Shandilyopanishad Chapter 1 Part 9 (शाण्डिल्योपानिषद प्रथम अध्याय–नौवां खण्ड)

प्रथमाध्याये-नवमः खण्डः प्रथम अध्याय–नौवां खण्ड अथ धारणा। अब धारणा को स्पष्ट करते हैं। सा त्रिविधा आत्मनि मनोधारणं दहराकाशे बाह्याकाशधारणं पृथिव्यप्तेजोवाय्वाकाशेषु पञ्चमूर्तिधारणं चेति ॥१॥ यह तीन प्रकार की होती है। अपनी अन्तरात्मा में मन की धारणा करना, दहरा (हृदय) आकाश में बाह्याकाश की धारणा करना तथा पृथ्वी, जल, तेज, वायु एवं आकाश में पाँच मूर्तियों की धारणा करनी चाहिए। यह तीन प्रकार हैं ॥१॥

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