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Shri Surya Panjar Stotram (श्री सूर्य पञ्जर स्तोत्रम्)
श्री सूर्य पञ्जर स्तोत्रम्
(Shri Surya Panjar Stotram)
ॐ उदयगिरिमुपेतं भास्करं पद्महस्तं
सकलभुवननेत्रं रत्नरज्जूपमेयम् ।
तिमिरकरिमृगेन्द्रं बोधकं पद्मिनीनां
सुरवरमभिवन्द्यं सुन्दरं विश्वदीपम् ॥ 1 ॥
ॐ शिखायां भास्कराय नमः ।
ललाटे सूर्याय नमः ।
भ्रूमध्ये भानवे नमः ।
कर्णयोः दिवाकराय नमः ।
नासिकायां भानवे नमः ।
नेत्रयोः सवित्रे नमः ।
मुखे भास्कराय नमः ।
ओष्ठयोः पर्जन्याय नमः ।
पादयोः प्रभाकराय नमः ॥ 2 ॥
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः ।
ॐ हंसां हंसीं हंसूं हंसैं हंसौं हंसः ॥ 3 ॥
ॐ सत्यतेजोज्ज्वलज्वालामालिने मणिकुम्भाय हुं फट् स्वाहा ।
ॐ स्थितिरूपककारणाय पूर्वादिग्भागे मां रक्षतु ॥ 4 ॥
ॐ ब्रह्मतेजोज्ज्वलज्वालामालिने मणिकुम्भाय हुं फट् स्वाहा ।
ॐ तारकब्रह्मरूपाय परयन्त्र-परतन्त्र-परमन्त्र-सर्वोपद्रवनाशनार्थं दक्षिणदिग्भागे मां रक्षतु ॥ 5 ॥
ॐ विष्णुतेजोज्ज्वलज्वालामालिने मणिकुम्भाय हुं फट् स्वाहा ।
ॐ प्रचण्डमार्ताण्ड उग्रतेजोरूपिणे मुकुरवर्णाय तेजोवर्णाय मम सर्वराजस्त्रीपुरुष-वशीकरणार्थं पश्चिमदिग्भागे मां रक्षतु ॥ 6 ॥
ॐ रुद्रतेजोज्ज्वलज्वालामालिने मणिकुम्भाय हुं फट् स्वाहा ।
ॐ भवाय रुद्ररूपिणे उत्तरदिग्भागे सर्वमृत्योपशमनार्थं मां रक्षतु ॥ 7 ॥
ॐ अग्नितेजोज्ज्वलज्वालामालिने मणिकुम्भाय हुं फट् स्वाहा ।
ॐ तिमिरतेजसे सर्वरोगनिवारणाय ऊर्ध्वदिग्भागे मां रक्षतु ॥ 8 ॥
ॐ सर्वतेजोज्ज्वलज्वालामालिने मणिकुम्भाय हुं फट् स्वाहा ।
ॐ नमस्कारप्रियाय श्रीसूर्यनारायणाय अधोदिग्भागे सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थं मां रक्षतु ॥ 9 ॥
मार्ताण्डाय नमः भानवे नमः
हंसाय नमः सूर्याय नमः
दिवाकराय नमः तपनाय नमः
भास्कराय नमः मां रक्षतु ॥ 10 ॥
मित्र-रवि-सूर्य-भानु-खगपूष-हिरण्यगर्भ-
मरीच्यादित्य-सवित्रर्क-भास्करेभ्यो नमः शिरस्थाने मां रक्षतु ॥ 11 ॥
सूर्यादि नवग्रहेभ्यो नमः ललाटस्थाने मां रक्षतु ॥ 12 ॥
धराय नमः धृवाय नमः
सोमाय नमः अथर्वाय नमः
अनिलाय नमः अनलाय नमः
प्रत्यूषाय नमः प्रतापाय नमः
मूर्ध्निस्थाने मां रक्षतु ॥ 13 ॥
वीरभद्राय नमः गिरीशाय नमः
शम्भवे नमः अजैकपदे नमः
अहिर्बुध्ने नमः पिनाकिने नमः
भुवनाधीश्वराय नमः दिशान्तपतये नमः
पशुपतये नमः स्थाणवे नमः
भवाय नमः ललाटस्थाने मां रक्षतु ॥ 14 ॥
