No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 62 (नारायणीयं दशक 62)
नारायणीयं दशक 62 (Narayaniyam Dashaka 62)
कदाचिद्गोपालान् विहितमखसंभारविभवान्
निरीक्ष्य त्वं शौरे मघवमदमुद्ध्वंसितुमनाः ।
विजानन्नप्येतान् विनयमृदु नंदादिपशुपा-
नपृच्छः को वाऽयं जनक भवतामुद्यम इति ॥1॥
बभाषे नंदस्त्वां सुत ननु विधेयो मघवतो
मखो वर्षे वर्षे सुखयति स वर्षेण पृथिवीम् ।
नृणां वर्षायत्तं निखिलमुपजीव्यं महितले
विशेषादस्माकं तृणसलिलजीवा हि पशवः ॥2॥
इति श्रुत्वा वाचं पितुरयि भवानाह सरसं
धिगेतन्नो सत्यं मघवजनिता वृष्टिरिति यत् ।
अदृष्टं जीवानां सृजति खलु वृष्टिं समुचितां
महारण्ये वृक्षाः किमिव बलिमिंद्राय ददते ॥3॥
इदं तावत् सत्यं यदिह पशवो नः कुलधनं
तदाजीव्यायासौ बलिरचलभर्त्रे समुचितः ।
सुरेभ्योऽप्युत्कृष्टा ननु धरणिदेवाः क्षितितले
ततस्तेऽप्याराध्या इति जगदिथ त्वं निजजनान् ॥4॥
भवद्वाचं श्रुत्वा बहुमतियुतास्तेऽपि पशुपाः
द्विजेंद्रानर्चंतो बलिमददुरुच्चैः क्षितिभृते ।
व्यधुः प्रादक्षिण्यं सुभृशमनमन्नादरयुता-
स्त्वमादश्शैलात्मा बलिमखिलमाभीरपुरतः ॥5॥
अवोचश्चैवं तान् किमिह वितथं मे निगदितं
गिरींद्रो नन्वेष स्वबलिमुपभुंक्ते स्ववपुषा ।
अयं गोत्रो गोत्रद्विषि च कुपिते रक्षितुमलं
समस्तानित्युक्ता जहृषुरखिला गोकुलजुषः ॥6॥
परिप्रीता याताः खलु भवदुपेता व्रजजुषो
व्रजं यावत्तावन्निजमखविभंगं निशमयन् ।
भवंतं जानन्नप्यधिकरजसाऽऽक्रांतहृदयो
न सेहे देवेंद्रस्त्वदुपरचितात्मोन्नतिरपि ॥7॥
मनुष्यत्वं यातो मधुभिदपि देवेष्वविनयं
विधत्ते चेन्नष्टस्त्रिदशसदसां कोऽपि महिमा ।
ततश्च ध्वंसिष्ये पशुपहतकस्य श्रियमिति
प्रवृत्तस्त्वां जेतुं स किल मघवा दुर्मदनिधिः ॥8॥
त्वदावासं हंतुं प्रलयजलदानंबरभुवि
प्रहिण्वन् बिभ्राण; कुलिशमयमभ्रेभगमनः ।
प्रतस्थेऽन्यैरंतर्दहनमरुदाद्यैविंहसितो
भवन्माया नैव त्रिभुवनपते मोहयति कम् ॥9॥
सुरेंद्रः क्रुद्धश्चेत् द्विजकरुणया शैलकृपयाऽ-
प्यनातंकोऽस्माकं नियत इति विश्वास्य पशुपान् ।
अहो किन्नायातो गिरिभिदिति संचिंत्य निवसन्
मरुद्गेहाधीश प्रणुद मुरवैरिन् मम गदान् ॥10॥
Related to Vishnu
Narayaniyam Dashaka 6 (नारायणीयं दशक 6)
नारायणीयं दशक 6 में भगवान नारायण की भक्तों पर कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की प्रार्थना की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के प्रेम और करुणा की विशेषता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 76 (नारायणीयं दशक 76)
नारायणीयं दशक 76 भगवान नारायण की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Sri Vishnu Shata Nama Stotram (Vishnu Purana) (श्री विष्णु शत नाम स्तोत्रम् (विष्णु पुराण))
Sri Vishnu Shata Naam Stotram भगवान Vishnu के 100 पवित्र नामों का संगीतमय संग्रह है, जो "Preserver of Creation" और "Supreme God" के रूप में पूजित हैं। इस स्तोत्र का पाठ भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा, शांति और सुरक्षा प्राप्त करने में सहायक होता है। हर नाम भगवान विष्णु की "Divine Qualities" और "Cosmic Power" का वर्णन करता है। यह स्तोत्र "100 Sacred Names of Vishnu" और "Positive Energy Chant" के रूप में प्रसिद्ध है। इसके नियमित जाप से भक्त को मानसिक शांति, आत्मिक बल और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। इसे "Hymn for Lord Vishnu" और "Vishnu Devotional Prayer" के रूप में पढ़ने से जीवन में सफलता और शुभता आती है।Stotra
Narayaniyam Dashaka 14 (नारायणीयं दशक 14)
नारायणीयं दशक 14 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।Narayaniyam-Dashaka
Dashaavatara Stotram (दशावतार स्तोत्रम्)
दशावतार स्तोत्रम् भगवान Vishnu के दस अवतारों की महिमा का वर्णन करता है, जो "Preserver of Universe" और "Supreme Protector" के रूप में पूजित हैं। यह स्तोत्रम् भक्तों को भगवान के Matsya, Kurma, Varaha, Narasimha, Vamana, Parashurama, Rama, Krishna, Buddha, और Kalki अवतारों के दिव्य कार्यों और उनके उद्देश्यों की याद दिलाता है। प्रत्येक अवतार पृथ्वी पर धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए अवतरित हुआ है। यह स्तोत्रम् "Divine Chant for Vishnu Avatars" और "Evil Destroyer Hymn" के रूप में लोकप्रिय है। दशावतार स्तोत्रम् का नियमित पाठ "Spiritual Devotion" और "Positive Energy Mantra" के रूप में लाभकारी माना जाता है। भगवान Vishnu के इन अवतारों की स्तुति से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है। इसे "Vishnu Avatars Prayer" और "Hymn of Divine Incarnations" के रूप में पढ़ने से आध्यात्मिक जागरूकता और भक्तिभाव को बढ़ावा मिलता है।Stotra
Narayaniyam Dashaka 7 (नारायणीयं दशक 7)
नारायणीयं दशक 7 में भगवान नारायण के लीलाओं की उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं। यह दशक भक्तों को भगवान के दिव्य लीलाओं की अद्वितीयता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Vishnu Ashtottara Satanam Stotram (श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्)
श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम भगवान विष्णु के 108 पावन नामों का महत्त्वपूर्ण स्तोत्र है, जो भक्तों को सुख, समृद्धि, शांति और पापों से मुक्ति प्रदान करता है। इस स्तोत्र में भगवान के पालनकर्ता, नारायण, जनार्दन, मधुसूदन, केशव जैसे दिव्य नामों का स्मरण किया गया है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को संकटों का नाश, धन-वैभव की प्राप्ति, और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मिलता है। इस स्तोत्र का पाठ व्रत, पूजा, एकादशी और विशेष अवसरों पर करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। भगवान विष्णु के 108 नामों का जप व्यक्ति को सफलता, धार्मिक ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।Stotra
Narayaniyam Dashaka 11 (नारायणीयं दशक 11)
नारायणीयं दशक 11 में भगवान नारायण के लीलाओं का वर्णन है। यह दशक भक्तों को भगवान के दिव्य लीलाओं की अद्वितीयता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka