Mantra Collection

    10 Mahavidya Naamani (दश महाविद्या नामानि)

    दश महाविद्या नामानि काली तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी । भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा ॥। बगलासिद्धि विद्या च मातङ्गी कमलात्मिका । एता दशमहाविद्या: सिद्धि विद्या: प्रकीतिताः| (१) काली (२) तारा (३) महाविद्या (त्रिपुर सुन्दरी) (४) भुवनेश्वरी (५) भैरवी (६) छिन्नमस्ता (७) धूमावती (८) बगलामुखी (९) मातंगी (१०) कमला अर्थात्‌ लक्ष्मी । ये दस देवियाँ दशमहाविद्या के रूप में प्रसिद्ध हैं । यथार्थ में ये सभी एक ही आदि शक्ति जिसे शिवा दुर्गा, पार्वती अथवा लक्ष्मी कहा जाता है--की प्रति मूर्तियां हैं । सबके मालिक (पति) भगवान सदा शिव हैं । भक्तों, (साधकों) की प्रसन्नता हेतु मुख्य, मुख्य अवसरों पर पराशक्ति महादेवी ने अपने जो नाना रुप धारण किये उन्हीं का दशमहाविद्याओं के रूप में पृथक-पृथक मंत्र, जप, ध्यान, होम एवं पूजनादि विधि पूर्वक नीचे दिया जा रहो है । आदि शक्ति की उपासना का विधान हमारे देश में सहस्त्रों वर्षों से चला आ रहा है तथा शात्त्कमत के नाम से इनकी उपासना करने वालो का एक पृथक सम्प्रदाय ही बन गया है । ये दशमहाविद्या अभीष्ट फल प्रदान करने वाली हैं । इनके ध्यान स्तव, कवच मंत्रादि मूल संस्कूत भाषा में हैं अतः तंत्र के साधको पाठकों की जानकारी हेतु उनकी हिन्दी में टीका कर दी है । साधकों को चाहिए कि ध्यान, कवच, स्तव आदि का पाठ जपादि मूल संस्कृत में ही करें, तभी सिद्धि प्राप्त होगी । मंत्रादि विधि आदि जो भी वात समझ में न आवे उसकी जानकारी किसी विज्ञ तांत्रिक से करनी चाहिए । इन दशमहाविद्याओं के सम्बन्ध में हमें बहुत कुछ विशेष जानकारी श्रद्धेय श्री चन्द्रसेन जी मिश्र तंत्राचार्य सन्डीला-हरदोई से मिली है एतदर्थ मैं उनका आभारी हूँ ।

    Maa Tara mantra (तारामन्त्र)

    तारामन्त्र (1) ह्रीं स्त्रीं हूँ फट् (२) ओम् ह्रीं स्त्रीं हूँ फट् (३) श्रीं ह्रीं स्त्रीं हूं फट् । Note:- तीन प्रकार के मंत्र कहे गये हैं, इसमें चाहे जिस किसी मंत्र से उपासना करे ।

    Durga Maa Mantra (दुर्गा मंत्र)

    दुर्गा श्लोक न तातो न माता, न बन्धुर्न दाता, न पुत्रो न पुत्री न भ्रत्यो न भर्ता। न जाया न विद्या न वर्तिमम्मेव, गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥ भवाब्धावपारे महादुःखभीरु, पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः। कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं, गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥ न जानामि दानं न च ध्यानयोगं, न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम्। न जानामि पूजां न च न्यासयोगं, गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥ न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं, न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित्। न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्, गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥ कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धिः कुदासः, कुलाचारहीनः कदाचारलीनः। कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं, गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥ प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं, दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित्। न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये, गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥ विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे, जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये। अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि, गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥ अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो, महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः। विपत्तौ प्रविष्टः प्रनष्टः सदाहं, गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥ 2. दुर्गा मन्त्र (Durga Mantra): - ॐ दुं दुर्गाये नमः 3. नर्वाण मन्त्र (Nrwan Mantra): - ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे 4. दुर्गतिनाशक दुर्गा मन्त्र (Durgtinashk Durga Mantra): - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गतिनाशिन्ये महामाये स्वाहा 5. कल्याणक दुर्गा मन्त्र (Kalyank Durga Mantra): - ॐ सर्व मङ्गल मा‌ङ्गल्ये शिवे सर्वाथसाधिके, शरण्ये त्रयंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते 6. महिषासुर मर्दिनी मन्त्र (Mahishasur Mardini Mantra): - ॐ ह्रीं महामहिषमर्दिनी स्वाहा 7. दुर्गा रक्षा मन्त्रा (Durga Protection Mantra): - ॐ ह्रीं दुर्गे दुर्गे रक्षणी स्वाहा 8. दुर्गा नमस्कार मन्त्र (Durga Namaskar Mantra): - या देवी सर्वभुतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभुतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभुतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभुतेषु दयारूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः या देवी सर्वभुतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

    Shri Ganesh Ji Mantra (श्रीगणेशजी मंत्र)

