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Uddhava Gita - Chapter 2 (उद्धवगीता - द्वितीयोऽध्यायः)
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Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 17 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - सप्तदशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता का सप्तदशो अध्याय श्रद्धात्रय विभाग योग के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण श्रद्धा के तीन प्रकारों की व्याख्या करते हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Murari Stuti (मुरारि स्तुति)
Shri Murari Stuti (मुरारि स्तुति) का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय peaceful और spiritual atmosphere में करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसे Shri Krishna की idol या image के सामने बैठकर गाया जा सकता है। पाठ करने से पहले मन को शांत करें और Lord Krishna के divine form का ध्यान करें। भक्त इसे soft voice में या with music भी गा सकते हैं। Murari Stuti का गायन करने से भक्तों के हृदय में deep devotion और love for Lord Krishna उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तुति का नियमित recitation करने से व्यक्ति को mental peace मिलती है और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह स्तुति positive energy को बढ़ाती है और व्यक्ति को spiritual path पर प्रेरित करती है। जो भक्त regularly इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से अनेक प्रकार के sufferings दूर हो जाते हैं और वे divine grace प्राप्त करते हैं।Stuti
Shri Krishna Kavacham (Trilokya Mangal Kavacham) श्री कृष्ण कवचं (त्रैलोक्य मङ्गल कवचम्)
श्री कृष्ण कवचं, जिसे त्रैलोक्य मङ्गल कवचम् भी कहा जाता है, भगवान कृष्ण के आशीर्वादों को तीनों लोकों में सुरक्षा और कल्याण के लिए बुलाने वाला एक पवित्र स्तोत्र है। इस शक्तिशाली मंत्र का जाप करने से सुरक्षा और आध्यात्मिक समृद्धि सुनिश्चित होती है।Kavacha
Uddhava Gita - Chapter 8 (उद्धवगीता - अस्श्टमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के अष्टमोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में प्रकृति और पुरुष के संबंध पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Uddhava Gita - Chapter 7 (उद्धवगीता - सप्तमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के सप्तमोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष के महत्व पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Venu Gopala Ashtakam (वेणु गोपाल अष्टकम्)
वेणु गोपाल अष्टकम् भगवान कृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि की स्तुति करने वाला एक अद्वितीय स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को गोपाल की बांसुरी की धुन और उनकी महिमा का अनुभव करने में मदद करता है।Ashtakam
Bhagavad Gita fifth chapter (भगवद गीता पांचवां अध्याय)
भगवद गीता पांचवां अध्याय "कर्म-वैराग्य योग" कहलाता है। इसमें श्रीकृष्ण बताते हैं कि त्याग और कर्म के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। वे सिखाते हैं कि जब व्यक्ति फल की इच्छा छोड़े बिना कर्म करता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह अध्याय हमें "कर्मयोग" और "सन्यास" के बीच संतुलन बनाने का मार्ग दिखाता है।Bhagwat-Gita
Gita Govindam Shashtah sargah - Kunth Vaikunthah (गीतगोविन्दं षष्टः सर्गः - कुण्ठ वैकुण्ठः)
गीतगोविन्दं के षष्ट सर्ग में कुण्ठ वैकुण्ठः का वर्णन किया गया है। यह खंड राधा और कृष्ण के बीच की कठिनाइयों और उनके प्रेम की परीक्षा को दर्शाता है।Gita-Govindam