Shri Krishna Bhajan (श्री कृष्ण भजन)

श्री कृष्ण भजन (Shri Krishna Bhajan) जागो बंसीवारे ललना जागो बंसीवारे ललना जागो मोरे प्यारे रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवाड़े गोपी दही मथत सुनियत है कंगना की झनकारे उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाड़े द्वारे ग्वालबाल सब करत कोलाहल जय जय शब्द उचारे माखन रोटी हाथ में लीजे गौअन के रखवारे मीरा के प्रभु गिरिधर नागर शरण आया को तारे नंद बाबाजी को छैया नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया कन्हैया कन्हैया रे बड़ो गेंद को खिलैया आयो आयो रे कन्हैया कन्हैया कन्हैया रे काहे की गेंद है काहे का बल्ला गेंद मे काहे का लागा हे छल्ला कौन ग्वाल ये खेलन आये खेले ता ता थेया ओ भेया कन्हैया कन्हैया रे रेशम की गेंद है चंदन का बल्ला गेंद में मोतियां लागे हैं छल्‍ला सुघड़ मनसुखा खेलन आये बृज बालन के भेया कन्हैया कन्हैया कन्हैया रे नीली यमुना है नीला गगन है नीले कन्हैया नीला कदम्ब है सुघड़ श्याम के सुघड़ खेल में नीले खेल खिलैया ओ भेया कन्हैया कन्हैया रे बनवारी रे बनवारी रे जीने का सहारा तेरा नाम रे मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे झूठी दुनिया झूठे बंधन, झूठी है ये माया झूठा साँस का आना जाना, झूठी है ये काया ओ, यहाँ साँचा तेरा नाम रे बनवारी रे रंग में तेरे रंग गये गिरिधर, छोड़ दिया जग सारा बन गये तेरे प्रेम के जोगी, ले के मन एकतारा ओ, मुझे प्यारा तेरा धाम रे बनवारी रे दर्शन तेरा जिस दिन पाऊँ, हर चिन्ता मिट जाये जीवन मेरा इन चरणों में, आस की ज्योत जगाये ओ, मेरी बाँहें पकड़ लो श्याम रे बनवारी रे जय कृष्ण जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे दुखियों के दुख दूर करे जय जय जय कृष्ण हरे जब चारों तरफ़ अंधियारा हो आशा का टूर किनारा हो जब कोई ना खेवन हारा हो तब तू ही बेड़ा पार करे तू ही बेड़ा पार करे जय जय जय कृष्ण हरे तू चाहे तो सब कुछ कर दे विष को भी अमृत कर दे पूरण कर दे उसकी आशा जो भी तेरा ध्यान धरे जो भी तेरा ध्यान धरे जय जय जय कृष्ण हरे प्रबल प्रेम के पाले प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा जिसकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा उसको गोकुल में माखन पर सौ सौ बार मचलते देखा जिस्के चरण कमल कमला के करतल से न निकलते देखा उसको ब्रज की कुज गलिन में कंटक पथ पर चलते देखा जिसका ध्यान विरंचि शंभु सनकादिक से न सम्भलते देखा उसको ग्वाल सखा मंडल में लेकर गेंद उछलते देखा जिसकी वक्र भृकुटि के डर से सागर सप्त उछलते देखा उसको माँ यशोदा के भय से अश्रु बिंदु दग ढ़लते देखा ॐ जय श्री राधा ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण श्री राधा कृष्णाय नमः घूम घुमारो घामर सोहे जय श्री राधा पट पीताम्बर मुनि मन मोहे जय श्री कृष्ण जुगल प्रेम रस झम झम झमकै श्री राधा कृष्णाय नमः राधा राधा कृष्ण कन्हैया जय श्री राधा भव भय सागर पार लगैया जय श्री कृष्ण मंगल मूरति मोक्ष करेया श्री राधा कृष्णाय नमः आओ आओ यशोदा के लाल आओ आओ यशोदा के लाल आज मोहे दरशन से कर दो निहाल आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल नैया हमारी भवर मे फंसी कब से अड़ी उबारो हरि कहते हैं दीनों के तुम हो दयाल ( २) आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल अबतो सुनलो पुकार मेरे जीवन आधार भवसागर है अति विशाल लाखों को तारा है तुमने गोपाल ( २) आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल यमुना के तट पर गौवें चराकर छीन लिया मेरा मन मुरली बजाकर हृदय हमारे बसो नन्दलाल (२) आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा गोकुल में आया मथुरा में आ छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा अरे सांवरे देख आ के ज़रा सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका जमुना के पानी में हलचल नहीं मधुबन में पहला सा जलथल नहीं वही कुज गलियाँ वही गोपिओं छनकती मगर कोई झान्झर नहीं आओ कृष्ण कन्हैया आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिश्री दूध मलाई जो चाहो सो खाओ करुणा भरी पुकार सुन करुणा भरी पुकार सुन अब तो पधारो मोहना कृष्ण तुम्हारे द्वार पर आया हूँ मैं अति दीन हूँ करुणा भरी निगाह से अब तो पधारो मोहना कानन कुण्डल शीश मुकुट गले बैजंती माल हो सांवरी सूरत मोहिनी अब तो दिखा दो मोहना पापी हूँ अभागी हूँ दरस का भिखारी हूँ भवसागर से पार कर अब तो उबारो मोहना दर्शन दो घन्श्याम दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अंखियाँ प्यासी रे तू ही ही बन बन जा तू ही बन जा मेरा मांझी पार लगा दे मेरी नैया है नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया इस जीवन के सागर में हर क्षन लगता है डर मुइको क्या भला है क्या बुरा है तू ही बता दे मुइको है नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया क्या तेरा और क्या मेरा है सब कुछ तो बस सपना है इस जीवन के मोहजाल में सबने सोचा अपना है हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि मुकुंद मुरारि पांडुरंग पांडुरंग राम कृष्ण हरि विदल विदल पांडुरंग राम कृष्ण हरि पांडुरंग पांडुरंग राम कृष्ण हरि मुकुन्द माधव गोविन्द मुकुन्द माधव गोविन्द बोल केशव माधव हरि हरि बोल हरि हरि बोल हरि हरि बोल कृष्ण कृष्ण बोल कृष्ण कृष्ण बोल राम राम बोल राम राम बोल शिव शिव बोल शिव शिव बोल भज मन गोविंद गोविंद भज मन गोविंद गोविंद गोपाला

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