    1. गणपति मंत्र (Ganapati Mantra): - ॐ गं गणपतये नमः 2. गणेश गायत्री (Ganesh Gayatri): - ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुन्दयाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात 3. विघ्ननाषक मन्त्र (Vignnashk mantra): - ॐ विघ्नेश्वराय नमः 4. एकदंत मंत्र (Ekdant mantra): - गजानन पद्मार्क गजाननं अहर्निशम्, अनेकदंतं भक्तानां एकदन्तं उपास्महे 5. गजानन मंत्र (Gajanan Mantra): - गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्, उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम् 6. गजानन मंत्र (Gajanan Mantra): - मूषिकवाहन मोदकहस्त, चामरकर्ण विलम्बितसूत्र, वामनरूप महेश्वरपुत्र, विघ्ननाषक विनायक पाद नमस्ते 7. महागणपति मंत्र (MahaGanpati Mantra): - ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे, कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम्, ज्येष्ठराजं ब्रह्मणाम् ब्रह्मणस्पत, आ नः शृण्वन्नूतिभिः सीदसादनम्, ॐ महागणाधिपतये नमः 8. गणपति मंत्र (Ganpati Incantation): - वक्रतुण्ड महाकाय,सुर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा 9. लम्बोदर मंत्र (Lambodar Mantra): - ॐ सुमुखायः नमः 10. गणेश मंत्र (Ganesh Mantra): - ॐ श्री गणेशाय नमः 11. स्वास्थ हेतु गणेश मंत्र (Ganesh spell for health): - ॐ ह्रीं लम्बोदराय नमः 12. विद्या प्राप्ति गणेश मंत्र (Vidhya Prapti Ganesh Mantra): - ॐ विद्या गणेशाय नमः 13. चिंता नाशक गणेश मंत्र (Chinta Nasak Ganesh Mantra): - ॐ ग्लों चिंतामनये नमः 14. धन प्राप्ति गणेश मंत्र (Dhan Prapti Ganesh Mantra): - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमो भगवते गजाननाय 15. कार्य सिद्धि गणपति मंत्र (Karya Siddi Ganpati Mantra): - ॐ ग्लों गं गणपतये मम वांछित कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा 16. गणेश मंत्र (Ganesh Beej Samputit Mantra): - ॐ ग्लौं गणपतये नमः

    Shri Laxmi Ji Mantra (श्रीलक्ष्मीजी मंत्र)

    1. लक्ष्मी प्राथर्ना (Laxmi Prarthana): - या सा पद्मासनास्था विपुलकटितटि पद्मपत्रायताक्षी, गम्भीरावर्तनाभि स्तनभरनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया, या लक्ष्मी दिव्यरुपैः मणिगणखचितैः स्त्रापिता हेम कुम्भैः, सा नित्यं पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमांगल्ययुक्ता 2. लक्ष्मी बीज मन्त्र (Lakshmi Beej mantra): - श्रीं 3. लक्ष्मी मन्त्र (Lakshmi Chant): - ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं नमः 4. लक्ष्मी गायत्री (Lakshmi Gayatri incantation): - ॐ महादेव्ये च विद्महे विष्णु पत्नये च धीमहि, तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात 5. महालक्ष्मी मन्त्र (Mahalakshmi Spell): - ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्ये नमः 6. लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र (Lakshmi Prapti Mantra): - ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा 7. महालक्ष्मी मंत्र (Mahalakshmi Mantra): - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ 8. कमला मंत्र (Kamla Mantra): - ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालयै मह्यम् प्रसीद प्रसीद स्वाहा 9. महालक्ष्मी मंत्र (Maha Lakshmi chant): - ॐ ऐं महालक्ष्म्यै नमः 10. श्री मंत्र (Shree Mantra): - ॐ श्रीं नमः 11. लक्ष्मी मंत्र (Lakshmi chant): - ॐ श्री लक्ष्मी देव्यै नमः 12. कमला मंत्र (Kamla Mantra): - ॐ श्रीं कमलवासिन्यै स्वाहा 13. सिद्धलक्ष्मी मंत्र (Siddh Laxmi Mantra): - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्धलक्ष्म्ये नमः

    Navgraha mantra (नवग्रह मन्त्र)

    1. नवग्रह मन्त्र (Navgraha mantra): - ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रीपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च गुरुश्च शुक्रः शनिराहु केतवः सर्वे ग्रहाः शान्तकरा भवन्तुः 2. सूर्य वैदिक मंत्र (Sun Vedic mantra): - जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम् तमोऽरिं सर्वपापन्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् 3. चन्द्र वैदिक मंत्र (Moon Vedic Mantra): - दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम् नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम् 4. मंगल वैदिक मंत्र (Mars Vedic incantation): - धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम् 5. बुध वैदिक मंत्र (Mercury spell): - प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम् सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् 6. गुरु वैदिक मंत्र (Jupiter Vedic mantra): - देवानां च ऋषिणां च गुरुं काञ्चनसन्निभम् बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् 7. शुक्र वैदिक मंत्र (Venus Vedic Mantra): - हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् 8. शनि वैदिक मंत्र (Saturn Vedic chant): - नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्त्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् 9. राहू वैदिक मन्त्र (Raahu incantation): - अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम् सिंहिकागर्भसम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् 10. केतु वैदिक मंत्र (Ketu Vedic mantra): - पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम् रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्

    Shri Saraswati Maa Mantra (सरस्वती मन्त्र)

