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Shri Radha Kavacham || श्री राधा कवचम् : राधा अष्टमी पर श्री राधा कवचम् का पाठ करने से मिलेगा आध्यात्मिक बल, सुख-समृद्धि और दैवीय रक्षा।
Shri Radha Kavacham (श्री राधा कवचम्)
Radha Kavacham (राधा कवच): राधा रानी को true love का प्रतीक माना जाता है, इसलिए श्री Radha Kavach का पाठ करने से सभी desired wishes पूर्ण होती हैं और desired love की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति अपने partner के साथ love marriage करना चाहता है, जो लंबे समय से relationship में है, लेकिन उसके parents और relatives love marriage के लिए सहमत नहीं हो रहे हैं, जिससे वह बहुत परेशान है और family conflicts भी उत्पन्न हो रहे हैं, तो ऐसे में व्यक्ति को अवश्य ही श्री Radha Kavach का पाठ करना चाहिए। इस Kavach के नियमित पाठ से family conflicts समाप्त होने लगते हैं और love marriage की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। Family members भी marriage के लिए सहमत होने लगते हैं। श्री Radha Kavach के नियमित जाप से love life में happiness और peace आती है और व्यक्ति को desired life partner का साथ प्राप्त होता है।॥ श्री राधा कवचम् ॥
(Shri Radha Kavacham)
श्रीगणेशाय नमः
पार्वत्युवाच
कैलासिअवासिन् भगवन् भक्तानुग्रहकारक ।
राधिकाकवचं पुण्यं कथयस्व मम प्रभो ॥ १॥
यद्यस्ति करुणा नाथ त्राहि मां दुःखतो भयात् ।
त्वमेव शरणं नाथ शूलपाणे पिनाकधृक् ॥ २॥
शिव उवाच
शृणुष्व गिरिजे तुभ्यं कवचं पूर्वसूचितम् ।
सर्वरक्षाकरं पुण्यं सर्वहत्याहरं परम् ॥ ३॥
हरिभक्तिप्रदं साक्षाद्भुक्तिमुक्तिप्रसाधनम् ।
त्रैलोक्याकर्षणं देवि हरिसान्निध्यकारकम् ॥ ४॥
सर्वत्र जयदं देवि सर्वशत्रुभयावहम् ।
सर्वेषां चैव भूतानां मनोवृत्तिहरं परम् ॥ ५॥
चतुर्धा मुक्तिजनकं सदानन्दकरं परम् ।
राजसूयाश्वमेधानां यज्ञानां फलदायकम् ॥ ६॥
इदं कवचमज्ञात्वा राधामन्त्रं च यो जपेत् ।
स नाप्नोति फलं तस्य विघ्नास्तस्य पदे पदे ॥ ७॥
ऋषिरस्य महादेवोऽनुष्टुप् छन्दश्च कीर्तितम् ।
राधाऽस्य देवता प्रोक्ता रां बीजं कीलकं स्मृतम् ॥ ८॥
धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्तितः ।
श्रीराधा मे शिरः पातु ललाटं राधिका तथा ॥ ९॥
श्रीमती नेत्रयुगलं कर्णौ गोपेन्द्रनन्दिनी ।
हरिप्रिया नासिकां च भ्रूयुगं शशिशोभना ॥ १०॥
ओष्ठं पातु कृपादेवी अधरं गोपिका तथा ।
वृषभानुसुता दन्तांश्चिबुकं गोपनन्दिनी ॥ ११॥
चन्द्रावली पातु गण्डं जिह्वां कृष्णप्रिया तथा ।
कण्ठं पातु हरिप्राणा हृदयं विजया तथा ॥ १२॥
बाहू द्वौ चन्द्रवदना उदरं सुबलस्वसा ।
कोटियोगान्विता पातु पादौ सौभद्रिका तथा ॥ १३॥
नखांश्चन्द्रमुखी पातु गुल्फौ गोपालवल्लभा ।
नखान् विधुमुखी देवी गोपी पादतलं तथा ॥ १४॥
शुभप्रदा पातु पृष्ठं कुक्षौ श्रीकान्तवल्लभा ।
जानुदेशं जया पातु हरिणी पातु सर्वतः ॥ १५॥
वाक्यं वाणी सदा पातु धनागारं धनेश्वरी ।
पूर्वां दिशं कृष्णरता कृष्णप्राणा च पश्चिमाम् ॥ १६॥
उत्तरां हरिता पातु दक्षिणां वृषभानुजा ।
चन्द्रावली नैशमेव दिवा क्ष्वेडितमेखला ॥ १७॥
सौभाग्यदा मध्यदिने सायाह्ने कामरूपिणी ।
रौद्री प्रातः पातु मां हि गोपिनी रजनीक्षये ॥ १८॥
हेतुदा सङ्गवे पातु केतुमाला दिवार्धके ।
शेषाऽपराह्णसमवे शमिता सर्वसन्धिषु ॥ १९॥
योगिनी भोगसमये रतौ रतिप्रदा सदा ।
कामेशी कौतुके नित्यं योगे रत्नावली मम ॥ २०॥
सर्वदा सर्वकार्येषु राधिका कृष्णमानसा ।
इत्येतत्कथितं देवि कवचं परमाद्भुतम् ॥ २१॥
सर्वरक्षाकरं नाम महारक्षाकरं परम् ।
प्रातर्मध्याह्नसमये सायाह्ने प्रपठेद्यदि ॥ २२॥
सर्वार्थसिद्धिस्तस्य स्याद्यन्मनसि वर्तते ।
राजद्वारे सभायां च सङ्ग्रामे शत्रुसङ्कटे ॥ २३॥
प्राणार्थनाशसमये यः पठेत्प्रयतो नरः ।
तस्य सिद्धिर्भवेद्देवि न भयं विद्यते क्वचित् ॥ २४॥
आराधिता राधिका च तेन सत्यं न संशयः ।
गङ्गास्नानाद्धरेर्नामग्रहणाद्यत्फलं लभेत् ॥ २५॥
