No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 90 (नारायणीयं दशक 90)
नारायणीयं दशक 90 (Narayaniyam Dashaka 90)
वृकभृगुमुनिमोहिन्यंबरीषादिवृत्ते-
ष्वयि तव हि महत्त्वं सर्वशर्वादिजैत्रम् ।
स्थितमिह परमात्मन् निष्कलार्वागभिन्नं
किमपि यदवभातं तद्धि रूपं तवैव ॥1॥
मूर्तित्रयेश्वरसदाशिवपंचकं यत्
प्राहुः परात्मवपुरेव सदाशिवोऽस्मिन् ।
तत्रेश्वरस्तु स विकुंठपदस्त्वमेव
त्रित्वं पुनर्भजसि सत्यपदे त्रिभागे ॥2॥
तत्रापि सात्त्विकतनुं तव विष्णुमाहु-
र्धाता तु सत्त्वविरलो रजसैव पूर्णः ।
सत्त्वोत्कटत्वमपि चास्ति तमोविकार-
चेष्टादिकंच तव शंकरनाम्नि मूर्तौ ॥3॥
तं च त्रिमूर्त्यतिगतं परपूरुषं त्वां
शर्वात्मनापि खलु सर्वमयत्वहेतोः ।
शंसंत्युपासनविधौ तदपि स्वतस्तु
त्वद्रूपमित्यतिदृढं बहु नः प्रमाणम् ॥4॥
श्रीशंकरोऽपि भगवान् सकलेषु ताव-
त्त्वामेव मानयति यो न हि पक्षपाती ।
त्वन्निष्ठमेव स हि नामसहस्रकादि
व्याख्यात् भवत्स्तुतिपरश्च गतिं गतोऽंते ॥5॥
मूर्तित्रयातिगमुवाच च मंत्रशास्त्र-
स्यादौ कलायसुषमं सकलेश्वरं त्वाम् ।
ध्यानं च निष्कलमसौ प्रणवे खलूक्त्वा
त्वामेव तत्र सकलं निजगाद नान्यम् ॥6॥
समस्तसारे च पुराणसंग्रहे
विसंशयं त्वन्महिमैव वर्ण्यते ।
त्रिमूर्तियुक्सत्यपदत्रिभागतः
परं पदं ते कथितं न शूलिनः ॥7॥
यत् ब्राह्मकल्प इह भागवतद्वितीय-
स्कंधोदितं वपुरनावृतमीश धात्रे ।
तस्यैव नाम हरिशर्वमुखं जगाद
श्रीमाधवः शिवपरोऽपि पुराणसारे ॥8॥
ये स्वप्रकृत्यनुगुणा गिरिशं भजंते
तेषां फलं हि दृढयैव तदीयभक्त्या।
व्यासो हि तेन कृतवानधिकारिहेतोः
स्कंदादिकेषु तव हानिवचोऽर्थवादैः ॥9॥
भूतार्थकीर्तिरनुवादविरुद्धवादौ
त्रेधार्थवादगतयः खलु रोचनार्थाः ।
स्कांदादिकेषु बहवोऽत्र विरुद्धवादा-
स्त्वत्तामसत्वपरिभूत्युपशिक्षणाद्याः ॥10॥
यत् किंचिदप्यविदुषाऽपि विभो मयोक्तं
तन्मंत्रशास्त्रवचनाद्यभिदृष्टमेव ।
व्यासोक्तिसारमयभागवतोपगीत
क्लेशान् विधूय कुरु भक्तिभरं परात्मन् ॥11॥
Related to Vishnu
Narayaniyam Dashaka 49 (नारायणीयं दशक 49)
नारायणीयं दशक 49 भगवान विष्णु के भक्तों के प्रति अनुग्रह और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनकी असीम कृपा का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 20 (नारायणीयं दशक 20)
नारायणीयं दशक 20 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Dashavatar rupahari-Vandana (श्रीदशावतार रूपहरि-वन्दना)
श्री दशावतार रूपहारी वंदना भगवान विष्णु के दस दिव्य अवतारों की स्तुति है। इसमें मत्स्य से लेकर कल्कि तक सभी अवतारों की महिमा, उनके रूप और कार्यों का वर्णन किया गया है। यह वंदना भक्ति, धर्म और आदर्श जीवन मूल्यों की प्रेरणा देती है।Vandana
Shri Dashavatar Arti (श्री दशावतार आरती)
भगवान विष्णु के दशावतार की पूजा और वंदना का स्तोत्र है। इसमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, Buddha, और कल्कि जैसे अवतारों का वर्णन किया गया है। यह आरती भगवान विष्णु के सर्वव्यापक स्वरूप और धर्म की रक्षा के प्रति उनके योगदान को दर्शाती है।Arti
Narayaniyam Dashaka 18 (नारायणीयं दशक 18)
नारायणीयं दशक 18 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 27 (नारायणीयं दशक 27)
नारायणीयं का सत्ताईसवां दशक भगवान विष्णु की असीम कृपा और उनके भक्तों के प्रति उनके अनुग्रह का वर्णन करता है। इस दशक में, भगवान की कृपा और उनके भक्तों के प्रति उनके प्रेम की महिमा की गई है। भक्त भगवान की अनंत कृपा और उनकी दिव्यता का अनुभव करते हैं।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 25 (नारायणीयं दशक 25)
नारायणीयं का पच्चीसवां दशक भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की कहानियों को दर्शाता है। इस दशक में, भगवान के विभिन्न अवतारों की लीला और उनके द्वारा किए गए अद्भुत कार्यों का वर्णन किया गया है। भक्त भगवान की महिमा और उनकी असीम कृपा का अनुभव करते हैं।Narayaniyam-Dashaka
Vishnu Shatpadi (विष्णु षट्पदि)
विष्णु षट्पदि एक दिव्य भजन है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह भजन भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करता है और भक्तों को शांति और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करता है।Shloka-Mantra