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Shri Maha Mrityunjay Kavach || श्री महा मृत्युञ्जय कवच : Hymn to lord Shiva with Meaning and Lyrics
Shri Maha Mrityunjay Kavach (श्री महा मृत्युञ्जय कवच)
महा मृत्युञ्जय कवच का पाठ करने से जपकर्ता की देह सुरक्षित होती है। जिस प्रकार सैनिक की रक्षा उसके द्वारा पहना गया कवच करता है उसी प्रकार साधक की रक्षा यह कवच करता है। इस कवच को लिखकर गले में धारण करने से शत्रु परास्त होता है। इसका प्रातः, दोपहर व सायं तीनों काल में जप करने से सभी सुख प्राप्त होते हैं। इसके धारण मात्र से किसी शत्रु द्वारा कराए गए तांत्रिक अभिचारों का अंत हो जाता है। धन के इच्छुक को धन, संतान के इच्छुक को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।श्री महा मृत्युञ्जय कवच(Shri Maha Mrityunjay Kavach)
श्रीदेव्युवाच। भगवन् सर्वधर्मज्ञ सृष्टिस्थितिलयात्मक ।
पृत्युंजयस्य देवस्य कवचं में प्रकाशय ॥ श्री ईश्वर उवाच ॥
श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिदम्। मार्कण्डेयोऽपि
यद्धुत्वा चिरंजीवी व्यजायत॥ तथैव सर्वदिक््पाला
अमरावमवाप्लुयुः । कवचस्य ऋषिर्ब्रह्मा छन्दोऽनुष्टुबुदाहतन् ॥
मृत्युंजयः समुद्दिष्टो देवता पार्वतीपतिः । देहारोग्यदलायुष्ट्वे
विनियोगः प्रकीर्तितः। ओं तर्यम्बकं मे शिरः पातु ललाटं मे
यजामहे। सुगन्धिं पातु हृदयं जठरं पुष्टिवर्धनम् ॥
नाधिमुर्वारुकमिव पातु मां पार्वतीपतिः। वन्धनादूरुयुग्मं मे
पातु वामाङ्कशासनः ॥ मत्योजानुयुगं पातु दक्षयज्ञविनाशनः ।
जंघायुग्मं च मुक्षीय पातु मां चन्द्रशेखर: ॥ मामृताच्च पददवनदर
पातु सर्वेश्वरो हरः। प्रसौ मे श्रीशिवः पातु नीलकण्ठश्च
पार्वयोः ॥ ऊर्ध्वमेव सदा पातु सोमसूर्याग्निलोचनः। अधः
पातु सदा शम्भुः सर्वापद्विनिवारणः ॥ वारुण्यापर्धनारीशो
वायव्यां पातु शंकरः। कपदों पातु कौवेयमिशान्यां
ईश्वरोऽवत्॥ ईशान: सलिले पायदघोरः पातु कानने। अन्तरिक्ष
वामदेवः पायात्तत्पुरुषो भुवि ॥ श्रीकण्ठः शयने पातु भोजने
नीललोहितः। गमने त्र्यम्बकः पातु सर्वकार्येषु भुवतः। सर्वत्र
सर्वदेहं मे सदा मृत्युंजयो5वतु। इति ते कर्थितं दिव्यं कवचं
सर्वकामदम्॥ सर्वरक्षाकरं सर्व॑ग्रहपीड़ा-निवारणम्।
दुःस्वणनाशनं पुण्यमायुरारोग्यदायकम्॥ त्रिसंध्यं यः
पठेदेतन्मृत्युतस्य न विद्यते। लिखितं भूर्जपत्रे तु य इदं मे
व्यधारयेत् ॥ तं दृष्टैव पलायन्ते भूतप्रेतपिशाचकाः ।
डाकिन्यश्चैव योगिन्यः सिद्धगन्धर्वराक्षसः ।। बालग्रहादिदोषा
हि नश्यन्ति तस्य दर्शनात्। उपग्रहाश्चैव मारीभयं
चौराभिचारिणः ॥ इदं कवचमायुष्यं कथितं तव सुन्दरि । न
दातव्यं प्रयत्नेन न प्रकाश्यं कदाचन् ॥
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Shri Vaidyanath Ashtakam (श्री वैद्यनाथ अष्टकम) भगवान Shiva के Vaidyanath Jyotirlinga की महिमा का वर्णन करने वाला एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है। यह अष्टकम भगवान शिव के divine healer रूप का गुणगान करता है, क्योंकि Vaidyanath को समस्त रोगों और कष्टों को दूर करने वाला माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्तोत्र के नियमित पाठ से good health, mental peace और spiritual upliftment प्राप्त होता है। श्री वैद्यनाथाष्टकम् के साथ-साथ यदि Shiva Aarti का पाठ किया जाए तो Shri Vaidyanath Ashtakam का बहुत लाभ मिलता है, मनोवांछित कामना पूर्ण होती है, और यह अष्टकम शीघ्र ही फल देने लग जाता है। घर में peace, prosperity और harmony बनाए रखने के लिए Shiva Chalisa का पाठ करना चाहिए। साथ ही, प्रतिदिन Shiva Sahasranama का पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।Ashtakam