    सरस्वती दादश नाम मंत्र (Saraswati Dawadash Naam Jap): - प्रथमं भारती च द्वितीयं तु सरस्वती, तृतीयं शारदादेवी, चतुर्थ च हंसवाहिनी, पंचम जगतीख्याता च षष्ठं महेश्वरी तथा सप्तमं तु कौमारी, अष्टमं ब्रह्माचारिणी च नवमं विद्याधात्रीनि, दशमं वरदायिनी च एकादशं रूद्रघंटा तथा द्वादशं भुनेश्वरी 2. प्रातः वन्दन मन्त्र (Prath Vandan chant): - कराग्रे वसते लक्ष्मीः, कर मध्ये सरस्वती, करमूले तु गौरी च प्रभाते कर दर्शनं 3. सरस्वती मन्त्र (Saraswati Mantra): - ॐ ऐं सरस्वत्ये नमः 4. सरस्वती बीज मन्त्र (Saraswati Beej Mantra): - ऐं 5. सरस्वती गायत्री (Saraswati Gayatri Incantation): - ॐ वाग् देव्ये च विद्महे कामराजाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात् 6. बुद्धि वर्धन मंत्र (Buddhi Vardhan Mantra): - ॐ ऐं क्लीं सौः 7. सरस्वती वंदना (Sarasvati Vandana): - या कुंदेंदुतुषारहार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना, या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता, सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा 8. सरस्वती मंत्र (Sarasvati Mantra): - ॐ नमो भगवती सरस्वती परमेश्वरी वाग्वादिनी मम विद्या देहि भगवती भंस वाहिनी हंस समारूढा बुद्धि देहि देहि प्राज्ञा देहि देहि विद्या परमेश्वरी सरस्वती स्वाहा 9. सरस्वती मंत्र (Saraswati Mantra): - ॐ श्री सरस्वत्यै नमः 10. महासरस्वती मंत्र (Mata Mahasaraswati Mantra): - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः 11. सरस्वती मंत्र (Saraswati Incantation): - ॐ श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै नमः 12. विद्या प्राप्ति सरस्वती मंत्र (Education Chant): - ॐ अक्षराये नमः 13. विधा मंत्र (Vidhya Mantra): - ॐ विधा देव्ये नमः

    Shiv Ji Mantra (शिव मंत्र)

    1. शिव पञ्चाक्षर मन्त्र (Shiva Panchakshar mantra): - ॐ नमः शिवाय 2. महामृत्युंजय मन्त्र (Mahamrityunjaya mantra): - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगंधीम पुष्टिर्वधनं, उर्वारुकमिव बन्धनान, मृत्योर्मुक्षीय मामर्तात 3. महामृत्युंजय बीज मन्त्र (Mahamrityunjaya Beej mantra): - ॐ हौं जूं सः 4. महामृत्युंजय लोम विलोम मन्त्र (Mahamrityunjaya Lom-Vilom Spell): - ॐ हौं जूं सः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगंधीम पुष्टिर्वधनं, उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामर्तात सः जूं हौं ॐ 5. मृत्युंजय तन्त्र मंत्र (Mrityunjaya Mantra): - ॐ जूं सः वोषट् 6. मृत्युंजय रक्षा मंत्र (Mritunjay Protection Mantra): - ॐ ह्रों जूं सः अमुकं जीवय जीवय पालय पालय सः जूं ह्रों ॐ 7. मृत्युंजय मंत्र (Mritunjaya Mantra): - ॐ मृत्युंजयाय रुद्राय नीलकण्ठाय शम्भवे अमृतेशाय शर्वाय महादेवाय ते नमः 8. शिव गायत्री (Shiva Gayatri): - ॐ तत्पुरुषाय विध्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रा प्रचोदयात् 9. रूद्र मंत्र (Rudra mantra): - ॐ नमो भगवते रूद्राय 10. शिव नमस्कार मंत्र (Shiv Namaskaar Mantra): - ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं, वन्दे जगत्कारणम् वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं, वन्दे पशूनां पतिम् वन्दे सूर्य शशांक वह्नि नयनं, वन्दे मुकुन्दप्रियम् वन्दे भक्त जनाश्रयं च वरदं, वन्दे शिवंशंकरम् 11. द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र (Dawadash Jyotirling Chant): - सौराष्ट्र सोमनाथं च, श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् उज्जयिन्यां महाकालं ॐ कारममलेश्वरम् परल्यां वैधनाथ च, डाकिन्यां भीमशंकरम् सेतुबन्धे तु रामेशं, नागेशं दारुकावने वाराणस्यां तु विश्वेशं, त्र्यंबकं गौतमीतटे हिमालये तु केदारं, धुश्मेशं च शिवालये ऐतानि ज्योतिर्लिंगानि, सायंप्रात पठेन्नर सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति 12. ज्योतिर्लिंग नमस्कार मंत्र (Jyotirling Namaskaar Mantra): - ॐ द्वादशज्योर्तिलिंगायै नमः 13. शिव रक्षण मन्त्र (Shiv Rakshan Mantra): - ॐ अघोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्य स्वाहा 14. शिव लिङ्ग वन्दना (Shiv Ling Vandana): - देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्ङ्गम कामदहम करुणाकर लिङ्ङ्गम, रावणदर्पविनाशनलिङ्गम तत प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम

    Vishnu Ji Mantra (विष्णु मंत्र)

    1. श्री व्यंकटेश ध्यानम् (Shri Vaynktesh Dyanm): - श्रीवत्सं माणिककौस्तुभं च मुकुटं केयूरमुद्रांकितम्, बिभ्राणं वरदं चतुर्भुजधरं पितांबरोद्वासितम्, मेघश्यामतनु प्रसन्नवदनं फुल्लारविंदेक्षणम्, ध्यायेद्दयंकटनायकं हरिरमाधीशं सुरैर्वेदितम्, व्यंकटाद्रिसमं स्थान ब्रह्मांडे नास्ति किंचन, व्यंकटेशसमो देवो न भूतो न भविष्यति 2. नारायण मन्त्र (Narayan mantra): - ॐ नमो नारायणाय 3. विष्णु गायत्री (Vishnu Gayatri incantation): - ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् 4. बिष्णु वन्दना (Vishnu Vandana): - शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्, लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्, वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् 5. विष्णु गायत्री मंत्र (Vishnu Gaytri Chant): - ॐ त्रिलोक्यमोहनाय विध्महे स्मराय धीमहि तन्नो विष्णो प्रचोदयात 6. चतुर्दश अक्षरे विष्णु मंत्र (Chaturdash Akshare Vasudev Mantra): - ॐ ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः 7. विष्णु मंत्र (Vishnu Spell): - ॐ नमो विष्णवे सुरपतये महाबलाय स्वाहा 8. नारायण मंत्र (Narayan Mantra): - नारायणं निराकारं नरवीरं नरोत्मं, नरसिहं नागनाथं च तं वन्दे नरकान्तकं

