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Vairinashnam Shri Kalika Kavacham || वैरिनाशनं श्री कालिका कवचम् : Full Lyrics
Vairinashnam Shri Kalika Kavachm (वैरिनाशनं श्री कालिका कवचम्)
Vairinashnam Sri Kalika Kavacha एक अत्यंत शक्तिशाली कवच है, जो Maa Kali की कृपा से Enemies, Tantra-Mantra और Negative Energies से रक्षा करता है। इसका नियमित पाठ करने से साधक को Fearlessness, Success और Prosperity प्राप्त होती है। जो व्यक्ति जीवन में Obstacles, Graha Dosh, या Tantra Dosh से परेशान हैं, उन्हें इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। यह Maa Kali की Divine Protection प्रदान कर सभी Problems को दूर करता है।॥ वैरिनाशनं श्री कालिका कवचम् ॥
(Vairinashnam Shri Kalika Kavacham)
॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
कैलासशिखरासीनं देवदेवं जगद्गुरुम् ।
शङ्करं परिपप्रच्छ पार्वती परमेश्वरम् ॥
कैलासशिखरारूढं शङ्करं वरदं शिवम् ।
देवी पप्रच्छ सर्वज्ञं सर्वदेव महेश्वरम् ॥
॥ पार्वत्युवाच ॥
भगवन् देवदेवेश देवानां भोगद प्रभो ।
प्रब्रूहि मे महादेव गोप्यं चेद्यदि हे प्रभो ॥
शत्रूणां येन नाशः स्यादात्मनो रक्षणं भवेत् ।
परमैश्वर्यमतुलं लभेद्येन हि तद्वद ॥
॥ भैरव उवाच ॥
वक्ष्यामि ते महादेवि सर्वधर्मविदां वरे ।
अद्भुतं कवचं देव्याः सर्वकामप्रसाधकम् ॥
विशेषतः शत्रुनाशं सर्वरक्षाकरं नृणाम् ।
सर्वारिष्टप्रशमनं सर्वाभद्रविनाशनम् ॥
सुखदं भोगदं चैव वशीकरणमुत्तमम् ।
शत्रुसंघाः क्षयं यान्ति भवन्ति व्याधिपीडिअताः ॥
दुःखिनो ज्वरिणश्चैव स्वाभीष्टद्रोहिणस्तथा ।
भोगमोक्षप्रदं चैव कालिकाकवचं पठेत् ॥
ॐ अस्य श्रीकालिकाकवचस्य भैरव ऋषिः ।
अनुष्टुप्छन्दः ।श्रीकालिका देवता ।
शत्रुसंहारार्थ जपे विनियोगः ।
॥ ध्यानम् ॥
ॐ ध्यायेत्कालीं महामायां त्रिनेत्रां बहुरूपिणीम् ।
चतुर्भुजां ललज्जिह्वां पूर्णचन्द्रनिभाननाम् ॥
नीलोत्पलदलश्यामां शत्रुसंघविदारिणीम् ।
नरमुण्डं तथा खड्गं कमलं च वरं तथा ॥
निर्भयां रक्तवदनां दंष्ट्रालीघोररूपिणीम् ।
साट्टहासाननां देवीं सर्वदां च दिगम्बरीम् ॥
शवासनस्थितां कालीं मुण्डमालाविभूषिताम् ।
इति ध्यात्वा महाकालीं ततस्तु कवचं पठेत् ॥
ॐ कालिका घोररूपा सर्वकामप्रदा शुभा ।
सर्वदेवस्तुता देवी शत्रुनाशं करोतु मे ॥
ॐ ह्रीं ह्रींरूपिणीं चैव ह्रां ह्रीं ह्रांरूपिणीं तथा ।
ह्रां ह्रीं क्षों क्षौंस्वरूपा सा सदा शत्रून्विदारयेत् ॥
श्रीं-ह्रीं ऐंरूपिणी देवी भवबन्धविमोचनी ।
हुंरूपिणी महाकाली रक्षास्मान् देवि सर्वदा ॥
यया शुम्भो हतो दैत्यो निशुम्भश्च महासुरः ।
वैरिनाशाय वन्दे तां कालिकां शङ्करप्रियाम् ॥
ब्राह्मी शैवी वैष्णवी च वाराही नारसिंहिका ।
कौमार्यैन्द्री च चामुण्डा खादन्तु मम विद्विषः ॥
सुरेश्वरी घोररूपा चण्डमुण्डविनाशिनी ।
