्सोऽथ रुद्रं
दैत्यात् भीत्या स्म देवो दिशि दिशि वलते पृष्ठतो दत्तदृष्टिः ।
तूष्णीके सर्वलोके तव पदमधिरोक्ष्यंतमुद्वीक्ष्य शर्वं
दूरादेवाग्रतस्त्वं पटुवटुवपुषा तस्थिषे दानवाय ॥5॥
भद्रं ते शाकुनेय भ्रमसि किमधुना त्वं पिशाचस्य वाचा
संदेहश्चेन्मदुक्तौ तव किमु न करोष्यंगुलीमंगमौलौ ।
इत्थं त्वद्वाक्यमूढः शिरसि कृतकरः सोऽपतच्छिन्नपातं
भ्रंशो ह्येवं परोपासितुरपि च गतिः शूलिनोऽपि त्वमेव ॥6॥
भृगुं किल सरस्वतीनिकटवासिनस्तापसा-
स्त्रिमूर्तिषु समादिशन्नधिकसत्त्वतां वेदितुम् ।
अयं पुनरनादरादुदितरुद्धरोषे विधौ
हरेऽपि च जिहिंसिषौ गिरिजया धृते त्वामगात् ॥7॥
सुप्तं रमांकभुवि पंकजलोचनं त्वां
विप्रे विनिघ्नति पदेन मुदोत्थितस्त्वम् ।
सर्वं क्षमस्व मुनिवर्य भवेत् सदा मे
त्वत्पादचिन्हमिह भूषणमित्यवादीः ॥8॥
निश्चित्य ते च सुदृढं त्वयि बद्धभावाः
सारस्वता मुनिवरा दधिरे विमोक्षम् ।
त्वामेवमच्युत पुनश्च्युतिदोषहीनं
सत्त्वोच्चयैकतनुमेव वयं भजामः ॥9॥
जगत्सृष्ट्यादौ त्वां निगमनिवहैर्वंदिभिरिव
स्तुतं विष्णो सच्चित्परमरसनिर्द्वैतवपुषम् ।
परात्मानं भूमन् पशुपवनिताभाग्यनिवहं
परितापश्रांत्यै पवनपुरवासिन् परिभजे ॥10॥
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Narayaniyam Dashaka 11 (नारायणीयं दशक 11)
नारायणीयं दशक 11 में भगवान नारायण के लीलाओं का वर्णन है। यह दशक भक्तों को भगवान के दिव्य लीलाओं की अद्वितीयता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Baal Mukundashtakam (बाल मुकुन्दाष्टकम्)
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Sudarshan Kavach (श्री सुदर्शन कवच )
सुदर्शन कवच (Sudarshan Kavach) भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का महान रक्षात्मक कवच (protective shield) है। इस कवच का पाठ (recitation) करने से व्यक्ति गंभीर बीमारियों (serious illnesses), बुरी नजर (evil eye), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित रहता है और उसे उत्तम स्वास्थ्य (good health) प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी (chronic disease) से पीड़ित है, जिसे उपचार (treatment) और दवाओं (medication) के बावजूद राहत नहीं मिल रही है, जिसके कारण उसे बहुत शारीरिक कष्ट (physical suffering) और पीड़ा सहनी पड़ रही है और उसका परिवार भी अत्यधिक परेशान है, तो ऐसी स्थिति में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए। इस पाठ (recitation) से गंभीर बीमारियां (serious illnesses) धीरे-धीरे ठीक होने लगती हैं और शारीरिक स्वास्थ्य (physical health) भी अच्छा बना रहता है। व्यक्ति को दीर्घायु (longevity) का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि किसी व्यक्ति के घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), बुरी नजर (evil eye), तंत्र-मंत्र (tantra-mantra) का प्रभाव, काला जादू (black magic) आदि है, जिसके कारण परिवार के सदस्यों के बीच रोज किसी न किसी बात पर झगड़े होते हैं, सभी के मन में एक-दूसरे के प्रति नाराजगी रहती है, और घर में अशांति रहती है, तो ऐसी स्थिति में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) करने और घर में सुदर्शन यंत्र (Sudarshan Yantra) स्थापित करने से व्यक्ति और उसका परिवार सभी नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित होने लगता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी दैनिक पूजा (daily worship) में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए, ताकि वह भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के दिव्य आशीर्वाद (divine blessings) प्राप्त कर सके।Kavacha
Sudarshan Ashtottara Sata Naam Stotram (सुदर्शन अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्)