    Mahamrityunjaya Mantra(Pura) महामृत्युंजय मन्त्रम् (बृहद)

    Pura Mahamritunjay Mantra महामृत्युंजय मन्त्रम् (बृहद) ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूभुर्व स्वः । ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं । उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् । ॐ स्वः ॐ भुवः भूः ॐ सः जूँ हौं ॐ।

    Navagrah Gayatri Mantra (नवग्रह के गायत्री मन्त्र)

    नवग्रह के गायत्री मन्त्र (Navagrah Gayatri Mantra) १. सूर्य - ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहिः तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् । २. चन्द्रमा - ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहिः तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् । ३. मंगल - ॐ अंगरकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहिः तन्नो भौमः प्रचोदयात् । ४. बुध - ॐ सौम्यरूपाय विद्महे वाणेशाय धीमहिः तन्नो बुधः प्रचोदयात् । ५. गुरु - ॐ अंगिरसाय विद्महे दण्डायुधाय धीमहिः तन्नो जीवः प्रचोदयात् । ६. शुक्र - ॐ भृगुसुताय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहिः तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् । ७. शनि - ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहिः तन्नः सौरिः प्रचोदयात् । ८. राहु - ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहिः तन्नः राहुः प्रचोदयात् । ९. केतु - ॐ गदाहस्ताय विद्महे अमृतेशाय धीमहिः तन्नः केतु प्रचोदयात ।

    Navagraha Mantra (नवग्रह मन्त्र)

    नवग्रह मन्त्र(Navagraha Mantra) १. सूर्य - ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः । २. चन्द्र ॐ श्राँ श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः । ३. मंगल - ॐ क्राँ क्रीं क्रौं सः भौमाये नमः । ४. बुध -ॐ ब्राँ ब्रीं ब्रौं सः बुधाये नमः । ५. गुरु -ॐ ग्राँ ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः । ६. शुक्र ॐ द्राँ द्रीं द्रौं सः शुक्राये नमः । ७. शनि - ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनये नमः । ८. राहु - ॐ भ्राँ भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः। ९. केतु ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः ।

    Kalyan Prathana Mantra (कल्याण प्रार्थना)

    कल्याण प्रार्थना (Prathana Mantra) ॐ सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु। सर्वेषां शान्तिर्भवतु। सर्वेषां पूर्णं भवतु। सर्वेषां मङलं भवतु। स्वसुख प्रार्थना ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः। स्वे सन्तु निरामयाः। सवं भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित्‌ दुःखभाक्‌ भवेत्‌॥ सदबुद्धि प्रान्‌! ॐ असतो मा सदगमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्माऽमृतं गमय ॥ ॐ शान्तिः! शान्तिः! शान्तिः! ।

    Adhyayan Mantra (अध्ययन मंत्र)

    अध्ययन मंत्र (Adhyayan Mantra) सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि। विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सटा ॥

    Shama Praarthana Mantra (क्षमा प्रार्थना)

    क्षमा प्रार्थना (Shama Praarthana) अपराध सहस्त्राणि क्रियन्ते अर्हनिशं मया, दासः अयमिति माँ मत्वा क्षमस्व परमेश्वर। आवाहनं न जानामि, न जानामि विसर्जनम्, पूजां चैव न जानामि, क्षम्यर्ता परमेश्वर। अन्यथा शरणं न अस्ति त्वमेव शरणं मम, तस्मात् कारूण्य भावेन रक्ष माँ परमेश्वर। मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन, यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे। यदक्षर पदभ्रष्ट मात्राहीनं च यद् भवेत्, तत्सर्व क्षम्यतां देव ! प्रसीद परमेश्वर।

    Shri Ram Mantras (श्री राम मंत्र)

    Shri Ram Mantras (श्री राम मंत्र) 1. Rama Moola Mantra (राम मूल मंत्र) ॐ श्री रामाय नमः॥ 2. Rama Taraka Mantra (राम तारक मंत्र) श्री राम जय राम जय जय राम॥ 3. Rama Gayatri Mantra (राम गायत्री मंत्र) ॐ दाशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात्॥ 4. Rama Meditation Mantra (राम ध्यान मंत्र) ॐ आपदामपहर्तारम् दाताराम् सर्वसम्पदाम्। लोकाभिरामम् श्रीरामम् भूयो-भूयो नमाम्यहम्॥ 5. Kodanda Rama Mantra (कोदंड राम मंत्र) श्री राम जय राम कोदण्ड राम॥

    Hanuman Ji Mantra (हनुमान जी मंत्र)

    हनुमान जी मंत्र (Hanuman Ji Mantra) 1. Hanuman Moola Mantra (हनुमान मूल मंत्र) ॐ श्री हनुमते नमः॥ 2. Hanuman Gayatri Mantra(हनुमान गायत्री मंत्र) ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥ 3. Manojavam Marutatulyavegam Mantra (मनोजवं मारुततुल्यवेगं मंत्र) मनोजवम् मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियम् बुद्धिमताम् वरिष्ठम्। वातात्मजम् वानरयूथमुख्यम् श्रीरामदूतम् शरणम् प्रपद्ये॥