मुण्डमालावृताङ्गी च सर्वतः पातु मां सदा ॥
ह्रीं ह्रीं ह्रीं कालिके घोरे दंष्ट्रेव रुधिरप्रिये ।
रुधिरापूर्णवक्त्रे च रुधिरेणावृतस्तनि ॥
मम शत्रून् खादय खादय हिंस हिंस मारय मारय
भिन्धि भिन्धि छिन्धि छिन्धि उच्चाटय
उच्चाटय द्रावय द्रावय शोषय शोषय स्वाहा ।
ह्रां ह्रीं कालिकायै मदीयशत्रून् समर्पयामि स्वाहा ।
ॐ जय जय किरि किरि किटि किटि कट कट
मर्द मर्द मोहय मोहय हर हर मम रिपून ध्वंस ध्वंस
भक्षय भक्षय त्रोटय त्रोटय यातुधानान्चा मुण्डे सर्वजनान्
राज्ञो राजपुरुषान् स्त्रियो मम वश्यान् कुरु कुरुतनु तनु
धान्यं धनं मेऽश्वान् गजान् रत्नानि दिव्यकामिनीः पुत्रान्
राजश्रियं देहि यच्छ क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः स्वाहा ।
इत्येतत् कवचं दिव्यं कथितं शम्भुना पुरा ।
ये पठन्ति सदा तेषां ध्रुवं नश्यन्ति शत्रवः ॥
वैरिणः प्रलयं यान्ति व्याधिता या भवन्ति हि ।
बलहीनाः पुत्रहीनाः शत्रवस्तस्य सर्वदा ॥
सहस्रपठनात्सिद्धिः कवचस्य भवेत्तदा ।
तत्कार्याणि च सिध्यन्ति यथा शङ्करभाषितम् ॥
श्मशानाङ्गारमादाय चूर्णं कृत्वा प्रयत्नतः ।
पादोदकेन पिष्ट्वा तल्लिखेल्लोहशलाकया ॥
भूमौ शत्रून् हीनरूपानुत्तराशिरसस्तथा ।
हस्तं दत्त्वा तु हृदये कवचं तु स्वयं पठेत् ॥
शत्रोः प्राणप्रियष्ठां तु कुर्यान्मन्त्रेण मन्त्रवित् ।
हन्यादस्त्रं प्रहारेण शत्रो गच्छ यमक्षयम् ॥
ज्वलदङ्गारतापेन भवन्ति ज्वरिता भृशम् ।
प्रोञ्छनैर्वामपादेन दरिद्रो भवति ध्रुवम् ॥
वैरिनाशकरं प्रोक्तं कवचं वश्यकारकम् ।
परमैश्वर्यदं चैव पुत्रपौत्रादिवृद्धिदम् ॥
प्रभातसमये चैव पूजाकाले च यत्नतः ।
सायङ्काले तथा पाठात्सर्वसिद्धिर्भवेद्ध्रुवम् ॥
शत्रुरुच्चाटनं याति देशाद्वा विच्युतो भवेत् ।
पश्चात्किङ्करतामेति सत्यं सत्यं न संशयः ॥
शत्रुनाशकरे देवि सर्वसम्पत्करे शुभे ।
सर्वदेवस्तुते देवि कालिके! त्वां नमाम्यहम् ॥
॥ इति श्री कालिका कवचम् सम्पूर्णम् ॥
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Shri Kalika Ashtakam (श्री कालिका अष्टकम्)
श्रीमत्शंकराचार्यजी द्वारा विरचित इस स्तोत्र में ग्यारह (११) श्लोक हैं । इन श्लोकों में भगवती दुर्गा के कालिका स्वरुप की, स्तुति की गयी है । इस स्तोत्र का पाठ करने से जगत् में यश की प्राप्ति होती है एवं अष्ट सिद्धियाँ भी प्राप्त होती हैं । कालिका अष्टकम के साथ-साथ यदि श्री सूक्तम, देवी सूक्तम का पाठ किया जाए तो, लक्ष्मी सूक्तम का बहुत लाभ मिलता है, मनोवांछित कामना पूर्ण होती है, यह सूक्तम शीघ्र ही फल देने लग जाता है| घर में सुख, शांति, समृधि रखने के लिए सिद्ध लक्ष्मी फ्रेम को घर में रखना चाहिए| और रोज़ सिद्ध लक्ष्मी फ्रेम की पूजा करनी चाहिए|Ashtakam
Bhadrakali Stuti (भद्रकाली स्तुति)
