No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 55 (नारायणीयं दशक 55)
नारायणीयं दशक 55 (Narayaniyam Dashaka 55)
अथ वारिणि घोरतरं फणिनं
प्रतिवारयितुं कृतधीर्भगवन् ।
द्रुतमारिथ तीरगनीपतरुं
विषमारुतशोषितपर्णचयम् ॥1॥
अधिरुह्य पदांबुरुहेण च तं
नवपल्लवतुल्यमनोज्ञरुचा ।
ह्रदवारिणि दूरतरं न्यपतः
परिघूर्णितघोरतरंग्गणे ॥2॥
भुवनत्रयभारभृतो भवतो
गुरुभारविकंपिविजृंभिजला ।
परिमज्जयति स्म धनुश्शतकं
तटिनी झटिति स्फुटघोषवती ॥3॥
अथ दिक्षु विदिक्षु परिक्षुभित-
भ्रमितोदरवारिनिनादभरैः ।
उदकादुदगादुरगाधिपति-
स्त्वदुपांतमशांतरुषाऽंधमनाः ॥4॥
फणशृंगसहस्रविनिस्सृमर-
ज्वलदग्निकणोग्रविषांबुधरम् ।
पुरतः फणिनं समलोकयथा
बहुशृंगिणमंजनशैलमिव ॥5॥
ज्वलदक्षि परिक्षरदुग्रविष-
श्वसनोष्मभरः स महाभुजगः ।
परिदश्य भवंतमनंतबलं
समवेष्टयदस्फुटचेष्टमहो ॥6॥
अविलोक्य भवंतमथाकुलिते
तटगामिनि बालकधेनुगणे ।
व्रजगेहतलेऽप्यनिमित्तशतं
समुदीक्ष्य गता यमुनां पशुपाः ॥7॥
अखिलेषु विभो भवदीय दशा-
मवलोक्य जिहासुषु जीवभरम् ।
फणिबंधनमाशु विमुच्य जवा-
दुदगम्यत हासजुषा भवता ॥8॥
अधिरुह्य ततः फणिराजफणान्
ननृते भवता मृदुपादरुचा ।
कलशिंजितनूपुरमंजुमिल-
त्करकंकणसंकुलसंक्वणितम् ॥9॥
जहृषुः पशुपास्तुतुषुर्मुनयो
ववृषुः कुसुमानि सुरेंद्रगणाः ।
त्वयि नृत्यति मारुतगेहपते
परिपाहि स मां त्वमदांतगदात् ॥10॥
Related to Vishnu
Gopal Krishna Dashavataram (गोपाल कृष्ण दशावतारम्)
गोपाल कृष्ण दशावतारम् भगवान विष्णु के दस अवतारों का वर्णन करता है, जो उनकी महिमा और लीलाओं का गुणगान करता है।Shloka-Mantra
Narayaniyam Dashaka 85 (नारायणीयं दशक 85)
नारायणीयं का पचासीवां दशक भगवान विष्णु की महिमा और उनके अद्वितीय गुणों का वर्णन करता है। इस दशक में भगवान के विभिन्न रूपों और उनकी दिव्य लीलाओं का गुणगान किया गया है। भक्त भगवान की अनंत कृपा और उनकी दिव्यता का अनुभव करते हैं।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 95 (नारायणीयं दशक 95)
नारायणीयं दशक 95 भगवान विष्णु की उपासना और उनकी महिमा का वर्णन करता है। यह अध्याय भक्तों को भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना से भर देता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 78 (नारायणीयं दशक 78)
नारायणीयं दशक 78 भगवान नारायण की महिमा का वर्णन करता है और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करता है।Narayaniyam-Dashaka
Sudarshan Kavach (श्री सुदर्शन कवच )
सुदर्शन कवच (Sudarshan Kavach) भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का महान रक्षात्मक कवच (protective shield) है। इस कवच का पाठ (recitation) करने से व्यक्ति गंभीर बीमारियों (serious illnesses), बुरी नजर (evil eye), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित रहता है और उसे उत्तम स्वास्थ्य (good health) प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी (chronic disease) से पीड़ित है, जिसे उपचार (treatment) और दवाओं (medication) के बावजूद राहत नहीं मिल रही है, जिसके कारण उसे बहुत शारीरिक कष्ट (physical suffering) और पीड़ा सहनी पड़ रही है और उसका परिवार भी अत्यधिक परेशान है, तो ऐसी स्थिति में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए। इस पाठ (recitation) से गंभीर बीमारियां (serious illnesses) धीरे-धीरे ठीक होने लगती हैं और शारीरिक स्वास्थ्य (physical health) भी अच्छा बना रहता है। व्यक्ति को दीर्घायु (longevity) का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि किसी व्यक्ति के घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), बुरी नजर (evil eye), तंत्र-मंत्र (tantra-mantra) का प्रभाव, काला जादू (black magic) आदि है, जिसके कारण परिवार के सदस्यों के बीच रोज किसी न किसी बात पर झगड़े होते हैं, सभी के मन में एक-दूसरे के प्रति नाराजगी रहती है, और घर में अशांति रहती है, तो ऐसी स्थिति में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) करने और घर में सुदर्शन यंत्र (Sudarshan Yantra) स्थापित करने से व्यक्ति और उसका परिवार सभी नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित होने लगता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी दैनिक पूजा (daily worship) में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए, ताकि वह भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के दिव्य आशीर्वाद (divine blessings) प्राप्त कर सके।Kavacha
Narayaniyam Dashaka 98 (नारायणीयं दशक 98)
नारायणीयं दशक 98 भगवान विष्णु की दिव्यता और उनकी शक्तियों का वर्णन करता है। यह अध्याय भक्तों को भगवान के प्रति समर्पण और भक्ति की भावना से भर देता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 65 (नारायणीयं दशक 65)
नारायणीयं दशक 65 भगवान नारायण की अनंत कृपा और उनके दिव्य स्वरूप का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Vishnu Ji Vandana (श्री विष्णु-वन्दना)
श्री विष्णु वंदना भगवान विष्णु की पूजा और वंदना का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जिसमें भगवान के पालक, रक्षक, और सृष्टि के संरक्षणकर्ता रूप की महिमा का गुणगान किया जाता है। विष्णु जी को धर्म, समृद्धि, और शांति के देवता माना जाता है।Vandana