    Lakshmi Ganesh Mantra (लक्ष्मी गणेश मंत्र)

    लक्ष्मी गणेश मंत्र (Lakshmi Ganesh Mantra) 1. Lakshmi Vinayaka Mantra (लक्ष्मी विनायक मंत्र) ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥ 2. Lakshmi Ganesha Dhyana Mantra (लक्ष्मी गणेश ध्यान मंत्र) दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्। धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥ 3. Rinharta Ganapati Mantra (ऋणहर्ता गणपति मंत्र) ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥

    Belapatr Belapatr Chadhaane ka Mantra (बेलपत्र बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र)

    || बेलपत्र बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र || (Belapatr Belapatr Chadhaane ka Mantra) नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥ दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌ । अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌ ॥ त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌ । त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌ ॥ अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌ । कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌ ॥ गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर । सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय ॥

    Dhanvantari Mantra (धन्वंतरी मंत्र)

    धन्वंतरी मंत्र(Dhanvantari Mantra) ध्यानं अच्युतानंत गोविंद विष्णो नारायणाऽमृत रोगान्मे नाशयाऽशेषानाशु धन्वंतरे हरे । आरोग्यं दीर्घमायुष्यं बलं तेजो धियं श्रियं स्वभक्तेभ्योऽनुगृह्णंतं वंदे धन्वंतरिं हरिम् ॥ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्भिः । सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम् । कालांभोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारुपीतांबराढ्यम् । वंदे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम् ॥ धन्वंतरेरिमं श्लोकं भक्त्या नित्यं पठंति ये । अनारोग्यं न तेषां स्यात् सुखं जीवंति ते चिरम् ॥ मंत्रं ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलशहस्ताय [वज्रजलौकहस्ताय] सर्वामयविनाशनाय त्रैलोक्यनाथाय श्रीमहाविष्णवे स्वाहा । [पाठांतरः] ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलशहस्ताय सर्वभयविनाशाय सर्वरोगनिवारणाय त्रैलोक्यपतये त्रैलोक्यनिधये श्रीमहाविष्णुस्वरूप श्रीधन्वंतरीस्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय स्वाहा । गायत्री मंत्रम् ॐ वासुदेवाय विद्महे सुधाहस्ताय धीमहि । तन्नो धन्वंतरिः प्रचोदयात् । तारकमंत्रम् ॐ धं धन्वंतरये नमः ।

    Ganapati Prarthana Ghanapathah (गणपति प्रार्थन घनपाठः)

    गणपति प्रार्थन घनपाठः (Ganapati Prarthana Ghanapathah) ॐ श्री गुरुभ्यो नमः । हरिः ओम् ॥ ग॒णानां᳚ त्वा त्वा ग॒णानां᳚ ग॒णानां᳚ त्वा ग॒णप॑तिं ग॒णप॑तिं त्वा ग॒णानां᳚ ग॒णानां᳚ त्वा ग॒णप॑तिम् ॥ त्वा॒ ग॒णप॑तिं ग॒णप॑तिं त्वात्वा ग॒णप॑तिग्ं हवामहे हवामहे ग॒णप॑तिं त्वात्वा गणप॑तिग्ं हवामहे । ग॒णप॑तिग्ं हवामहे हवामहे ग॒णप॑तिं ग॒णप॑तिग्ं हवामहे क॒विन्क॒विग्ं ह॑वामहे ग॒णप॑तिं ग॒णप॑तिग्ं हवामहे क॒विम् । ग॒णप॑ति॒मिति॑ग॒ण-प॒ति॒म् ॥ ह॒वा॒म॒हे॒ क॒विं क॒विग्ं॒ ह॑वामहे हवामहे क॒विं क॑वी॒नान्क॑वी॒नां क॒विग्ं॒ ह॑वामहे हवामहे क॒विन्क॑वी॒नाम् ॥ क॒विन्क॑वी॒नान्क॑वी॒नां क॒विन्क॒विं क॑वी॒नामु॑प॒मश्र॑वस्तम मुप॒मश्र॑वस्तमंक॑वी॒नां क॒विन्क॒विं क॑वी॒नामु॑प॒मश्र॑वस्तमम् ॥ क॒वी॒नामु॑प॒मश्र॑व स्तममुप॒मश्र॑वस्तमं कवी॒ना न्क॑वी॒ना मु॑प॒मश्र॑वस्तमम् । उ॒प॒मश्र॑वस्तम॒ मित्यु॑प॒मश्र॑वः-त॒म॒म् ॥ ज्ये॒ष्ट॒राजं॒ ब्रह्म॑णां॒ ब्रह्म॑णां ज्येष्ठ॒राजं॑ ज्येष्ठ॒राजं॒ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणो ब्रह्मणो॒ ब्रह्म॑णां ज्येष्ठ॒राजं॑ ज्येष्ठ॒राजं॒ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणः । ज्ये॒ष्ठ॒राज॒मिति॑ज्येष्ठ राजम्᳚ ॥ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणो ब्रह्मणो॒ ब्रह्म॑णां॒ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणस्पते पतेब्रह्मणो॒ ब्रह्म॑णां॒ ब्रह्म॑णां ब्रह्मणस्पते ॥ ब्र॒ह्म॒ण॒स्प॒ते॒ प॒ते॒ ब्र॒ह्म॒णो॒ ब्र॒ह्म॒ण॒स्प॒त॒ आप॑ते ब्रह्मणो ब्रह्मणस्पत॒ आ । प॒त॒ आ प॑तेपत॒ आनो॑न॒ आप॑ते पत॒ आनः॑ ॥ आनो॑न॒ आन॑श्शृ॒ण्वन्छृ॒ण्वन्न॒ आन॑श्शृण्वन्न् । न॒ श्शृण्वन्छृ॒ण्वन्नो॑न श्शृ॒ण्वन्नू॒तिभि॑ रू॒तिभि॑श्शृ॒ण्वन्नो॑न श्शृ॒ण्वन्नू॒तिभिः॑ ॥ श्शृ॒ण्वन्नू॒तिभि॑ रू॒तिभि॑श्शृ॒ण्वन्छृ॒ण्वन्नू॒तिभि॑स्सीद सीदो॒तिभि॑श्शृ॒ण्वन् छृ॒ण्वन्नू॒तिभि॑स्सीद ॥ ऊ॒तिभि॑स्सीद सीदो॒तिभि॑ रू॒तिभि॑स्सीद॒ साद॑न॒ग्ं॒ साद॑नग्ं॒ सीदो॒तिभि॑रू॒तिभि॑स्सीद॒ साद॑नम् । ऊ॒तिभि॒ रित्यू॒ति-भिः॒ ॥ सी॒द॒साद॑न॒ग्ं॒ साद॑नग्ं॒ सीद सीद॒ साद॑नम् । साद॑न॒मिति॒ साद॑नम् ॥ ॐ श्री महागणपतये नमः ॥