तत्फलं तस्य भवति यः पठेत्प्रयतः शुचिः ।
हरिद्रारोचनाचन्द्रमण्डितं हरिचन्दनम् ॥ २६॥
कृत्वा लिखित्वा भूर्जे च धारयेन्मस्तके भुजे ।
कण्ठे वा देवदेवेशि स हरिर्नात्र संशयः ॥ २७॥
कवचस्य प्रसादेन ब्रह्मा सृष्टिं स्थितिं हरिः ।
संहारं चाहं नियतं करोमि कुरुते तथा ॥ २८॥
वैष्णवाय विशुद्धाय विरागगुणशालिने ।
दद्यात्कवचमव्यग्रमन्यथा नाशमाप्नुयात् ॥ २९॥
॥ इति श्रीनारदपञ्चरात्रे ज्ञानामृतसारे राधाकवचं सम्पूर्णम् ॥
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Shri Radha Chalisa (श्री राधा चालीसा)
राधा माता के प्रमुख नामों में राधा प्यारी, श्रीजी, ललिता सखी, और वृषभानु नंदिनी शामिल हैं। भक्तगण इस चालीसा का उपयोग श्रीकृष्ण के साथ राधा रानी की लीलाओं का स्मरण करने और राधा-कृष्ण भजनों के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने के लिए करते हैं।Chalisa
Radha Shoddasha Nama Stotram (राधाषोडशनाम स्तोत्रम्)
राधा षोडश नाम स्तोत्रम् (Radha Shoddasha Nama Stotram) देवी राधा (Goddess Radha) के 16 दिव्य नामों (divine names) का पवित्र स्तोत्र (sacred hymn) है। इस स्तोत्र का पाठ (recitation) प्रेम (love), भक्ति (devotion) और आध्यात्मिक आनंद (spiritual bliss) प्रदान करता है। यह स्तुति भगवान कृष्ण (Lord Krishna) और राधा रानी के शाश्वत प्रेम (eternal love) को दर्शाती है। राधा षोडश नाम स्तोत्रम् का नियमित जप (regular chanting) जीवन में शांति (peace), सौभाग्य (good fortune), और सकारात्मक ऊर्जा (positive energy) लाता है। यह भक्तों को भगवान के दिव्य प्रेम (divine love) और अनंत कृपा (infinite grace) का अनुभव करने में मदद करता है।Devi-Stotra
Shri Radhashtakam (श्री राधाष्टकम्)
श्री राधाष्टकम एक भक्ति-प्रधान स्तोत्र है, जिसमें श्री राधा रानी की महिमा का वर्णन किया गया है। श्री राधा को भगवान श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय गोपी और प्रेम की देवी माना जाता है। इस अष्टकम में उनके दिव्य सौंदर्य, करूणा, और प्रेमपूर्ण स्वभाव की स्तुति की गई है। श्री राधा रानी वृंदावन, बरसाना, और गोवर्धन पर्वत से गहराई से जुड़ी हुई हैं, जो भक्ति और प्रेम के प्रतीक पवित्र स्थान हैं। इस स्तोत्र में यमुना नदी और कृष्ण लीला का भी उल्लेख है, जो श्री राधा और श्रीकृष्ण के अलौकिक प्रेम को दर्शाते हैं। विशेष रूप से, श्री राधाष्टकम का पाठ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधाष्टमी, और कार्तिक मास के दौरान करने से भक्तों को मोक्ष और परमात्मा की कृपा प्राप्त होती है।Ashtakam
Shri Radhakund Ashtakam (श्री राधाकुण्ड अष्टकम)
Shri Radhakund Ashtakam भगवान श्री कृष्ण की प्रिय राधा के साथ राधाकुंड की महिमा का वर्णन करता है, जिसे "Sacred Pool of Divine Love" और "Holy Place of Devotion" माना जाता है। यह स्तोत्र राधा और कृष्ण के मिलन की शक्ति और उनके "Divine Union" का आह्वान करता है। राधाकुंड वह स्थल है जहाँ श्री कृष्ण ने राधा के साथ अपने प्रेम का अभिव्यक्त किया, जो "Goddess of Love" और "Divine Energy" के रूप में पूजित हैं। Shri Radhakund Ashtakam का पाठ "Radhakrishna Devotional Chant" और "Spiritual Love Hymn" के रूप में किया जाता है। इसके जाप से भक्तों को राधा-कृष्ण की अनंत कृपा और "Divine Blessings" प्राप्त होती हैं। यह स्तोत्र "Spiritual Awakening" और "Inner Peace Prayer" के रूप में भी महत्वपूर्ण है। इसका नियमित पाठ मानसिक शांति, आत्मिक बल और दिव्य ऊर्जा को बढ़ाता है। राधाकुंड में स्नान करने और इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। Shri Radhakund Ashtakam को "Divine Love Prayer" और "Blessings of Radhakrishna" के रूप में पढ़ने से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।Ashtakam
Shri Radha Krishna Stuti (श्री राधाकृष्ण स्तुति)
