Shri Ramchandra Arti (1) (श्रीरामचन्द्र आरती)

भगवान्‌ श्रीरामचन्द्र बंदौं रघुपति करुना-निधान । जाते छूटै भव-भेद ग्यान॥ १॥ रघुबंस-कुमुद-सुखप्रद निसेस । सेवत पद-पंकज अज-महेस ॥ २॥ निज भक्त-हृदय पाथोज-भृंग । लावन्यबपुष अगनित अनंग॥ ३॥ अति प्रबल मोह-तम-मारतंड । अग्यान-गहन-पावक-प्रचंड ॥ ४॥ अभिमान-सिंधु-कुम्भज उदार । सुरंजन, भंजन भूमिभार॥ ५॥ रागादि-सर्पगन-पन्नगारि । कंदर्प-नाग-मृगपति, मुरारि॥ ६॥ भव-जलधि-पोत चरनारबिंद । जानकी-रवन आनंद-कंद ॥ ७॥ हनुमंत-प्रेम-बापी-मराल । निष्काम कामधुक गो दयाल ॥ ८ ॥ त्रैलोक-तिलक, गुनगहन राम । कह तुलसिदास बिश्राम-धाम ॥ ९॥