    Katyayani Mantra (कात्यायनि मंत्र)

    कात्यायनि मंत्र (Katyayani Mantra) कात्यायनि मंत्राः कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि । नंद गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॥ ॥ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ॥ ॥ ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ॥ विवाह हेतु मंत्राः ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीस्वरि । नंदगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः ॥ हे गौरी शंकरार्धांगि । यथा त्वं शंकरप्रिया ॥ तथा माँ कुरु कल्याणि । कांत कांता सुदुर्लभाम्॥ ॐ देवेंद्राणि नमस्तुभ्यं देवेंद्रप्रिय भामिनि। विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रं च देहि मे ॥ ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ॥ विवाहार्थं सूर्यमंत्राः ॐ देवेंद्राणि नमस्तुभ्यं देवेंद्रप्रिय भामिनि । विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि मे ॥

    Mantra Pushpam (मंत्र पुष्पम् )

    मंत्र पुष्पम् (Mantra Pushpam) भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः । भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः । स्थिरैरंगैस्तुष्टुवाग्ंसस्तनूभिः । व्यशेम देवहितं यदायुः ॥ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्तिनस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ॥ योऽपां पुष्पं वेद पुष्पवान् प्रजावान् पशुमान् भवति । चंद्रमा वा अपां पुष्पम् । पुष्पवान् प्रजावान् पशुमान् भवति । य एवं वेद । योऽपामायतनं वेद । आयतनवान् भवति । अग्निर्वा अपामायतनम् । आयतनवान् भवति । योऽग्नेरायतनं वेद । आयतनवान् भवति । आपो वा अग्नेरायतनम् । आयतनवान् भवति । य एवं वेद । योऽपामायतनं वेद । आयतनवान् भवति । वायुर्वा अपामायतनम् । आयतनवान् भवति । यो वायोरायतनं वेद । आयतनवान् भवति । आपो वै वायोरायतनम् । आयतनवान् भवति । य एवं वेद । योऽपामायतनं वेद । आयतनवान् भवति । असौ वै तपन्नपामायतनम् । आयतनवान् भवति । योऽमुष्य तपत आयतनं वेद । आयतनवान् भवति । आपो वा अमुष्य तपत आयतनम् । आयतनवान् भवति । य एवं वेद । योऽपामायतनं वेद । आयतनवान् भवति । चंद्रमा वा अपामायतनम् । आयतनवान् भवति । यश्चंद्रमस आयतनं वेद । आयतनवान् भवति । आपो वै चंद्रमस आयतनम् । आयतनवान् भवति । य एवं वेद । योऽपामायतनं वेद । आयतनवान् भवति । नक्षत्राणि वा अपामायतनम् । आयतनवान् भवति । यो नक्षत्राणामायतनं वेद । आयतनवान् भवति । आपो वै नक्षत्राणामायतनम् । आयतनवान् भवति । य एवं वेद । योऽपामायतनं वेद । आयतनवान् भवति । पर्जन्यो वा अपामायतनम् । आयतनवान् भवति । यः पर्जन्यस्यायतनं वेद । आयतनवान् भवति । आपो वै पर्जन्यस्यायतनम् । आयतनवान् भवति । य एवं वेद । योऽपामायतनं वेद । आयतनवान् भवति । संवत्सरो वा अपामायतनम् । आयतनवान् भवति । यः संवत्सरस्यायतनं वेद । आयतनवान् भवति । आपो वै संवत्सरस्यायतनम् । आयतनवान् भवति । य एवं वेद । योऽफ्सु नावं प्रतिष्ठितां वेद । प्रत्येव तिष्ठति । ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने । नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे । स मे कामान् काम कामाय मह्यम् । कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु । कुबेराय वैश्रवणाय । महाराजाय नमः । ॐ तद्ब्रह्म । ॐ तद्वायुः । ॐ तदात्मा । ॐ तथ्सत्यम् । ॐ तत्सर्वम् । ॐ तत्पुरो नमः ॥ अंतश्चरति भूतेषु गुहायां विश्वरूपिषु । त्वं यज्ञस्त्वं वषट्कारस्त्वं इंद्रस्त्वं रुद्रस्त्वं विष्णुस्त्वं ब्रह्मत्वं प्रजापतिः । त्वं तदापो ज्योतिरसोऽमृतं ब्रह्म भूर्भुवस्सुवरोम् । ईशानः सर्व विद्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिः ब्रह्मणोऽधिपतिः ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवः । तद्विष्णोः परमं पदं सदा पश्यंति सूरयः । दिवीव चक्षुराततम् । तद्विप्रासो विपन्यवो जागृवां सस्समिंधते । विष्णोः यत्परमं पदम् । ऋतं सत्यं परं ब्रह्म पुरुषं कृष्णपिंगलम् । ऊर्ध्वरेतं विरूपाक्षं विश्वरूपाय वै नमो नमः ॥ ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥ ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।

