No festivals today or in the next 14 days. 🎉

2025 में कब है तिल संकटा चौथ, जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

Sakat Chauth Vrat Kab hai 2025: पौराणिक धर्मशास्त्रों के अनुसार तिल-संकटा चौथ या सकट चौथ हिन्दू धर्म में किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। वर्ष 2025 में तिल-संकटा चौथ व्रत 17 जनवरी, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। इस दिन तिल का इस्तेमाल होने से तिल चतुर्थी तथा सकट चतुर्थी भी कहीं जाती है।
यह व्रत माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है और भगवान श्री गणेश को समर्पित होता है। इस दिन पानी में तिल डालकर नहाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। तिल-संकटा चौथ को माघी चौथ, सकट चौथ, संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट चौथ आदि विभिन्न नामों से जाना जाता है।
सकट चौथ 2025
माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ: 17 जनवरी 2025, प्रातः 4 बजकर 06 मिनट पर
माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 जनवरी 2025, प्रातः 5 बजकर 30 मिनट पर
गणपति पूजा मुहूर्त- 17 जनवरी 2025 प्रातः 7:15 - प्रातः 11:12
सकट चौथ 2025 चंद्रोदय समय
17 जनवरी 2025 , रात्रि 09: 09 मिनट पर
सकट चौथ व्रत क्यों किया जाता है ?
सकट चौथ का दिन भगवान गणेश और सकट माता को समर्पित है। इस दिन माताएं अपने पुत्रों के कल्याण की कामना से व्रत रखती हैं। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। इस पूरे दिन व्रत रखा जाता है।
रात्रि में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। यही कारण है कि सकट चौथ पर चंद्रमा दर्शन और पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन गणपति जी को पूजा में तिल के लड्डू या मिठाई अर्पित करते हैं, साथ में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण करते हैं।
तिल-संकटा चौथ और तिल का महत्व : इस दिन भगवान गणेश को तिल-गुड़ के लड्डू, मोदक आदि भोग लगाकर पूजा जाती है। मान्यता है कि भगवान गणेश सभी विघ्नों को दूर करते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। खासकर संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। तिल को बहुत पवित्र माना जाता है। तिल में कई औषधीय गुण होते हैं। तिल का सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है। तिल-संकटा चौथ के दिन तिल के लड्डू बनाकर भगवान गणेश को भोग लगाया जाता है।
तिल-संकटा चौथ व्रत की विधि :
इस दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है।
पूजा के लिए गणेश जी की मूर्ति, रोली, चंदन, दीपक, धूप, आदि का प्रयोग किया जाता है।
फिर उनका पूजन किया जाता है।
तथा तिल के लड्डू, मोदक, नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।
इस दिन गणेश जी की कथा सुनना बहुत शुभ माना जाता है।
बता दें कि सुख-सौभाग्य, संतान पाने और परिवार के कल्याण की कामना से महिलाएं ये व्रत रखती हैं।

Related Blogs

Shri Navagrah Chalisa (श्री नवग्रह चालीसा)

श्री नवग्रह चालीसा एक भक्ति गीत है जो नवग्रह पर आधारित है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्य, चन्द्र, मङ्गल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु, इन नौ ग्रहों के समूह को नवग्रह कहाँ जाता है।
Chalisa

Shri Kamakhya Devi Kavacham (श्री कामाख्या देवी कवचम्)

shri Kamakhya kavachaShri Kamakhya Kavacha (श्री कामाख्या कवच) आज हर व्यक्ति उन्नति, यश, वैभव, कीर्ति और धन-संपदा प्राप्त करना चाहता है, वह भी बिना किसी बाधा के। Maa Kamakhya Devi का कवच पाठ करने से सभी Obstacles समाप्त हो जाते हैं, और साधक को Success तथा Prosperity प्राप्त होती है। यदि आप अपने जीवन में मनोकामना पूर्ति चाहते हैं, तो इस कवच का नियमित पाठ करें। यह Maa Kamakhya की Divine Protection प्रदान करता है और जीवन से Negative Energies तथा दुर्भाग्य को दूर करता है।
Kavacha

Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 6 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - षष्ठोऽध्यायः)

श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के षष्ठोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को ध्यान योग की महत्ता समझाई है।
Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan

Shri Rudrashtakam Stotra (श्रीरुद्राष्टकम्)

सनातन धर्म में भगवान शिव शंकर को सभी देवों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि शिव जी आसानी से प्रसन्न हो जाने वाले देवता हैं। यदि कोई भक्त श्रद्धा पूर्वक उन्हें केवल एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। यदि आप शिव जी की विशेष कृपा पाना चाहते हैं 'श्री शिव रूद्राष्टकम' का पाठ करना चाहिए। 'शिव रुद्राष्टकम' अपने-आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई शत्रु आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से शिव जी बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश पल भर में करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था।
Stotra

Shri Shiva Ashtakam (श्री शिव अष्टकम्)

प्रस्तुत है परम कल्याणकारी शिवाष्टक स्तोत्र। प्रभुम प्राणनाथम विभुम भगवान शिव के सबसे प्रसिद्ध अष्टकम में से एक है । यह प्रसिद्ध अष्टकम भगवान शिव से संबंधित अधिकांश अवसरों पर सुनाया जाता है। तस्मै नमः परमंकारकरणाय भगवान शिव का एक और प्रसिद्ध अष्टकम है जो आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है ।
Ashtakam

Shri Gopal Chalisa (श्री गोपाल चालीसा)

गोपाल चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान गोपाल पर आधारित है। गोपाल भगवान कृष्ण का ही एक और नाम है। गोपाल का अर्थ है गौ रक्षकGopal Chalisa का जाप भगवान गोपाल की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। इसे विशेष रूप से Krishna devotion और protection from evils के लिए पढ़ा जाता है।
Chalisa

Bhadrakali Stuti (भद्रकाली स्तुति)

भद्रकाली स्तुति (Bhadrakali Stuti) देवी भद्रकाली (Goddess Bhadrakali) की महिमा का वर्णन करने वाला पवित्र स्तोत्र (sacred hymn) है। इसका पाठ (recitation) करने से नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) और बुरी शक्तियों (evil forces) से सुरक्षा मिलती है। यह स्तुति देवी के रक्षात्मक (protective) और उग्र (fierce) रूप की आराधना करती है, जो भक्तों को भय (fear) और बाधाओं (obstacles) से मुक्त करती है। भद्रकाली स्तुति का नियमित पाठ जीवन में सुख (happiness), शांति (peace) और समृद्धि (prosperity) लाता है। यह देवी के आशीर्वाद (blessings of Goddess) प्राप्त करने और आध्यात्मिक शक्ति (spiritual power) को बढ़ाने का मार्ग है।
Stuti

Durga Saptashati(दुर्गा सप्तशती) 6 Chapter (छठा अध्याय)

दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्यम, चंडी पाठ (चण्डीपाठः) के नाम से भी जाना जाता है और इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का छठा अध्याय " धूम्रलोचन के वध " पर आधारित है ।
Durga-Saptashati

Today Panchang

29 April 2025 (Tuesday)

Sunrise07:15 AM
Sunset05:43 PM
Moonrise03:00 PM
Moonset05:52 AM, Jan 12
Shaka Samvat1946 Krodhi
Vikram Samvat2081 Pingala