Shandilyopanishad Chapter 1 Part 11 (शाण्डिल्योपानिषद प्रथम अध्याय–ग्यारहवां खण्ड)

प्रथमाध्याये-एकादशः खण्डः प्रथम अध्याय–ग्यारहवां खण्ड अथ समाधिः। जीवात्मपरमात्मैक्यावस्था त्रिपुटीरहिता परमानन्दस्वरूपा शुद्धचैतन्यात्मिका भवति ॥१॥ अब इसके अनन्तर समाधि का वर्णन करते हैं। जीवात्मा एवं परमात्मा की ऐक्यावस्था, (ज्ञान, ज्ञेय तथा ज्ञाता) की त्रिपुटीविहीन, परमानन्द के रूप से युक्त एवं शुद्ध चैतन्यमय अवस्था ही समाधि कहलाती है ॥१॥

Recommendations