    Shanti Mantra (शांति मंत्रम्)

    शांति मंत्रम्(Shanti Mantra) आपो हिष्ठा मयोभुवः। ता न ऊर्जे दधातन। महेरणाय चक्षसे। यो वः शिवतमो रसः तस्य भाजयते ह नः। उषतीरिव मातरः। तस्मा अरं गमामवो यस्य क्षयाय जिन्वथ। आपो जनयथा च नः। पृथिवी शांता साग्निना शांता। सा मे शांता शुचं शमयतु। अन्तरिक्षं शांतं तद्वायुना शांता। तन्मे शांता शुचं शमयतु। द्यौः शांता सादित्येन शांता। सा मे शांता शुचं शमयतु। पृथिवी शांति अन्तरिक्षं शांति द्यौः शांति दिशः शांति। अवांतरदिशा शांति। अग्नि शांति वायु शांति आदित्य शांति चंद्रमा शांति नक्षत्राणि शांति। आपः शांति ओषधयः शांति वनस्पतयः शांति गौः शांति रजाः शांति अश्वः शांति पुरुषः शांति ब्रह्म शांति ब्राह्मणः शांति शांति रेव शांति शांति मे अस्तु शांति। तया अहं शांत्या सर्वशांत्या मह्यं द्विपदे चतु्ष्पदे च शांति करोमि। शांति मे अस्तु शांति। एह श्रीः च ह्रीः च धृतिः च तपो मेधा प्रतिष्ठा श्रद्धा सत्यं धर्मः चैतानि मोत्ति ष्ठंतु मा। श्रीः च ह्रीः च धृतिः च तपो मेधा प्रतिष्ठा श्रद्धा सत्यं धर्मः चैतानि मा मा हासिषुः। उदायु षा स्वायु षोदो षदीनां रसेन उत्पर्जन्यस्य शुष्मेणोदस्थाममृतां अनु। तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्तात् चक्रमुचरत। पश्येम शरदः शतं। जीवेमा शरदः शतं। नंदाम शरदः शतं। मोदाम शरदः शतं। भवाम शरदः शतं। शृणवाम शरदः शतं। पब्रवाम शरदः शतं। अजीतास्याम शरदः शतं। जोक्च सूर्यं दृशे। य उदगान्महतः अर्णवात् विभ्राजमानः सरिरस्य मध्यात् समा वृषभो लोहिताक्षः सूर्यो विपश्चिन्मनसा पुनातु। ब्रह्मणः चोतन्यसि। ब्रह्मण आनीस्थो ब्राह्मण आ वप नमसि धारितेयं पृथिवी ब्रह्मणा मही दारित। तमेनेन महदन्तरिक्षं दिवं दाधार पृथिवीम सदेवां यं अहम वेद। तदहम धारयाणि मामद्वेदोऽथि विस्रसत। मेधां अनीषे मा विशतां समीची भू तस्य भव्यस्याव रुध्यै सर्वं आयु रायाणि। आभिर्गीर्भि र्यदतो न ऊनं अप्यायय हरिवो वर्धमानः। यदा स्तोतृभ्यो महि गोत्रा रुजासि भूयिष्ठभाजो अध ते स्याम। ब्रह्म प्रावादिष्म तन्नो मा हासीत। ॐ शांतिः शांतिः शांतिः। ॐ सं त्वा सिंचामि यजुषा प्रजामायुर्धनं च। ॐ शांतिः शांतिः शांतिः। ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः। शं नो भवत्वर्यमा। शं न इंद्रो बृहस्पतिः। शं नो विष्णुः रुरुक्रमः। नमो ब्रह्मणे। नमस्ते वायो। त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि। त्वामेव प्रत्यक्षं ब्रह्म वदिष्यामि। ऋतम् वदिष्यामि। सत्यम् वदिष्यामि। तन्मामवतु। तद्वक्तारमवतु। अवतु माम्। अवतु वक्तारम्। ॐ शांतिः शांतिः शांतिः। ॐ तच्छं यो रावृणीमहे। गातुं यज्ञाय। गातुं यज्ञपतये। दैवी स्वस्तिरस्तु नः। स्वस्तिर्मानुषेभ्यः। ऊर्ध्वं जिगातु भेषजम्। शं नो अस्तु द्विपदे। शं चतुष्पदे। ॐ शांतिः शांतिः शांतिः। ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु। मा विद्विषावहै॥ ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।

    Anjaneya Dandakam (आञ्जनेय दण्डकम्)