श्री राधा कृष्ण स्तुति भगवान श्रीकृष्ण और उनकी आराध्या श्री राधा की अलौकिक प्रेम, दिव्यता और भक्ति की महिमा का गुणगान है। यह स्तुति भक्ति मार्ग पर चलने वालों के लिए अद्भुत प्रेरणा का स्रोत है। इसमें श्रीकृष्ण को "Lord of Love" और श्री राधा को "Goddess of Devotion" के रूप में वर्णित किया गया है। यह स्तुति पाठ करने से भक्तों को दिव्य प्रेम, आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। "Radha Krishna Bhajans", "Hindu devotional songs", और "divine couple" जैसे विषयों के प्रति रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यह स्तुति अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। श्री राधा कृष्ण स्तुति प्रेम, त्याग और निष्ठा का प्रतीक है, जो मनुष्य के मन को शुद्ध और ईश्वर की ओर प्रेरित करता है। यह स्तुति भक्तों को जीवन के कष्टों से मुक्ति और "spiritual enlightenment", "divine love", और "sacred connection" का अनुभव कराती है। "Vrindavan Leelas", "Krishna Bhakti", और "Radha's Grace" जैसे प्रमुख विषय इसमें समाहित हैं।Stuti
Sri Radha Kripa Kataksha Stotram (श्री राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्रम्)
श्री राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्रम् देवी राधा की स्तुति करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को राधा की कृपा और प्रेम का अनुभव करने में मदद करता है।Stotra
Shri Radhapadal Stotram (श्री राधापटल स्तोत्रम्)
Shri Radhapadal Stotram (श्री राधापटल स्तोत्रम्)/Shri Radha Kripa Kataksh Stotra का पाठ करने से Radha Rani की असीम कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि Radha का नाम लेने मात्र से Shri Krishna का रोम-रोम प्रफुल्लित हो जाता है, इसलिए सदैव Radha का नाम Krishna से पहले लिया जाता है। यदि आप Radha Rani की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस अत्यंत powerful stotra का नियमित पाठ अवश्य करें। Shri Radha Kripa Kataksh Stotra के रचयिता स्वयं Lord Shiva हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, Mahadev ने Radha Rani को प्रसन्न करने के लिए इस stotra का वर्णन Mata Parvati को सुनाया था। इस stotra में Radha Rani के shringar, beauty और compassion का अद्भुत वर्णन किया गया है। यदि कोई साधक इसका daily recitation नहीं कर सकता, तो वह special tithis जैसे Ashtami, Dashami, Ekadashi, Trayodashi और Purnima पर इस stotra का पाठ कर सकता है। इससे Radha Rani की असीम कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।Stotra
Shri Radha Stuti (श्री राधा स्तुति)
Shri Radha Stuti (श्री राधा स्तुति) के साथ-साथ यदि Radha Aarti का पाठ किया जाए तो, इस Stuti का बहुत लाभ मिलता है, यह Stuti शीघ्र ही फल देने लग जाती है। यदि साधक इस Stuti का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइयाँ खुद-ब-खुद दूर होने लग जाती हैं, साथ ही positive energy प्राप्त होती है। अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लंबे समय से बीमार व्यक्ति को इस Stuti का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है। यदि मनुष्य जीवन के सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस Stuti का पाठ करे। श्री राधा स्तुति के पाठ के साथ-साथ Radha Chalisa का भी पाठ करने से wishful desires पूर्ण होती हैं, और नियमित रूप से करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते हैं। और साधक के जीवन में diseases, fear, flaws, sorrow, evil, anxiety दूर हो जाते हैं, साथ ही Radha Rani की पूजा करने से life span, fame, strength, और health में वृद्धि प्राप्त होती है। याद रखें, इस Shri Radha Stuti पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाए रखें। इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है।Stuti