भद्रकाली स्तुति (Bhadrakali Stuti) देवी भद्रकाली (Goddess Bhadrakali) की महिमा का वर्णन करने वाला पवित्र स्तोत्र (sacred hymn) है। इसका पाठ (recitation) करने से नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) और बुरी शक्तियों (evil forces) से सुरक्षा मिलती है। यह स्तुति देवी के रक्षात्मक (protective) और उग्र (fierce) रूप की आराधना करती है, जो भक्तों को भय (fear) और बाधाओं (obstacles) से मुक्त करती है। भद्रकाली स्तुति का नियमित पाठ जीवन में सुख (happiness), शांति (peace) और समृद्धि (prosperity) लाता है। यह देवी के आशीर्वाद (blessings of Goddess) प्राप्त करने और आध्यात्मिक शक्ति (spiritual power) को बढ़ाने का मार्ग है।Stuti
Maa Kali Stotra (कालीस्तव)
माँ काली स्तोत्र देवी काली की महिमा और उनकी दिव्य शक्तियों की स्तुति करने वाला एक पवित्र भक्ति गीत है। इसमें देवी काली की शक्ति, साहस, और अंधकार तथा बुराई को समाप्त करने की भूमिका का वर्णन किया गया है।Stotra
Kali (10 Mahavidya) (काली)
काली दस महाविद्याओं में प्रथम और सबसे प्रचंड स्वरूप है। यह देवी अधिकार, शक्ति, और समय का प्रतीक है। काली का स्वरूप भयावह है, लेकिन वे भक्तों के लिए ममतामयी मां हैं। उनकी पूजा भय, मृत्यु, और अज्ञान से मुक्ति के लिए की जाती है। काली का तांत्रिक महत्व भी है और इनकी साधना से आध्यात्मिक जागृति और मुक्ति संभव है।10-Mahavidya
Kali Stuti (काली स्तुति)
Kali Stuti (काली स्तुति):काली स्तुति माँ काली को समर्पित है। माँ काली को माता के सभी रूपों में सबसे शक्तिशाली रूप माना जाता है। नियमित रूप से काली स्तुति का पाठ करने से भय दूर होता है, बुद्धिमत्ता प्राप्त होती है, शत्रुओं का नाश होता है, और सभी प्रकार के कष्ट अपने आप समाप्त हो जाते हैं। माँ काली केवल प्रधान ही नहीं, बल्कि महाविद्याओं में सबसे महत्वपूर्ण हैं। माँ काली महाविद्याओं का प्रतीक हैं। सभी नौ महाविद्याएँ माँ काली से उत्पन्न होती हैं और उनके गुणों व शक्तियों को विभिन्न रूपों में साझा करती हैं। माँ काली विनाश और संहार की प्रतीक हैं। वे अज्ञान को नष्ट करती हैं, संसार के नियमों को बनाए रखती हैं और जो भगवान के ज्ञान की खोज करते हैं, उन्हें आशीर्वाद देकर मुक्त करती हैं। माँ काली देवी दुर्गा के उग्र रूपों में से एक हैं और भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, जो हिंदू त्रिमूर्ति में संहारक हैं। माँ काली की विशिष्ट छवि में उनकी बाहर निकली हुई जीभ, खोपड़ियों की माला, और घातक हथियार होते हैं, जो दुष्ट और पापी लोगों में भय उत्पन्न करते हैं। हालांकि, माँ काली अपने भक्तों के प्रति अत्यंत दयालु और करुणामयी हैं। वे अपने भक्तों को सभी संकटों से बचाती हैं और उन्हें समृद्धि व सफलता प्रदान करती हैं। काली स्तुति का नियमित पाठ करने