    आञ्जनेय दण्डकम् (Anjaneya Dandakam) श्री आञ्जनेयं प्रसन्नाञ्जनेयं प्रभादिव्यकायं प्रकीर्ति प्रदायं भजे वायुपुत्रं भजे वालगात्रं भजेहं पवित्रं भजे सूर्यमित्रं भजे रुद्ररूपं भजे ब्रह्मतेजं बटञ्चुन् प्रभातम्बु सायन्त्रमुन् नीनामसङ्कीर्तनल् जेसि नी रूपु वर्णिञ्चि नीमीद ने दण्डकं बॊक्कटिन् जेय नी मूर्तिगाविञ्चि नीसुन्दरं बॆञ्चि नी दासदासुण्डवै रामभक्तुण्डनै निन्नु नेगॊल्चॆदन् नी कटाक्षम्बुनन् जूचिते वेडुकल् चेसिते ना मॊरालिञ्चिते नन्नु रक्षिञ्चिते अञ्जनादेवि गर्भान्वया देव निन्नॆञ्च नेनॆन्तवाडन् दयाशालिवै जूचियुन् दातवै ब्रोचियुन् दग्गरन् निल्चियुन् दॊल्लि सुग्रीवुकुन्-मन्त्रिवै स्वामि कार्यार्थमै येगि श्रीराम सौमित्रुलं जूचि वारिन्विचारिञ्चि सर्वेशु बूजिञ्चि यब्भानुजुं बण्टु गाविञ्चि वालिनिन् जम्पिञ्चि काकुत्थ्स तिलकुन् कृपादृष्टि वीक्षिञ्चि किष्किन्धकेतॆञ्चि श्रीराम कार्यार्थमै लङ्क केतॆञ्चियुन् लङ्किणिन् जम्पियुन् लङ्कनुन् गाल्चियुन् यभ्भूमिजं जूचि यानन्दमुप्पॊङ्गि यायुङ्गरम्बिच्चि यारत्नमुन् दॆच्चि श्रीरामुनकुन्निच्चि सन्तोषमुन्​जेसि सुग्रीवुनिन् यङ्गदुन् जाम्बवन्तु न्नलुन्नीलुलन् गूडि यासेतुवुन् दाटि वानरुल्​मूकलै पॆन्मूकलै यादैत्युलन् द्रुञ्चगा रावणुण्डन्त कालाग्नि रुद्रुण्डुगा वच्चि ब्रह्माण्डमैनट्टि या शक्तिनिन्​वैचि यालक्षणुन् मूर्छनॊन्दिम्पगानप्पुडे नीवु सञ्जीविनिन्​दॆच्चि सौमित्रिकिन्निच्चि प्राणम्बु रक्षिम्पगा कुम्भकर्णादुल न्वीरुलं बोर श्रीराम बाणाग्नि वारन्दरिन् रावणुन् जम्पगा नन्त लोकम्बु लानन्दमै युण्ड नव्वेलनु न्विभीषुणुन् वेडुकन् दोडुकन् वच्चि पट्टाभिषेकम्बु चेयिञ्चि, सीतामहादेविनिन् दॆच्चि श्रीरामुकुन्निच्चि, यन्तन्नयोध्यापुरिन्​जॊच्चि पट्टाभिषेकम्बु संरम्भमैयुन्न नीकन्न नाकॆव्वरुन् गूर्मि लेरञ्चु मन्निञ्चि श्रीरामभक्त प्रशस्तम्बुगा निन्नु सेविञ्चि नी कीर्तनल् चेसिनन् पापमुल्​ल्बायुने भयमुलुन् दीरुने भाग्यमुल् गल्गुने साम्राज्यमुल् गल्गु सम्पत्तुलुन् कल्गुनो वानराकार योभक्त मन्दार योपुण्य सञ्चार योधीर योवीर नीवे समस्तम्बुगा नॊप्पि यातारक ब्रह्म मन्त्रम्बु पठियिञ्चुचुन् स्थिरम्मुगन् वज्रदेहम्बुनुन् दाल्चि श्रीराम श्रीरामयञ्चुन् मनःपूतमैन ऎप्पुडुन् तप्पकन् तलतुना जिह्वयन्दुण्डि नी दीर्घदेहम्मु त्रैलोक्य सञ्चारिवै राम नामाङ्कितध्यानिवै ब्रह्मतेजम्बुनन् रौद्रनीज्वाल कल्लोल हावीर हनुमन्त ओङ्कार शब्दम्बुलन् भूत प्रेतम्बुलन् बॆन् पिशाचम्बुलन् शाकिनी ढाकिनीत्यादुलन् गालिदय्यम्बुलन् नीदु वालम्बुनन् जुट्टि नेलम्बडं गॊट्टि नीमुष्टि घातम्बुलन् बाहुदण्डम्बुलन् रोमखण्डम्बुलन् द्रुञ्चि कालाग्नि रुद्रुण्डवै नीवु ब्रह्मप्रभाभासितम्बैन नीदिव्य तेजम्बुनुन् जूचि रारोरि नामुद्दु नरसिंह यन्​चुन् दयादृष्टि वीक्षिञ्चि नन्नेलु नास्वामियो याञ्जनेया नमस्ते सदा ब्रह्मचारी नमस्ते नमोवायुपुत्रा नमस्ते नमः

    Ramayana Jai ​​Mantra (रामायण जय मन्त्रम्)

    रामायण जय मन्त्रम् (Ramayana Jai ​​Mantra) जयत्यतिबलो रामो लक्ष्मणश्च महाबलः राजा जयति सुग्रीवो राघवेणाभिपालितः । दासोहं कोसलेन्द्रस्य रामस्याक्लिष्टकर्मणः हनुमान् शत्रुसैन्यानां निहन्ता मारुतात्मजः ॥ न रावण सहस्रं मे युद्धे प्रतिबलं भवेत् शिलाभिस्तु प्रहरतः पादपैश्च सहस्रशः । अर्धयित्वा पुरीं लङ्कामभिवाद्य च मैथिलीं समृद्धार्धो गमिष्यामि मिषतां सर्वरक्षसाम् ॥