धात्रे नमः अंशुमते नमः
पूष्णे नमः पर्जन्याय नमः
विष्णवे नमः नेत्रस्थाने मां रक्षतु ॥ 15 ॥
अरुणाय नमः सूर्याय नमः
इन्द्राय नमः रवये नमः
सुवर्णरेतसे नमः यमाय नमः
दिवाकराय नमः कर्णस्थाने मां रक्षतु ॥ 16 ॥
असिताङ्गभैरवाय नमः रुरुभैरवाय नमः
चण्डभैरवाय नमः क्रोधभैरवाय नमः
उन्मत्तभैरवाय नमः भीषणभैरवाय नमः
कालभैरवाय नमः संहारभैरवाय नमः
मुखस्थाने मां रक्षतु ॥ 17 ॥
ब्राह्म्यै नमः महेश्वर्यै नमः
कौमार्यै नमः वैष्णव्यै नमः
वराह्यै नमः इन्द्राण्यै नमः
चामुण्डायै नमः कण्ठस्थाने मां रक्षतु ॥ 18 ॥
इन्द्राय नमः अग्नये नमः
यमाय नमः निर्ऋतये नमः
वरुणाय नमः वायवे नमः
कुबेराय नमः ईशानाय नमः
बाहुस्थाने मां रक्षतु ॥ 19 ॥
मेषादिद्वादशराशिभ्यो नमः हृदयस्थाने मां रक्षतु ॥ 20 ॥
वज्रायुधाय नमः शक्त्यायुधाय नमः
दण्डायुधाय नमः खड्गायुधाय नमः
पाशायुधाय नमः अङ्कुशायुधाय नमः
गदायुधाय नमः त्रिशूलायुधाय नमः
पद्मायुधाय नमः चक्रायुधाय नमः
कटिस्थाने मां रक्षतु ॥ 21 ॥
मित्राय नमः दक्षिणहस्ते मां रक्षतु ।
रवये नमः वामहस्ते मां रक्षतु ।
सूर्याय नमः हृदये मां रक्षतु ।
भानवे नमः मूर्ध्निस्थाने मां रक्षतु ।
खगाय नमः दक्षिणपादे मां रक्षतु ।
पूष्णे नमः वामपादे मां रक्षतु ।
हिरण्यगर्भाय नमः नाभिस्थाने मां रक्षतु ।
मरीचये नमः कण्ठस्थाने मां रक्षतु ।
आदित्याय नमः दक्षिणचक्षूषि मां रक्षतु ।
सवित्रे नमः वामचक्षुषि मां रक्षतु ।
भास्कराय नमः हस्ते मां रक्षतु ।
अर्काय नमः कवचे मां रक्षतु ॥ 22
ॐ भास्कराय विद्महे महाद्युतिकराय धीमहि । तन्नो आदित्यः प्रचोदयात् ॥ 23 ॥
इति श्री सूर्य पञ्जर स्तोत्रम् ॥
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Surya Ashtakam Stotra Path: सूर्य देव की पूजा-आराधना के लिए रविवार का दिन समर्पित होता है। सूर्य देव नवग्रहों के राजा, आरोग्य, बुद्धि, यश व समृद्धि के देवता कहलाते हैं। कहा जाता है कि कलयुगी संसार में सूर्य देव एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो साक्षात दिखाई पड़ते हैं। सूर्य देव की उपासना करने और अर्घ्य देने से व्यक्ति को समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है। रोजगार पाने की चाह रखने, मनचाही नौकरी नहीं मिल रही है, सरकारी नौकरी मिलने में कठिनाई आ रही है उन लोगों को प्रत्येक रविवार को सुबह स्नान करके सूर्याष्टकम का पाठ पूरे श्रद्धा व भक्ति भाव से करना चाहिए।Ashtakam