ऋग्वेद प्रथम मण्डल सूक्त ७०

ऋग्वेद - प्रथम मंडल सूक्त ७० ऋषि-पाराशर शाक्त्यः देवता- अग्नि । छंद - द्विपदा विराट वनेम पूर्वीरर्यो मनीषा अग्निः सुशोको विश्वान्यश्याः ॥१॥ आ दैव्यानि व्रता चिकित्वाना मानुषस्य जनस्य जन्म ॥२॥ हम अग्निदेव से अपार धन वैभव की कामना करते हैं। उत्तम तथा प्रकाशित ये अग्निदेव देवों और मनुष्यों के कर्मों को तथा मनुष्य जन्म के रहस्य को जानकर सब में व्याप्त हैं॥१-२॥ गर्भो यो अपां गर्भो वनानां गर्भश्च स्थातां गर्भश्वरथाम् ॥३॥ अद्रौ चिदस्मा अन्तर्दुरोणे विशां न विश्वो अमृतः स्वाधीः ॥४॥ ये अग्निदेव जलों के गर्भ में, वनों के गर्भ में, जंगम और स्थावरों के गर्भ में विद्यमान हैं। ये उत्तमकर्मा और अविनाशी अग्निदेव सभी प्रजाओं को राजा के समान आधार देते हैं। अतः लोग अग्निदेव को घर में और पर्वतों में भी हवि प्रदान करते हैं॥३-४॥ स हि क्षपावाँ अग्नी रयीणां दाशद्यो अस्मा अरं सूक्तैः ॥५॥ एता चिकित्वो भूमा नि पाहि देवानां जन्म मतश्चि विद्वान् ॥६॥ अग्निदेव की उत्तम मंत्रों से जो याजक स्तुति करते हैं, उन्हें वे निश्चय ही वैभव प्रदान करते हैं। हे सर्वज्ञ अग्निदेव ! आप देवों और मनुष्यों के जीवन रहस्यों को जानने वाले हैं। आप समस्त प्राणियों की रक्षा करें ॥५-६॥ वर्धान्यं पूर्वीः क्षपो विरूपाः स्थातुश्च रथमृतप्रवीतम् ॥७॥ अराधि होता स्वर्निषत्तः कृण्वन्विश्वान्यपांसि सत्या ॥८॥ विविध रूपों वाली देवी उघी और रात्रि जिन अग्निदेव को प्रवृद्ध करती हैं, स्थावर, वृक्षादि और जंगम मनुष्यादि भी यज्ञ रूप उन अग्निदेव को प्रवृद्ध करते हैं। अग्निदेव को होतारूप में प्रतिष्ठित कर लोग उन्हें यज्ञ-अनुष्ठानों द्वारा हवि समर्पित करके पूजते हैं॥७-८॥ गोषु प्रशस्तिं वनेषु धिषे भरन्त विश्वे बलिं स्वर्णः ॥९॥ वि त्वा नरः पुरुत्रा सपर्यन्पितुर्न जिव्रेर्वि वेदो भरन्त ॥१०॥ हे अग्निदेव ! आप वनों और गौओं में पुष्टिकारक पदार्थों को भी स्थापित करें। सभी मनुष्यों को ग्रहण करने योग्य श्रेष्ठ अन्नों और धनों से पूर्ण करें। हम आपको विविध प्रकार से पूजते हैं। जैसे पिता पुत्र को धन से पूर्ण करता है, वैसे ही हम आपसे धन पाते रहे हैं ॥९-१०॥ साधुर्न गृध्नुरस्तेव शूरो यातेव भीमस्त्वेषः समत्सु ॥११॥ ये अग्निदेव उत्तम देव पुरुष के सदृश पूज्य, अस्त्रों का प्रहार करने वाले के सदृश वीर, आक्रान्ता के सदृश विकराल और संग्राम काल में तेजस्विता की प्रतिमूर्ति होते हैं॥११॥

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