Sudarshan Ashtottara Sata Naam Stotram भगवान Vishnu के Sudarshan Chakra की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है, जिसे "Divine Weapon" और "Protector of Dharma" के रूप में जाना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और शत्रुओं से रक्षा के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र "Sudarshan Chakra Hymn" और "Divine Protection Prayer" के रूप में प्रसिद्ध है। इसके पाठ से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा प्राप्त होती है। इसे "Sacred Chant for Protection" और "Lord Vishnu Devotional Hymn" के रूप में पढ़ने से जीवन में सफलता और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।Stotra
Shri Vishnu Chalisa (श्री विष्णु चालीसा)
विष्णु चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान विष्णु पर आधारित है। हिन्दू मान्यतानुसार भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं। Vishnu Chalisa का पाठ विशेष रूप से Vaikuntha Ekadashi और अन्य पूजा अवसरों पर किया जाता है। यह divine protection और blessings प्राप्त करने का एक अत्यंत शक्तिशाली साधन है। Vishnu mantra जीवन में peace और spiritual growth को बढ़ावा देता है।Chalisa
Om Jai Jagdish Hare (ॐ जय जगदीश हरे)
"ओम जय जगदीश हरे" एक प्रसिद्ध हिंदी आरती है, जो भगवान विष्णु की स्तुति और भक्ति का प्रतीक है। यह आरती भगवान को "Preserver of the Universe", "Lord Vishnu", और "Supreme Protector" के रूप में संबोधित करती है। इसे गाने से मन की शुद्धि, आध्यात्मिक शांति, और ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना बढ़ती है। "Hindu prayers", "devotional songs", और "spiritual hymns" में रुचि रखने वाले भक्तों के लिए यह आरती अद्वितीय है। "ओम जय जगदीश हरे" आरती सभी प्रकार के पूजा और भक्ति अनुष्ठानों में गाई जाती है। यह आरती ईश्वर के प्रति निष्ठा, दया, और भक्ति का आह्वान करती है। इसे गाने से भक्त "divine connection", "spiritual fulfillment", और "God's blessings" का अनुभव करते हैं। यह आरती "Vishnu Bhakti", "devotional practices", और "spiritual traditions" जैसे विषयों से गहराई से जुड़ी हुई है। "Universal prayer", "devotional hymn for Lord Vishnu", और "spiritual awakening" के इच्छुक भक्तों के लिए यह आरती अत्यंत प्रभावकारी मानी जाती है।Shloka-Mantra
Achyutashtakam (अच्युताष्टकम्)
Achyutashtakam भगवान Lord Vishnu की अष्टकशरण स्तुति है, जो उनके दिव्य रूप और Divine Qualities का वर्णन करती है। इस Hindu Devotional Stotra का Chanting करने से भक्तों को Spiritual Growth, Protection, और Blessings मिलती है। Lord Vishnu Worship से जीवन में Peace, Prosperity, और Positive Transformation आती है। इस Sacred Hymn के पाठ से Divine Grace प्राप्त होती है और हर संकट से मुक्ति मिलती है। Achyutashtakam का पाठ करने से भक्तों को Inner Peace और Happiness प्राप्त होती है। यह Auspicious Stotra भक्तों के Spiritual Journey को उन्नति की ओर ले जाता है।Ashtakam
Shri Vishnu Ashtottara Satanam Stotram (श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्)
श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम भगवान विष्णु के 108 पावन नामों का महत्त्वपूर्ण स्तोत्र है, जो भक्तों को सुख, समृद्धि, शांति और पापों से मुक्ति प्रदान करता है। इस स्तोत्र में भगवान के पालनकर्ता, नारायण, जनार्दन, मधुसूदन, केशव जैसे दिव्य नामों का स्मरण किया गया है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को संकटों का नाश, धन-वैभव की प्राप्ति, और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मिलता है। इस स्तोत्र का पाठ व्रत, पूजा, एकादशी और विशेष अवसरों पर करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। भगवान विष्णु के 108 नामों का जप व्यक्ति को सफलता, धार्मिक ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।Stotra