से साधक को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है, आकर्षण शक्ति मिलती है, पाप नष्ट होते हैं, शत्रु समाप्त होते हैं, और साधक के भीतर एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न होती है। वेदों में माँ काली को अग्नि देव से जोड़ा गया है। देवी को सात झिलमिलाती अग्नि की जीभों के रूप में वर्णित किया गया है, जिनमें से काली काली और भयानक जीभ थीं। उनका स्वरूप भयावह है: डरावनी आँखें, लाल उभरी हुई जीभ, और चार भुजाएँ – जिनमें से दो में खून से सनी तलवार और राक्षस का कटा हुआ सिर है, और बाकी दो भय निवारण और वरदान देने की मुद्रा में हैं। उनके गले में मानव खोपड़ियों की माला और कमर पर कटी हुई भुजाओं की कमरबंध है। माँ काली की स्तुति उनके भक्तों के लिए अत्यंत प्रिय है।Stuti
Bhagawati Kali Puja Vidhi (भगवती काली पूजा विधि)
भगवती काली पूजा विधि देवी काली की पूजा करने का तरीका बताने वाला एक महत्वपूर्ण पाठ है। यह विधि भक्तों को देवी काली की कृपा प्राप्त करने के लिए सही तरीके से पूजा करने में मदद करती है।Puja-Vidhi
Kali Kavacham (काली कवचम्)
Kali Kavach (काली कवच): माँ काली को दस Mahavidyas में प्रथम स्थान प्राप्त है। Maa Kali सभी enemies, diseases और Tantra obstacles को दूर करती हैं। जो व्यक्ति नियमित रूप से Kali Kavach का पाठ करता है, उसके enemies स्वतः ही नष्ट होने लगते हैं, diseases ठीक होने लगते हैं। चाहे enemy कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह Tantra-Mantra के सहारे भी उस व्यक्ति का कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जो यह Kali Kavach धारण करता है। यह एक अत्यंत powerful Kavach है। यदि किसी व्यक्ति की Kundli में Shani की Sade Sati, Shani की Mahadasha, Shani की Dhaiya है या Shani planet किसी भी प्रकार से harm पहुँचा रहा है, तो Kali Kavach का पाठ करने से वह effect धीरे-धीरे कम होने लगता है। जो लोग इसे नियमित रूप से Puja के समय पढ़ते हैं, उनके family से diseases धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं। परिवार का environment positive बनने लगता है। Job loss, business problems, debt, wealth loss आदि समस्याएँ दूर हो जाती हैं। Kali Yantra Kavach धारण करने और Kali Kavach का पाठ करने से व्यक्ति सभी enemies से सुरक्षित रहता है। Evil eye और black magic का effect समाप्त हो जाता है। यदि किसी पर hypnosis या Tantra किया गया हो, तो वह भी ineffective हो जाता है। माँ काली सभी तंत्र बाधाओं से रक्षा करती हैं।Kavacha
Shri Mahakali Stotram (श्री महाकाली स्तोत्रं)
श्री महाकाली स्तोत्रं: यह स्तोत्र देवी महाकाली को समर्पित है और उनके आशीर्वाद और सुरक्षा के लिए जपा जाता है।Stotra